कोरोना महामारी के पीछे चीन और WHO की साँठ-गाँठ को लेकर अब इन दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। एक नए खुलासे में WHO ने अपनी गलती छिपाने और दुनिया की नजरों में अच्छा बनने के लिए अब चीन पर आरोप थोपना शुरू कर दिया है। ऐसा लगता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिका से दी जाने वाली फंडिंग रोकने के बाद WHO का दिमाग ठिकाने लगा है। ट्रम्प के इस डंडे और भारत के WHA के चेयरमैन बनने के बाद अब WHO ने अपनी गलती छिपाने के लिए चीन की पोल खोलनी शुरू कर दी है।
दरअसल, एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पूरे जनवरी महीने तक चीन की तारीफ़ों का पुल बांधने वाले WHO ने अब खुलासा किया है कि चीन जानबूझकर कोरोना की जानकारी देने में देर कर रहा था और जानकारी न आने के कारण WHO के अंदर अधिकारियों में काफी रोष था।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन ने कोरोना वायरस के जीनेटिक मैप को जारी करने में 3 सप्ताह का समय लगाया जबकि तीन अलग-अलग सरकारी लैब कोरोना वायरस के बारे में जानकारी जुटा चुके थे।
इस रिपोर्ट के अनुसार WHO के आंतरिक बैठकों और इंटरव्यू से इस बात का खुलासा हुआ है कि कैसे चीनी सरकार का मीडिया पर नियंत्रण और चीनी हेल्थ सिस्टम के अंदर अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण चीन से कोरोना की जानकारी सही समय पर नहीं आई।
यही नहीं यू.एन. द्वारा आयोजित आंतरिक बैठकों की रिकॉर्डिंग के अनुसार, रोगियों और मामलों पर विस्तृत डेटा के लिए भी चीन ने 2 सप्ताह से अधिक का समय लगाया।
इस रिपोर्ट के अनुसार WHO के अधिकारी चीन से जानकारी निकलवाने के लिए सार्वजनिक तौर पर उसकी बढ़ाई करते थे लेकिन प्राइवेट में चीन की आलोचना करते थे। कुछ अधियाकरियों ने तो यहाँ तक कह दिया है कि चीन वही जानकारी दे रहा है जो वहाँ की सरकारी मीडिया 15 मिनट बाद चला रही है।
यानि WHO को चीन के अपारदर्शी सिस्टम के बारे में पता था, लेकिन फिर भी इस संस्था ने किसी अन्य को चीन के इस रवैये के बारे में नहीं बताया। अब जब चारों ओर से इस संस्था पर चीन का तोता होने के आरोप लग रहे हैं तो अपनी गलती छुपाने के लिए चीन की पोल खोल रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प ने WHO को चीन की तारीफ में लगे रहने के बाद कई मौकों पर जम कर धोया था, साथ ही उसकी फंडिंग भी बंद कर दी।
The W.H.O. really blew it. For some reason, funded largely by the United States, yet very China centric. We will be giving that a good look. Fortunately I rejected their advice on keeping our borders open to China early on. Why did they give us such a faulty recommendation?
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) April 7, 2020
डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार ट्वीट करते हुए कहा था, “जिसे हमने इतना पैसा दिया, वो WHO आज चीन की चाटुकारिता कर रहा है। इस पर हम अवश्य ध्यान देंगे। अच्छा हुआ कि उनकी चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध और आवाजाही वाली सलाह मैंने नहीं मानी थी। हमें इतना घटिया सुझाव आखिर WHO ने क्यों दिया?”
इसके बाद उन्होंने WHO को अमेरिका से मिलने वाली लगभग 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर को भी रोक दिया। अब ऐसा लग रहा है कि WHO की अक्ल ठिकाने आ रही है और अब वह सच उगल रहा है। परंतु यहाँ यह समझना होगा कि WHO अपनी गलती छिपाने के लिए चीन को दोषी ठहरा रहा है जिससे सारा ध्यान WHO पर नहीं चीन पर आ जाए। अगर WHO ने पहले ही चीन की पोल खोली होती तो शायद आज यह दिन नहीं देखना पड़ता और शायद चीन पर अब तक सभी देश मिल कर दबाव बना चुके होते। जब जरूरत थी तब तो WHO चीन का गुणगान करते रहे। आज जब WHO की कोई प्रासंगिकता नहीं बची और चीन का तोता होने के आरोप लग रहे हैं तो यह अपनी गलतियों को मानने की बजाए आरोप चीन के सिर मड़ रहा है। बेशक चीन ने जानकारी छिपा कर गलती की, लेकिन जब ताइवान ने WHO को इस संक्रामक वायरस के बारे में बताया था तब WHO ने उसे नजरअंदाज क्यों कर दिया था? क्या ताइवान भी WHO से जानकरी छिपा रहा था?
यहाँ सरासर WHO की गलती है जो उसे स्वीकार करनी चाहिए। आज WHO चीन के खिलाफ खुलासे कर रहा है, हो सकता है कल अपनी गलती भी माने क्योंकि अब इसे ट्रम्प का डंडा पड़ चुका है और साथ ही ऐसा लगता है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानि WHO के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपना काम शुरू कर दिया है जिससे यह संस्था अपनी पटरी पर लौटने लगी है।