चीन को गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला करने की चाल इस बार काफी भारी पड़ी है। न केवल दुनिया भर में उसकी आलोचना हो रही है, अपितु उसके अपने लोग गलवान घाटी में मारे गए पीएलए यानि पीपुल्स लिबेरेशन आर्मी के जवानों के बारे में वास्तविक जानकारी साझा करने के लिए दबाव बना रहे हैं।
इसी परिप्रेक्ष्य में चीनी प्रशासन ने अपने मुखपत्रों को काम पर लगाते हुए अपनी आक्रोशित जनता को शांत कराने की जद्दोजहद में लगी हुई है। ग्लोबल टाइम्स के प्रमुख संपादक हू शीजिन ने कहा कि जो मृत हैं, उन्हें सैन्य परंपरा के अनुसार सम्मान विदाई दी गई है, और समाज को उनके बारे में सही समय पर अवगत कराया जाएगा, ताकि वे अपने सैनिकों को सदैव सम्मान की दृष्टि से देखते रहें।
अक्सर हमने सुना है कि अपने बड़े से सीखो, उनके सदाचारी व्यवहार का अनुसरण करो। लेकिन यहाँ चीन तो उल्टी गंगा बहाते हुए अपने से कई गुने पिछड़े और अपने ही गुलाम पाकिस्तान का अनुसरण कर रहा है। न केवल चीन अपने वास्तविक हताहतों की संख्या को छुपा रहा है, अपितु अपने मृत सैनिकों को अपना मानने से भी मना कर रहा है, ठीक वैसे ही जैसे 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने अपने मृतकों को अपना मानने से ही मना कर दिया था।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकती। चीन अपने मारे गए सैनिकों की वास्तविकता को छुपाने के लिए किस हद्द तक जा सकता है, ये आप हु शीजिन के बड़बोले बयानों से ही समझ सकते हैं। हु शीजिन आगे बताते हैं, “चीन की रक्षा और चीन के सीमाओं पर शांति इन सैनिकों पर निर्भर हैं। इसीलिए चीनी सरकार ने मृतकों के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की है। एक पूर्व सैनिक और एक मीडिया कर्मचारी के बारे मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि कैसे ऐसी जानकारी को साझा करना दो देशों के बीच के सौहार्द को बिगाड़ सकता है। ये बीजिंग की भलमनसाहत है।”
सच्चाई तो ये है कि चीन को अब अपना पिटा हुआ मुंह छुपाने के लिए कहीं जगह नहीं मिल रही है। 15 जून की रात को गलवान घाटी के पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर लगे कब्जे को हटाने गई बिहार रेजीमेंट के कई जवानों पर चीन के पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिकों ने धावा बोला था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, परंतु भारतीय सैनिकों ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उनके कई सैनिकों को मार गिराया था। आधिकारिक तौर पर भारतीयों का कहना था कि चीन के 43 सैनिक मारे गए, जबकि अन्य सूत्रों की माने तो चीनी सैनिकों में मृतकों की संख्या 60 – 70 के पार भी जा सकती है।
अब चीन अपनी फजीहत छुपाने के लिए अपने मृत सैनिकों की जानकारी भी अपनी जनता से साझा करने को तैयार नहीं है। परंतु हम भूल रहे हैं कि ये वही चीन है, जो आज भी वुहान वायरस के कारण मारे गए अपने नागरिकों की वास्तविक संख्या बताने से इंकार कर रहा है, और उन्हीं की अस्थियों को सौंपने के लिए उनके परिजनों को घंटों लाइन में खड़े रहने के लिए मजबूर कर रहा है। लेकिन जिस तरह से जनता अब अपने सैनिकों के बारे में जवाब मांग रही है, उसे छुपाने में चीन को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।