भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को रूस की यात्रा पर गए। वे आधिकारिक तौर पर तो रूस की विक्ट्री परेड में शामिल होने गए थे, लेकिन उनकी इस यात्रा का मकसद भारत और रूस के बीच हुए रक्षा सौदों खास कर एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की जल्द से जल्द आपूर्ति कराना था। राजनाथ सिंह के इस दौरे से चीन को भी मिर्ची लग चुकी है और वह नहीं चाहता कि रूस जल्द से जल्द भारत को एस-400 की आपूर्ति करे। लेकिन रूस ने चीन को उसकी औकात बताते हुए भारत को जल्द से जल्द एस-400 की आपूर्ति के संकेत दिये हैं।
दरअसल, भारत ने रूस के साथ वर्ष 2018 में इस डिफेंस सिस्टम के लिए 5.43 अरब डॉलर (38 हजार 933 करोड़ रु.) के समझौते पर दस्तखत किया था। अब चीन के साथ बढ़ते तनाव के कारण भारत दुनिया के सबसे एडवांस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को जल्द से जल्द चाहता है। इसके साथ ही भारत ने 33 अतिरिक्त Fighter jets का भी ऑर्डर किया है जिसमें Su-30 MKI और MiG-29 शामिल हैं।
इसी से चीन डरा हुआ है कि अगर कहीं ये डिफेंस सिस्टम भारत को जल्द से जल्द मिल गया तो उसका काम-तमाम हो जाएगा आर उसके किसी भी हमले को भारत आसानी से हवा में ही निष्क्रिय सकता है। हालांकि यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि एस-400 चीन के पास भी है। ऐसे में चीन अपनी मीडिया के द्वारा रूस पर यह दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था कि वह भारत को एस-400 की आपूर्ति ऐसे समय में न करे जब दोनों देशों के बीच तनाव अपने उच्चतम स्तर पर है।
चीन ने अपने मुखपत्र People’sDailyके माध्यम से यह एजेंडा थोपने की कोशिश की कि अगर रूस चीनियों के दिल में स्थान पाना चाहता है तो भारत को ऐसे संवेदनशील मौके पर एस-400 की आपूर्ति नहीं करनी चाहिए। People’s Daily ने फेसबुक के एक ग्रुप ‘Society for Oriental Studies of Russia’ पर लिखा कि एक्स्पर्ट्स कहते हैं कि अगर रूस को चीनियों और भारतियों के दिल में स्थान बनाना है तो भारत को हथियार न बेचे। इस मीडिया हाउस ने यह भी लिखा कि चीन से बॉर्डर विवाद के कारण भारत जल्द से जल्द 30 Fighter Jets खरीदना चाहता है जिनमें मिग 29 और सुखोई 30MKI शामिल हैं।
चीन के इस प्रोपोगेंडे को देख कर यह समझा जा सकता है कि वह भारत और रूस के बढ़ते सम्बन्धों से किस प्रकार बेचैन हो चुका है और अब उसे यह डर सता रहा है कि कहीं रूस भारत को एस-400 न दे दे। इसलिए वह अपनी मीडिया के द्वारा एस-400 की आपूर्ति को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। परंतु उसकी यह कोशिश नाकाम हो चुकी है और रूस तथा भारत के रक्षा मंत्री ने यह संकेत दिया है कि रूस भारत को एस-400 की आपूर्ति समय से पहले कर सकता है।
Defence Minister @rajnathsingh says that he is satisfied with the meetings in Moscow today. https://t.co/JJm7luZcTO
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) June 23, 2020
रक्षा मंत्री ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत-रूस संबंध एक विशिष्ट और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक भागीदारी है। हमारे रक्षा संबंध इसके महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक हैं।’ रक्षा मंत्री ने कहा, ”दोनों के बीच हुई चर्चा बेहद सकारात्मक रही। मुझे आश्वासन दिया गया है कि दोनों देशों के बीच चल रहे अनुबंधों को कायम रखा जाएगा और न केवल कायम रखा जाएगा बल्कि कई मामलों पर कम समय में ही आगे बढ़ा जाएगा। हमारे सभी प्रस्तावों पर रूस की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। मैं चर्चा को लेकर पूरी तरह संतुष्ट हूं।“
बता दें कि एस-400 सिस्टम मिसाइल हमले की स्थिति में खुद एक्टिव होता है और दुश्मन की मिसाइल हो या लड़ाकू विमान, अपने टार्गेट को हवा में ही ध्वस्त कर सकता है। यह 400 किलोमीटर की रेंज में आने वाली किसी भी प्रकार की मिसाइल या 5th जनेरेशन के लड़ाकू विमानों को भी हवा में ही मार गिरा सकता है। एस-400 डिफेंस सिस्टम एक तरह से मिसाइल शील्ड का काम करेगा, जो पाकिस्तान और चीन की परमाणु क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलों से भारत को सुरक्षा देगा। यह सिस्टम एक बार में 72 मिसाइल दाग सकता है तथा परमाणु क्षमता वाली 36 मिसाइलों को एकसाथ नष्ट कर सकता है।
इससे यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि रूस किसी भी स्थिति में भारत का साथ देगा चाहे वो चीन के साथ विवाद हो या कोई अन्य। इससे पहले भारत ने रूस से 33 अतिरिक्त Fighter Jets की पूर्ति के लिए भी बोला है। इस तरह भारत के साथ समझौते से रूस ने संकेत दे दिया है कि वह किसकी तरफ झुकाव रखता है। रूस की सरकार द्वारा अधिकृत Russia Today की लद्दाख मामले पर कवरेज भारत के पक्ष में ही रही है। शुरुआत में तो रूस शांति बनाने पर जोर दे रहा है लेकिन अगर पक्ष चुनने का समय आएगा तो यह देश चीन का साथ तो कभी नहीं देने वाला है।