कोरोना के समय भारत की medical diplomacy को कोई भूला नहीं है। जैसे ही यह खबर फैली कि कोरोना के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन नाम की दवाई की अहम भूमिका हो सकती है, वैसे ही दुनिया के तमाम देशों ने इस दवाई को भारत से इम्पोर्ट करना शुरू कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। हालांकि, HCQ की भूमिका पर समय-समय पर सवाल भी उठाए जाते रहे हैं। अब विशेषज्ञ एक और ड्रग को कोरोना के इलाज में प्रभावशाली बता रहे हैं, और उसका नाम है डेक्सामेथासोन! वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि डेक्सामेथासोन नामक स्टेरॉयड के इस्तेमाल से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु दर एक तिहाई तक घट गयी। माना जा रहा है कि अब कोरोना के मरीजों के उपचार के लिए इस दवा का इस्तेमाल बढ़ सकता है। रोचक बात यह है कि भारत HCQ की तरह ही इस दवा का भी मुख्य निर्यातक देश है।
डेक्सामेथासोन को लेकर जल्द ही रिसर्च पेपर प्रकाशित किया जा सकता है। अभी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी इस दवा को लेकर बेहद उत्साहित हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल के बाद बेहद सकारात्मक असर हुआ है। रिसर्च के अनुसार, इस दवा को 2104 मरीजों को दिया गया और उनकी तुलना साधारण तरीकों से इलाज किए जा रहे 4321 दूसरे मरीजों से की गई। दवा के इस्तेमाल के बाद वेंटीलेटर के साथ उपचार करा रहे मरीजों की मृत्यु दर 35 फीसदी तक घट गई। वहीं, जिन मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही थी, उनमें भी मृत्यु दर 20 प्रतिशत कम हो गयी।
इसका एक ही अर्थ है! अब दुनिया के सभी देशों में डेक्सामेथासोन को लेकर उत्साह बढ़ सकता है और वे इसके आयात को बढ़ा सकते हैं। अभी भारत ही इस दवा का मुख्य निर्यातक है, ऐसे में भारत को दोबारा अपनी medical diplomacy दिखाने का मौका मिल सकता है। डेक्सामेथासोन को WHO द्वारा एक “essential drug” का स्टेट्स दिया गया है, और अभी भारत इसे अमेरिका, अफ्रीका के कई देशो समेत कुल 107 देशों में एक्सपोर्ट करता है। भारत ने वर्ष 2019-2020 में कुल 5.34 लाख टन डेक्सामेथासोन का निर्यात किया था, जिसमें से भारत ने सबसे ज़्यादा निर्यात अमेरिका, Nigeria, कनाडा, रूस और युगांडा को किया था। ये दवा बहुत सस्ती भी पड़ती है। भारत में डेक्सामेथासोन की 10 tablets (0.5 mg) वाला पत्ता केवल ढाई रुपये का ही पड़ता है। ऐसे में अगर वाकई यह दवा कोरोना को भगाने में कारगर सिद्ध होती है, तो दुनियाभर में भारत सस्ते दामों पर इस दवा का निर्यात कर आसानी से लोगों को ये दवा मुहैया करा सकता है।
डेक्सामेथासोन दवा के ग्लोबल बिज़नस में भारतीय दवा कंपनियों का हिस्सा 46 प्रतिशत है, जो किसी भी देश से ज़्यादा है। इस दवा का वैश्विक मार्केट कुल 470 मिलियन डॉलर का है, और हर साल ये दवा की करीब 5.85 बिलियन यूनिट्स बिकती हैं। अमेरिका, यूरोप, जापान, भारत, चीन और इंडोनेशिया में इस दवा की सबसे ज़्यादा खपत होती है। इस प्रकार अगर भारत में बनने वाली डेक्सामेथासोन की मांग बढ़ती है तो भारत जल्द ही दोबारा दुनियाभर में अपनी फार्मा industry का लोहा मनवा सकता है।
इससे पहले भारत HCQ के मामले में ऐसा कर चुका है। बता दें कि भारत ने दुनियाभर के 30 कोरोना प्रभावित देशों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन भेजने का फैसला लिया था, जिसमें पड़ोसी देशों के साथ अरब के देश शामिल थे। भारत ने अमेरिका, स्पेन, इजरायल, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया समेत कई यूरोपीय और अफ्रीकी देशों को HCQ दवा भेजने का फैसला किया था। भारत के इस फैसले के बाद कई वैश्विक नेताओं ने भारत सरकार और पीएम मोदी का धन्यवाद भी किया था।
Thank you, my dear friend @narendramodi, Prime Minister of India, for sending Chloroquine to Israel.
All the citizens of Israel thank you! 🇮🇱🇮🇳 pic.twitter.com/HdASKYzcK4
— Prime Minister of Israel (@IsraeliPM) April 9, 2020
Extraordinary times require even closer cooperation between friends. Thank you India and the Indian people for the decision on HCQ. Will not be forgotten! Thank you Prime Minister @NarendraModi for your strong leadership in helping not just India, but humanity, in this fight!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) April 8, 2020
अब डेक्सामेथासोन दवा का निर्यात कर भारत दोबारा अपनी कूटनीति का प्रदर्शन कर सकता है। कोरोना काल में भारत का फार्मा सेक्टर भारत के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रहा है।