अक्सर देखा गया है कि कोई भी व्यक्ति अपने स्तर से सदैव ऊंचा उठने का प्रयास करता है, चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो। पर शिवसेना के मामले में इसका ठीक उल्टा हिसाब चलता है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में जिस पार्टी का संजय राउत जैसे नेता प्रतिनिधित्व करते हैं, वह नवंबर से इसी कार्य में प्रयासरत है कि अपने स्तर से नीचे कैसे गिरा जाये। अब भारत-चीन विवाद के समय में शिवसेना ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे सिद्ध हुआ है कि आखिर क्यों पिछले कुछ महीनों से उसकी विश्वसनीयता रसातल में जा चुकी है।
अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने एक बेहद ही भड़काऊ दावा करते हुए पीएम मोदी पर डोनाल्ड ट्रम्प की खुशामद करने का आरोप लगाया है, जिसके कारण चीन से हुए बॉर्डर विवाद में भारतीय सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सामना में लिखे इस लेख के अनुसार आधी से अधिक दुनिया चीन के साथ है, और जैसे ही डोनाल्ड ट्रम्प नवंबर के चुनाव हारते हैं, भारत को अमेरिका का समर्थन मिलना भी बंद हो जाएगा। चीन इसलिए इतना आक्रामक है क्योंकि पीएम मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से अधिक मित्रता में विश्वास रखते हैं।
इससे पहले शिवसेना ने भारत पर ये तंज़ कसते हुए लिखा था कि भारत केवल पाकिस्तान को जवाब देना चाहता है, जबकि वह चीन का बाल भी बांका नहीं कर सकता। शिवसेना ने सामना के जरिये यह दावा किया था , “1962 में सेना के पास साजो सामान की कमी थी, पर इस बार तो सब कुछ होते हुए भी चीनी सेना का हम कुछ नहीं कर पाये। भारत को 1962 में बेइज्ज़त किया गया था और अभी भी नेहरू को इसके लिए हम दोष देते हैं, पर ऐसा लगता है कि हमने तब से अब तक कोई सीख नहीं ली है”।
ऐसा लगता है कि अब शिवसेना ने सेक्युलर पार्टियों के हिप्पी क्लब की सदस्यता ग्रहण कर ली है, और अपने राष्ट्रवादी स्वभाव से काफी अलग स्वभाव अपनाया है। अब शिवसेना पहली की भांति एक सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी पार्टी नहीं रही। अगर सामना में प्रकाशित उसके लेख को देखें, तो यह बात कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अब शिवसेना देश के दुशमनों का महिमामंडन करने की राह पर चल चुकी है। इसी वर्ष जनवरी में शिवसेना ने भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक्स पर सवाल उठाते हुए उसके असर पर संदेह किया था।
जिस पार्टी को कभी सनातन संस्कृति के प्रतीक के तौर पर जाना जाता था, आज वह कहता है कि भारत पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है, और पूरी दुनिया चीन के साथ खड़ी हुई है। आखिर ऐसा क्या हुआ है शिवसेना को, जो वह इस तरह की बकवास कर रही है, इसकी गहराई में जाना होगा।