भारत-तिब्बत बॉर्डर पर चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए अब भारत सरकार ने कमर कस ली है। जवाब सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं दिया जा रह है बल्कि देश के अंदर चीनी सामानों तथा परियोजनाओं का बॉयकॉट करके भी दिया जा रहा है। चीन को सबक सिखाने के लिए अब केंद्र सरकार ने परोक्ष रूप से बन्दरगाहों पर निगरानी बढ़ा दी है जिसके कारण चीनी सामानों की खरीद-बिक्री में देर हो रही है। हालांकि सरकार ने इसके लिए अलग से किसी प्रकार का निर्देश नहीं दिया है, लेकिन 22 जून के बाद जिस तरह से चेन्नई तथा अन्य बन्दरगाहों पर चीनी सामानों का जमावड़ा लग चुका है उसे देखते हुए यह स्पष्ट समझा जा सकता है कि कस्टम विभाग ने यह चीन को निशाना बनाने के लिए ही किया है। साथ ही यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि आगे भी इसी तरह से चीनी सामानों को भारत से बाहर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस समय देश के कुछ बन्दरगाहों पर चीन से आए हुए मोबाइल फोन को रोक दिया गया है। देश के कस्टम विभाग ने देशभर के पॉर्ट्स और एयरपॉर्ट्स पर चीन से आनेवाले कंसाइनमेंट्स की और अधिक जांच करने का फैसला किया है।
सीमा विवाद के बाद अब देश पूरी तरह से सतर्क हो चुका है और भारतीय कस्टम ने बंदरगाहों पर चीन से आयातित 100 फीसदी सामानों की जांच करने का निर्देश दिया है। इससे न सिर्फ चीन में बने सामानों को देश भर में फैलने से रोका जाएगा बल्कि इससे चीनी सामान खरीदने वाले भारतीय व्यापारी भी हतोत्साहित होंगे।
इक्नोमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चेन्नई और विशाखापटनम बंदरगाहों पर सभी शिपमेंट को होल्ड पर रखने के लिए कहा गया है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि इन शिपमेंट को रोकने के लिए केंद्र सरकार के तरफ से कोई औपचारिक निर्देश जारी नहीं किया गया है, कस्टम विभाग ने सख्त जाँच के आदेश दिये हैं। इसका एक स्पष्ट संदेश है कि जब तक निर्देश नहीं मिलता तन तक चीन से आने वाले सामान को रोक कर रखना है। हालांकि इसमें यह कहा जा रहा है कि चीन में कोरोना के दोबारा फैलने के कारण यह कदम उठाया जा रहा है, परंतु वास्तविकता भारत चीन विवाद को ही माना जाएगा। खैर जो भी हो पर इस एक तीर से दो निशाने भेदे जा रहे हैं।
बता दें कि चेन्नई बंदरगाह के माध्यम से देश भर में फैले कई चीनी कंपनियों के टेलीकॉम पार्ट्स और उपकरण आते हैं। यही नहीं, चेन्नई चीन से ऑटो कम्पोनेंट के आयात के लिए भी एक प्रमुख बंदरगाह है। ऐसे में कस्टम विभाग द्वारा इस तरह से चीनी शिपमेंट्स को रोकने के वजह से भारत में चीनी सामान का उपयोग करने वाले लोग भी परेशान हो चुके हैं।
भारत सरकार पिछले कई दिनों से चीन पर से निर्भरता को कम करने की दिशा में कदम उठा चुकी है। यही नहीं, केंद्र सरकार ने चीन पर नकेल कसने के लिए सभी सरकारी टेलिकॉम कंपनियों के साथ-साथ सभी प्राइवेट कंपनियों को निर्देश देकर कहा कि वे अपनी 4G या 5G सेवाओं को प्रदान करने के लिए किसी भी चीनी कंपनी से कोई उपकरण नहीं खरीदेंगे। इसके साथ ही सरकारी कंपनी BSNL ने मौजूदा टेंडर को रद्द कर नए टेंडर जारी करने की तैयारी कर ली है, जिसमें किसी भी चीनी कंपनी को शामिल होने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही भारतीय रेलवे भी चीनी ठेकेदारों से काम छीनना शुरू कर चुकी है। वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी China Railway Signal and Communication को 400 किमी लंबे Eastern Dedicated Freight Corridor पर सिग्नल सिस्टम को इन्स्टाल करने का ठेका दिया गया था, अब रेलवे ने इस ठेके को रद्द कर दिया है। भारत सरकार जल्द ही चीन से आयात होने वाले करीब 1 दर्जन सामानों पर anti-dumping duty लगा सकती है। इन सामानों में calculator से लेकर USB drive, स्टील से लेकर सोलर सेल शामिल हो सकते हैं।
जब से चीन ने लद्दाख में बॉर्डर पर तनाव बढ़ाना शुरू किया है तब से ही भारत में चीन के सामानों को सरकारी स्तर से लेकर व्यतिगत स्तर पर बॉयकॉट शुरू हो चुका है। गलवान घाटी में चीन के हमले से भारत सरकार को खुलकर चीन का विरोध करने का अच्छा मौका प्रदान किया है। भारत सरकार इस मौके को भुनाकर लोगों को सिर्फ घरेलू उत्पाद खरीदने के लिए ही प्रेरित कर रही है। अब जिस तरह से चीन से आने वाले वस्तुओं को पोर्ट पर ही रोका जा रहा है उससे न सिर्फ चीन की हेकड़ी निकलेगी बल्कि देश भर के बाज़ार में चीनी वस्तुओं को कम करने में भी मदद मिलेगी।