लगता है भारत ने आखिरकार मान लिया है – बस, अब और नहीं। हाल ही में भारतीय उच्चायोग के दो अधिकारियों के साथ की गई प्रताड़ना के पश्चात भारत ने दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात पाकिस्तानी स्टाफ़ में कटौती करने का निर्णय लिया है। जिस समय भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंध लगभग न के बराबर हों, ऐसे में भारत का यह कदम काफी मायने रखता है।
पाकिस्तानी हाई कमीशन में अफेयर्स इंचार्ज सैयद हैदर शाह को तलब कर भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि अब नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन में नियुक्त स्टाफ में 50 प्रतिशत तक की कटौती होगी, और इसे सात दिनों में सुनिश्चित करना है, और इसी तरह पाकिस्तान में तैनात भारतीय हाई कमीशन में भारत अपने नियुक्त स्टाफ में 50 प्रतिशत तक कटौती करेगा।
अपने आधिकारिक बयान में विदेश मंत्रालय ने बताया, “पाकिस्तान और उसके अफसरों का व्यवहार वियना कन्वेंशन के ठीक विपरीत है। क्रॉस बॉर्डर हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति को यह देश अपना समर्थन देता है। इसीलिए भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वे नई दिल्ली में तैनात पाकिस्तानी हाई कमीशन के स्टाफ में 50 प्रतिशत तक कटौती करेगा। इस निर्णय पर पाकिस्तानी उच्चायुक्त को हर हाल में अमल करना होगा”।
Breaking:India to reduce strength of Pakistan high commission by 50% says MEA; Decision has to be implemented in 7 days pic.twitter.com/snw9AMELaz
— Sidhant Sibal (@sidhant) June 23, 2020
आखिर पाकिस्तान ने ऐसा क्या किया कि सरकार को ऐसा निर्णयात्मक कदम उठाना पड़ा? इसके लिए हमें जाना होगा कुछ हफ्ते पूर्व, जब भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के दो सदस्यों को धक्के मारकर बाहर निकाला था। आबिद हुसैन और मुहम्मद ताहिर को भारत सरकार ने ‘persona non grata’ करार देकर बाहर निकाला था, क्योंकि उनके पास भारतीय सेना से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज़ हाथ लगे थे।
बस, फिर क्या था, पाकिस्तान ने स्वभाव अनुसार अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिये। पाकिस्तानियों ने इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को परेशान करना शुरू कर दिया और यहाँ तक कि भारतीय उच्चायोग के प्रमुख सचिव गौरव अहलूवालिया तक को नहीं छोड़ा गया। परंतु हद्द तो तब हो गई जब पाकिस्तानियों ने कथित तौर पर एक फर्जी हिट एंड रन केस के आधार पर दो भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को अगवा किया और उनके साथ हर प्रकार की प्रताड़ना की। भारतीय सरकार, विशेषकर विदेश मंत्रालय द्वारा कड़ी आपत्ति जताए जाने पर ही पाकिस्तान उन दो अफसरों को छोड़ने पर विवश हुआ। जब वे भारत लौटे, तो उन दो अफसरों की आपबीती से साफ सिद्ध हुआ कि किस प्रकार ने पाकिस्तानी अफसरों ने उनका जीना मुश्किल कर दिया था, और शायद इसीलिए भारत सरकार ने तय कर लिया कि बस, अब बहुत हुआ। अब पाकिस्तानियों पर कोई रहम नहीं।
पाकिस्तानी उच्चायोग की वर्तमान स्टाफ़ संख्या करीब 110 है, जो एक हफ्ते में अब 55 के आसपास हो जाएगी। इतिहास साक्षी है कि किस तरह पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग का उपयोग दुनिया भर में जासूसी के लिए किया है, और भारत एकमात्र ऐसा देश नहीं है। लेकिन स्टाफ कटौती के निर्णय से भारत ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है, कि चाहे कुछ भी हो जाये, पर अब पाकिस्तान की गुंडागर्दी को और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे किसी भी स्तर की हो।