चीन दिन-प्रतिदिन भारत को युद्ध के लिए उकसा रहा है। अब चीन पूरे गलवान घाटी के ऊपर अपना हक जताने लगा है। ये वही क्षेत्र है जहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच 15 जून को झड़प हुई थी। और तब से दोनों देशों के बीच एक शीत युद्ध शुरू हो चुका है और चीन रोज-रोज युद्ध के नए बहाने ढूंढ रहा है। लेकिन इसी बीच भारत का साथी और Quad का महत्वपूर्ण सदस्य देश जापान ने चीन को स्पष्ट संदेश भेजा है कि अगर उसे भारत के साथ युद्ध करना होगा तो उसे जापान के हमले के लिए भी तैयार रहना होगा।
बता दें कि जापान ने अपने चीन सीमा के पास बैलिस्टिक मिसाइल तैनात किए हैं और चीन की हरकतों को देखते हुए यह द्वीप देश अपने एयर डिफेंस मजबूत कर रहा है। Asia News की रिपोर्ट के अनुसार जापान अपने Patriot Pac-3 MSE एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को चार मिलिटरी बेस पर तैनात करने वाला है। बता दें कि PAC-3 की अधिकतम रेंज 70 किलोमीटर है लेकिन PAC-3 MSE के आने से यह रेज़ 100 किलोमीटर तक बढ़ जाएगी।
गौरतलब है कि बीते दिनों में चीन और जापान के बीच भी समुद्री विवाद बढ़ा है और जापान ने चीन द्वारा East China Sea के द्वीपों पर एक अनधिकृत समुद्री सर्वेक्षण के खिलाफ विरोध भी दर्ज कराया था। ये सभी द्वीप जापान के समुद्री क्षेत्र में आते हैं लेकिन चीन अपनी विस्तारवादी नीति का नमूना दिखाते हुए इन सभी द्वीपों पर अपना अधिकार जमाता है। पिछले कुछ महीनों में कई चीनी जहाज जापान के द्वीपों जैसे सेनकाकू द्वीपों और मियाको और ओकिनावा द्वीपों के साथ-साथ निर्जन Diaoyu द्वीप के आस पास घूमते नजर आए।
चीन ने एक साथ भारत और जापान दोनों से ही युद्ध मोल लिया है, ऐसे में चीन का जापान से बच कर जाना नामुमकिन है। अगर युद्ध होता है तो पूर्वी क्षेत्र से चीन को तहस-नहस करने का एक मौका भी जापान अपने हाथ से नहीं जाने देगा। चीन के खिलाफ इस मोर्चेबंदी में जापान ने भारत का स्पष्ट समर्थन किया है। 15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प के बाद, जापान के राजदूत Satoshi Suzuki ने कहा था कि, “जापान भारत के लोगों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है।”
इसके अलावा, जापान एकमात्र ऐसा देश था जिसने उल्लेख किया था कि इस खूनी झड़प का प्रभाव ‘क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ेगा’।
ऐसा नहीं है कि भारत के साथ सिर्फ जापान ही खड़ा है, बल्कि अमेरिका भी भारत के साथ खड़ा है और बार्डर पर होने वाले तनाव का कारण चीन को बताया है। इन तीनों ही महत्वपूर्ण देशों का एक साथ मिल जाना चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। रणनीतिक दृष्टि से भी चीन अब चारों तरफ से घिर चुका है। अमेरिका के तीन-तीन एयरक्राफ्ट कैरियर प्रशांत महासागर में चक्कर लगा रहे हैं। दो एयरक्राफ्ट कैरियर यानि USS Ronald Reagan और USS Theodore Roosevelt पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में, और एक USS Nimitz पूर्वी क्षेत्र में घूम रहा है। अमेरिका के इस कदम से चीन दक्षिणी चीन सागर में घिरा हुआ है। अगर भारत और चीन का विवाद बढ़ता है तो चीन भारत के खिलाफ अपनी नौसेना का इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसके साथ ही Indo-Pacific क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया भी चीन के खिलाफ उतर चुका है जिससे किसी भी स्थिति में फायदा भारत को ही होगा। ऑस्ट्रेलिया भी दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया चीन के खिलाफ कोरोना के मामले पर खुल कर बोलने के कारण उसका आर्थिक प्रतिबंध झेल रहा है। देखा जाए तो ये चारों देश चीन से परेशान हैं।
इसी कारण से Quad का गठन भी हुआ था जिससे चीन के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सके।
अब ऐसा मौका आया है जिससे इस संगठन का महत्व और भी अधिक हो गया है। यानि अगर चीन भारत पर हमला करने की कोशिश करता है तो उसे Quad के बाकी देश यानि जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से टक्कर लेने के लिए तैयार रहना होगा। जापान ने अपने मिसाइल और एयर डिफेंस की तैनाती से यही संकेत दिया है। अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो चीन का धूल-धूसरित होना तय है।