वुहान वायरस के कारण चीन दुनिया से पूरी तरह अलग थलग पड़ रहा है। इंपोर्ट और एक्सपोर्ट रसातल में जा रहे हैं, औपनिवेशिक मानसिकता के कारण अधिकांश देश उसके शत्रु बन चुके हैं, चीनी उत्पादन का वैश्विक स्तर पर बहिष्कार किया जा रहा है, और चीन में बसे कई विदेशी कम्पनियां अब या तो एक नए देश में बसना चाहते हैं या फिर अपने मूल देश वापिस जाना चाहते हैं। परन्तु अब स्थिति ऐसी बन चुकी है कि अलीबाबा और टिक टॉक जैसी चीनी कम्पनी भी चीन से नाता तोड़ने में लगी हुई है।
अभी हाल ही में अलीबाबा कम्पनी के सीईओ जैक मा ने घोषणा की थी कि वे संकट की इस घड़ी में दुनिया की मदद के लिए आगे आएंगे, और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साथ वैश्विक स्तर पर जॉब्स के लिहाज से भी सहायता करेंगे। जैक मा ने कुछ महीनों पहले इसी परिप्रेक्ष्य में एक बयान में कहा था कि ये महामारी खत्म करना किसी एक देश के बस की बात नहीं है।
इसके अलावा अलीबाबा का ई कॉमर्स विंग अली एक्सप्रेस ने कहा है कि वे अगले कुछ महीने में अपने ऑपरेशंस को बढ़ावा देना चाहते हैं, और वैश्विक जॉब संकट में कमी को पाटने हेतु वह 1 लाख से अधिक कॉन्टेंट इन्फ्लुएंसर को इतना शक्तिशाली बनाना चाहते हैं कि वे खुद लाखों की संख्या में दुनिया भर के लोगों के लिए रोजगार आकर्षित कर सकें।
अब इसका क्या अर्थ है? इसका अर्थ स्पष्ट है – अलीबाबा इस निर्णय से एक तीर दो निशाने वाली कहावत सिद्ध करेगी। एक तो वह वैश्विक रूप से अपनी सक्रियता बढ़ाएगी, और दूसरा, उसे चीन से टिक टॉक की भांति अपना बोरिया बिस्तर समेटने में आसानी भी होगी।
पर ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह से वुहान वायरस चीन की कृपा से दुनिया भर में फैला है, उसके कारण ना सिर्फ चीन से व्यापार करने से पहले कोई भी देश दस बार सोचेगा, अपितु अधिकांश विश्व ये महामारी खत्म होने के पश्चात चीन को कहीं का नहीं छोड़ने के लिए कमर कस चुका है। ऐसे में अब अलीबाबा और टिक टॉक जैसी चीनी कंपनी भी चीन छोड़ने के लिए उतारू है।
अभी कुछ ही हफ्तों पहले प्रकाशित रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार टिक टॉक के स्वामित्व संभालने वाली बाइट डांस कम्पनी ने अपनी सक्रियता चीन छोड़कर अमेरिका में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है।
बाइट डांस (ByteDance) ने यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि वुहान वायरस से उबरने के बाद जब दुनिया भर के देश चीन पर कार्रवाई करें, तो उसकी आंच कम्पनी पर न पड़े। इसीलिए बाइट डांस अपने गैर चीनी उद्योगों को चीन से निकालने के लिए दिन रात एक किए पड़े है। इसी परिप्रेक्ष्य में कुछ हफ्तों पहले डिज्नी कम्पनी के स्ट्रीमिंग प्रमुख केविन मेयर से ना सिर्फ बातचीत की है, अपितु उन्हें बाइट डांस के कुछ कार्यों को संभालने के लिए निमंत्रित भी किया है।
वैसे भी टिक टॉक एप पर चीन के लिए काम करने, यूज़र डेटा को चोरी छुपे चीन की सरकारी एजेंसियों को सौंपने के आरोप लगे हैं। ये ना सिर्फ यूजर्स की निजता का हनन है, अपितु कई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है। इसके अलावा टिक टॉक पर चीनी प्रभाव इस हद तक है कि चीन की सरकार यह ऑर्डर दे सकती है कि वह क्या कॉन्टेंट चला सकती है, और क्या नहीं। द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे चीन टिक टॉक पर कोई भी ऐसा कॉन्टेंट हटाने की क्षमता रखता है, खासकर जो चीन विरोधी है ।
आग से खेलने का परिणाम अक्सर घातक होता है, और शायद ये बात अब चीन को भली भांति पता चल चुकी होगी। एक के बाद एक आर्थिक झटके खाने के बाद अब उसके खुद के कम्पनी चीन से पलायन कर रहे हैं, जो निस्संदेह जिनपिंग प्रशासन के लिए शुभ संकेत नहीं है। जिस तरह से दुनियभर में चीन की लापरवाही और उसकी नीतियों को आलोचना झेलनी पड़ रही है उसका प्रभाव अलीबाबा और टिकटॉक पर भी पड़ रहा है। ऐसे में लगता हा कि इन दोनों ही कंपनियों ने चीन और कंपनी में से अपनी कंपनी को बचाने का विकल्प चुना है।