वामपंथियों की एक बेहद ही घटिया आदत होती है। जब ये लोग अपने विरोधी को तर्क या उदाहरण से परास्त नहीं कर पाते हैं, तो ये लोग इधर-उधर की बेतुकी बातें करके विरोधी की नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे। कुछ ऐसा ही हुआ जब वुहान वायरस पर पीएम मोदी को नीचा दिखाने के लिए वामपंथियों ने न्यूजीलैंड का गुणगान करना शुरू कर दिया, जिसने हाल ही में अपने आप को वुहान वायरस से मुक्त घोषित किया है।जब से भारत के बुद्धिजीवियों को यह बात पता चली है, तब से उन्होंने न्यूजीलैंड को सर पर चढ़ा रखा है। निस्संदेह न्यूजीलैंड ने इस महामारी की रोकथाम के लिए सराहनीय काम किया है, पर भारत से उसकी तुलना करना और न्यूजीलैंड मॉडल को भारत में दोहराने की बात करना एक बेहद हास्यास्पद सुझाव है। हालांकि, ये बुद्धिजीवी भारत के सफल मॉडल बेंगलुरु मॉडल को पूरी तरह नकार रहे हैं, जहां न्यूजीलैंड से दोगुनी जनसंख्या होते हुए भी ना सिर्फ कोरोना के कम मामले सामने आए हैं, बल्कि कम लोग भी मरे हैं।
बता दें कि अभी कुछ ही दिन पहले न्यूजीलैंड के आखिरी सक्रिय वुहान वायरस मरीज़ को डिस्चार्ज किया गया था, जिसके बाद अब न्यूजीलैंड फिलहाल के लिए वुहान वायरस मुक्त हो चुका है। न्यूजीलैंड में अब तक 1504 लोग इस महामारी से संक्रमित पाए गए थे, और 22 लोग इस महामारी से मारे गए थे।
परन्तु वामपंथी जिस एक मॉडल पर ध्यान नहीं दे रहे, या ध्यान देना नहीं चाहते हैं, वह है कर्नाटक का बेंगलुरु मॉडल। जहां दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहर इस समस्या से निपटने में असफल रहे हैं, तो वहीं बेंगलुरु शहर एक आदर्श उदाहरण की तरह उभर कर सामने आया है। यदि आप बेंगलुरु मॉडल का विश्लेषण करें तो आपको समझ आ जायेगा कि कैसे भारत के अपने सिलिकॉन वैली माने जाने वाले इस शहर ने वुहान वायरस से अपनी जंग में काफी हद तक सफलता पाई है।
सबसे पहले शुरू करते है आंकड़ों के विश्लेषण से। न्यूजीलैंड की कुल जनसंख्या मात्र 50 लाख है, जबकि बेंगलुरु की कुल जनसंख्या न्यूजीलैंड के दोगुने से भी ज़्यादा है। इसके बाद भी बेंगलुरु ने न्यूजीलैंड के 1504 मामलों की तुलना में अब तक मात्र 450 मामले दर्ज किए हैं, जिसमें 20 से भी कम लोगों की जान गयी है-
NZ has a population of just 50 lakh. Smaller than the average Indian city.
It still had 1,150 cases. 22 deaths.Bengaluru has more than double the population, 1.25 crores. It has reported less than 450 cases. 13 deaths.
— Rishvanjas Rishi Raghavan (@RishvanjasR) June 8, 2020
आर्थिक दृष्टि से भी देखें तो न्यूजीलैंड और बेंगलुरु शहर में ज़मीन आसमान का अंतर है। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के पास अपने अर्थव्यवस्था को बंद करने का विकल्प हमेशा उपलब्ध था, क्योंकि उन्हें जनसंख्या और अर्थव्यवस्था की समस्या की कोई चिंता नहीं थी, पर बेंगलुरु को यह सुविधा नहीं मिली थी।
पर बात सिर्फ जनसंख्या के घनत्व की नहीं है। न्यूजीलैंड इसलिए भी वुहान वायरस से अपनी लड़ाई जीत पाया क्योंकि वह भौगोलिक रूप से एक सीमा विहीन, अकेला द्वीप देश है। जबकि बेंगलुरु भारत का आईटी हब है, जहां देश ही नहीं, दुनिया के कोने कोने से लोग आते रहते हैं।
लंदन स्कूल ऑफ फार्मेसी की वरिष्ठ टीचिंग फैलो ओक्साना पिजिक ने बताया, ” एक एकल द्वीप देश, जिसपे जनसंख्या कम है, वहां का COVID 19 से निपटने का मॉडल ज़रूरी नहीं है कि दुनिया भर के अन्य देशों में भी उतनी से सफलता से लागू किया जा सकेगा”।
बेंगलुरु में जिस तरह की स्थिति थी, वहां मुंबई जैसे हालात बन सकते थे, यदि प्रशासन ने सतर्कता नहीं बरती होती। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री अश्वथ नारायण ने बताया, “जब हमें ज्ञात हुआ कि बेंगलुरु में वुहान वायरस से संक्रमित देशों से लोग बड़ी संख्या में आ सकते हैं, तो हमें एक सधे हुए योजना के अनुसार चलना था और हमें सुनिश्चित करना था कि हमारी तैयारियों में कोई कमी नहीं रह जाए। 1 लाख 40 हज़ार से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई और उनकी यात्रा और अन्य गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखी गई। उनके प्राइमरी और सेकेंडरी कॉन्टैक्ट भी निगरानी में रखे गए”।
जिन क्षेत्रों में वुहान वायरस ज़्यादा फैला हुआ था, वहां पर कर्नाटक के वर्तमान प्रशासन ने पैनी नजर रखी हुई थी। बेंगलुरु पुलिस ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को काफी कुशलता से लागू कराया। स्पेशल कमिश्नर और Covid-19 सर्विलांस इंचार्ज एम लोकेश ने कहा, “जब भी कोई मामला डिटेक्ट होता, हम तुरंत कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग प्रारंभ कर देते थे। हमने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी”।
बेंगलुरु में इस महामारी को रोकना कोई आसान काम नहीं था, पर जिस तरह से बेंगलुरु ने इसे अंजाम दिया, वह न्यूजीलैंड के प्रशासन से कम सरहनीय नहीं था। हम न्यूजीलैंड की मेहनत का मज़ाक नहीं उड़ा रहे हैं, परंतु हम अपने सुपर एजुकेटेड वामपंथियों द्वारा सफल बेंगलुरु मॉडल को नज़रअंदाज़ करने को एक्सपोज कर रहे हैं। हमें अपने देश के उदाहरणों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वुहान वायरस को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं। यह भारत के लोगों और प्रशासन को ज़्यादा और ज़्यादा प्रेरित करेगा।