मलेशिया ने हुवावे का दम घोंटा, इंडोनेशिया ने गर्दन से पकड़ लिया, Island देशों ने चीन को रगड़ने की पूरी तैयारी कर ली है

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दुनियाभर में चीन के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बीच अब दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने भी चीन के खिलाफ कड़ रुख अपनाना शुरू कर दिया है। दक्षिण पूर्व एशिया के कई देश पिछले कई दशकों से चीन की गुंडागर्दी को झेलते आए हैं। हालांकि, कोरोना के समय में जब चारों ओर चीन के खिलाफ माहौल बना है, तो दक्षिण पूर्व एशियाई देश भी इससे अछूते नहीं है। पिछले कुछ दिनों में मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों ने चीन के खिलाफ कई बड़े कदम उठाए हैं। मलेशिया ने जहां हुवावे के खिलाफ कदम उठाकर चीन को रणनीतिक नुकसान पहुंचाया है, तो वही इंडोनेशिया ने चीन को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए कमर कस ली है।

दरअसल, हाल ही में मलेशिया की एक बड़ी टेलिकॉम कंपनी Axiata ने यह ऐलान किया था कि वह देश में 5जी तकनीक लाने के लिए सिर्फ हुवावे के साथ काम नहीं करेगी, बल्कि वह स्वीडन की एरिक्सन कंपनी के साथ भी साझेदारी को बढ़ाना चाहेंगे। मलेशिया के 5जी मार्केट में अभी equipment की सप्लाई के लिए हुवावे एक मात्र दावेदार है। हालांकि, Axiata के नए ऐलान से मलेशिया में 5जी के लिए हुवावे पर से निर्भरता खत्म हो सकती है। मलेशिया के 5जी बाज़ार में एरिक्सन की एंट्री होना हुवावे और चीन के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है। मलेशियाई कंपनी ने हुवावे को मलेशिया में बड़ा झटका दिया है।

इसी के साथ चीन के लिए इंडोनेशिया से भी बहुत बुरी खबर आई है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो पिछले कुछ दिनों से लगातार चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए हैं। हाल ही में उन्होंने दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को लेकर चीन की ओर से समझौते के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। दरअसल, पिछले दिनों इंडोनेशिया ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के वर्ष 2016 के चीन विरोधी फैसले को अपना समर्थन जताते हुए UN को एक पत्र में कहा था कि वे दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को खारिज करते हैं और चीन के सभी दावे एकतरफा हैं। इसके जवाब में चीन ने UN को कहा था कि उनका इंडोनेशिया से कोई जमीनी विवाद नहीं है, सिर्फ समुद्र में दोनों ये दोनों देशों का छोटा विवाद है। चीन ने यह भी कहा था कि वे इंडोनेशिया के साथ इस विवाद को समझौते के जरिये सुलझाना चाहते हैं, लेकिन इंडोनेशिया चीन के साथ किसी भी तरह के समझौते को पक्का करने के समर्थन में नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इंडोनेशिया के मुताबिक समुद्र में उसका दावा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत है, जबकि चीन का दावा उसकी इच्छा के तहत। बता दें कि चीन हमेशा तथाकथित ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर पूरे दक्षिण चीन महासागर पर अपना अधिकार जमाता आया है, जिसे वियतनाम, फिलीपींस, ताइवान, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देश नकारते आए हैं।

हालांकि, इंडोनेशिया की ओर से चीन को यह सिर्फ इकलौता झटका नहीं है। इंडोनेशिया जकार्ता-बांडुंग हाई स्पीड रेलवे प्रोजेक्ट पर भी चीन को जल्द ही झटका दे सकता है। दरअसल, चीन की कंपनी ने कुछ समय पहले जापान को bidding में हराते हुए इस प्रोजेक्ट पर काम करने की शुरुआत की थी, जिसे जून 2021 तक पूरा होना था। यह प्रोजेक्ट कुल 6 बिलियन डॉलर का है। हालांकि, चीनी कंपनी इसे पूरा करने में न सिर्फ आनाकानी कर रही है, बल्कि देरी के कारण इस प्रोजेक्ट पर खर्च बढ़ने का भी खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में इंडोनेशिया की सरकार ने जकार्ता-बांडुंग हाई स्पीड रेलवे प्रोजेक्ट के लिए दोबारा जापान को भी शामिल होने के लिए न्यौता भेजा है। इस प्रकार जल्द ही जापानी कंपनी इस प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेकर इसपर काम शुरू कर सकती है।

दक्षिण पूर्व एशिया के दो बड़े देशों द्वारा चीन को जिस प्रकार झटके दिये जा रहे हैं, वो दोबारा इस बात को प्रमाणित करता है कि चीन के खिलाफ दुनियाभर की सरकारों में अब गुस्सा पैदा हो गया है। चीन जिस प्रकार सदियों से इन देशों को सताता आया है, उसके बाद अब इन देशों ने चीन को सबक सिखाने की पूरी तैयारी कर ली है।

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