कोरोना के बाद देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा रास्ते पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी मुहिम को लॉंच कर चुके हैं, जिसके तहत लोगों को सिर्फ भारत में बने सामान को ही खरीदने के लिए कहा जा रहा है। दुनिया के अन्य देशों की तरह ही भारत में भी चीन विरोध अपने चरम पर है। पहले कोरोना, और फिर लद्दाख में चीन की गुंडागर्दी से भारत के लोगों में भी चीनी सामान का बहिष्कार करने का उत्साह देखा जा सकता है। इसी बीच भारत में व्यापारियों की टॉप बॉडी कंफडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स यानि CAIT ने चीनी सामान का बहिष्कार कर अगले साल के अंत तक चीन को 1 लाख करोड़ रुपये का घाटा पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। यह चीन के लिए असहनीय आर्थिक झटका साबित होगा।
बता दें कि CAIT ने करीब 3,000 ऐसी वस्तुओं की लिस्ट बनाई है जिनका बड़ा हिस्सा चीन से आयात किया जाता है, लेकिन जिनका विकल्प भारत में मौजूद है या तैयार किया जा सकता है। CAIT ने जिन वस्तुओं की सूची बनाई है, उनमें मुख्यत: इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, एफएमसीजी उत्पाद, खिलौने, गिफ्ट आइटम, कंफेक्शनरी उत्पाद, कपड़े, घड़ियां और कई तरह के प्लास्टिक उत्पाद शामिल हैं। अब CAIT इन्हें भारत के निर्माताओं से ही खरीदने की कोशिश करेगा, जिससे “वॉकल फॉर लोकल” मुहिम को बढ़ावा मिलेगा।
इस बात में किसी को कोई शक नहीं है कि भारत के लोग भी अब चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर बेहद उत्साहित हैं। सोशल मीडिया पर “BoycottChina” के trends देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा सोनम वांगचुक जैसे प्रभावशाली लोग भी चीनी सामान का बहिष्कार करने की मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। हाल ही में किए गए Live Hindustan के एक सर्वे में इस बात का भी पता चला था कि भारत में लगभग 91.26 प्रतिशत लोग चीनी सामान का बहिष्कार करने के पक्ष में हैं। ऐसे में जब लोग भी चीनी सामान का बहिष्कार करना चाहते हैं, तो CAIT ने इसे अपना समर्थन देते हुए चीनी सामान को नहीं खरीदने का ही फैसला किया है।
अभी हर साल भारत ट्रेड डेफ़िसिट के रूप में कई बिलियन डॉलर चीन पर लुटा देता है। उदाहरण के लिए वर्ष वर्ष 2019-20 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 81.6 अरब डॉलर का हुआ था जिसमें से चीन से आने वाला माल यानी आयात करीब 65.26 अरब डॉलर का था, और भारत चीन को सिर्फ 16 अरब डॉलर ही एक्सपोर्ट कर पाया था। यानि चीन के साथ व्यापार करने पर भारत को हर साल लगभग 50 अरब डॉलर का नुकसान होता है।
ऐसे में अगर भारत के लोग चीनी सामान का बहिष्कार करने का फैसला ले लेते हैं, तो चीन को इससे बड़ी पीड़ा पहुंचेगी। इसका नमूना हमें देखने को भी मिल चुका है, जब हाल ही में चीनी सामान के बहिष्कार करने को लेकर चीन के सरकारी अखबार global times ने भारत को धमकी जारी की थी।
Global times ने अपने एक लेख में लिखा था “भारत में राष्ट्रवादियों ने चीन को बदनाम करने की कोशिश की है, लेकिन चीनी उत्पादों के बायकॉट की नीति सफल नहीं होगी। चीन के उत्पादन भारतीयों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं और उन्हें रिप्लेस करना मुश्किल होगा”।
Global times द्वारा यह जहर उगलने के बाद भारतीय ट्रेडर्स बॉडी ने चीन को अब मज़ा चखाने का मन बना लिया है। चीन की चुनौती स्वीकारने के बाद CAIT ने चीन को 1 लाख करोड़ का झटका देने का प्लान बना लिया है। चीन और भारत की आर्थिक लड़ाई शुरू हो चुकी है, इसमें आपको भी पूरे संकल्प के साथ मैदान में उतरना होगा और चीन पर “आर्थिक बहिष्कार” के गोले दागने होंगे।