हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने जी7 को “पुराना” बताते हुए इसकी समिट को टालने का ऐलान किया था, और इसके साथ ही जी7 में भारत, ऑस्ट्रेलिया , दक्षिण कोरिया और रूस को शामिल करने की बात कही थी। इसके बाद कल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प ने फोन पर बातचीत की, और भारत ने जी7 में शामिल होने के लिए अपनी स्वीकृति दे दी। इसके साथ ही पीएम मोदी ने इस साल होने वाली जी7 समिट में शामिल होने के लिए भी हाँ कर दी। हालांकि, रूस ने जी7 को “पुराना” बताते हुए इसमें शामिल होने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि बिना चीन के कोई भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन अधूरा रहेगा। ऐसे में रूस अब जी7 देशों का साथ नहीं देगा और जी7 भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के आने के बाद अब बदलकर जी10 हो जाएगा। यह जी10 ही भविष्य में दुनिया का नेतृत्व करेगा।
PM Narendra Modi had a telephone conversation today with US Pres Donald Trump. Pres Trump extended an invitation to PM Modi to attend the next G-7 Summit to be held in USA: Prime Minister's Office pic.twitter.com/HhwLnhRJwH
— ANI (@ANI) June 2, 2020
ट्रम्प ने दुनिया के इन 10 बड़े देशों को ऐसे समय में साथ बुलाया है जब दुनियाभर में चीन के विरोध में आवाज़ उठाई जा रही है। ये सभी देश मिलकर भविष्य में कोई भी चीन विरोधी नीति अपना सकते हैं, जिसने चीन को सबसे ज़्यादा चिंता में डाल दिया है। चीन ने ट्रम्प के इस कदम पर गहरी आपत्ति जताई है और कहा है कि ट्रम्प की यह “गुटबंदी” किसी काम नहीं आएगी। हाल ही में ट्रंप ने जी-7 की बैठक सितंबर तक के लिए स्थगित करते हुए कहा था कि इस ”पुराने पड़ गए संगठन का विस्तार किया जाए तथा इसमें भारत और तीन अन्य देशों को शामिल किया जाए तथा इसे जी10 या जी-11 बनाया जाए”।
एक बार अगर G10 अपने असल स्वरूप में आ जाता है तो इसमें अमेरिका, कनाडा, UK, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया शामिल होंगे। गौर किया जाये तो इन सब देशों में केवल भारत ही विकासशील देश है और बाकी सभी देश विकसित हैं। यह दर्शाता है कि भारत की सफल कूटनीतिक और रणनीतिक साझेदारी के कारण वैश्विक परिस्थिति में आज भारत की भूमिका काफी बढ़ चुकी है।
बता दें कि अमेरिका अभी ना सिर्फ इन सब देशों के साथ मिलकर चीन पर आर्थिक प्रहार करने की योजना बना रहा है, बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था को दोबारा खोलने की भी योजना पर काम कर रहा है। अमेरिका भारत, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूके जैसे देशों के साथ मिलकर चीन को वैश्विक सप्लाई चेन से बाहर करना चाहता है। ऐसे में भारत के पास भी दुनिया का manufacturing hub बनने का सुनहरा मौका है। भारत के पास चीन को पछाड़ने का यह अच्छा अवसर है।
दुनिया के 10 बड़े देशों का एक साथ आना चीन के लिए सबसे बड़ी खतरे की घंटी है। अभी हाल ही में यूके ने भी इन 10 देशों के साथ D-10 समूह बनाने का भी प्रस्ताव रखा था, ताकि 5जी तकनीक के लिए चीन को इन देशों के तंत्र से बाहर रखा जा सके और ये देश आपस में 5जी तकनीक पर साथ मिलकर काम कर सकें।
साफ है कि जिस प्रकार दुनियाभर के देश चीन को सबक सिखाने के लिए गुटबंदी कर रहे हैं, वह चीन को पीड़ा तो बहुत पहुंचा रहा होगा। हालांकि, चीन के पास इस पीड़ा सहने के अलावा कोई और विकल्प भी मौजूद नहीं है। चीन ने कोरोना फैलाने के बाद जिस प्रकार हाँग-काँग, भारत-तिब्बत सीमा और दक्षिण चीन सागर में गुंडागर्दी मचाई है, यह उसी का परिणाम है कि सब देश अब मिलकर चीन को सबक सिखाने वाले हैं।