“भारत में कोरोना के 15 करोड़ मामले”, डेटा विशेषज्ञ योगेन्द्र यादव को sample population और population में फर्क नहीं पता

योगेन्द्र यादव ने ट्विटर पर लॉजिक का बेरहमी से गला घोंट दिया

योगेन्द्र यादव

कुछ लोगों पर “थोथा चना-बाजे घना” वाली कहावत एक दम सार्थक सिद्ध होती है। ऐसे लोग अक्सर हौ-हल्ला बहुत मचाते हैं, लेकिन वे कुछ भी ठोस निष्कर्ष पर कभी पहुंच ही नहीं पाते हैं। अक्सर वे हंसी का पात्र बनके ही रह जाते हैं। ऐसे ही एक महान व्यक्ति हैं योगेन्द्र यादव, जो कहने को चुनावी विशेषज्ञ के साथ साथ डेटा विशेषज्ञ भी हैं, परंतु अभी हाल ही में अपने एक ट्वीट थ्रेड के माध्यम से जनाब ने साफ कर दिया कि आखिर क्यों उन्हें कोई कभी सिरियस नहीं लेता!

अभी हाल ही में योगेन्द्र यादव वुहान वायरस के संबंध में ट्विटर पर बेतुके दावे करते पकड़े गए। जनाब ने एक लंबे चौड़े ट्वीट थ्रेड में एक डेटा सेट के साथ अपना प्रवचन देना शुरू किया। योगेन्द्र ने लिखा , “क्या सरकार ने मान लिया है कि देश में 15 करोड़ से ज़्यादा लोग वुहान वायरस से संक्रमित हैं, और 1 लाख से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं? यदि आपको मुझपर यकीन नहीं होता, तो इस थ्रेड को पढ़िये” –

 

इसके बाद जनाब ICMR के डेटा का उदाहरण देते हुए अगले कुछ ट्वीट्स में बताते हैं, “0.73 प्रतिशत जनसंख्या वुहान वायरस से संक्रमित है। वुहान वायरस की वैश्विक पॉज़िटिविटी रेट, जो 254 प्रति मिलियन है,  वह भारत के पॉज़िटिविटी रेट से बहुत पीछे है, जोकि 7300 प्रति मिलियन है।

इसका मतलब आप जानते हैं, चूंकि भारत की जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक है, और अब तक की कैलक्युलेशन के अनुसार जनसंख्या के हिसाब से कुल संक्रमित लोग 15 करोड़ से कम नहीं हो सकते, और अब तक शायद 1 लाख से अधिक लोग इस महामारी से मर चुके होंगे” –

 

ऐसा बिलकुल भी मत सोचिए कि योगेन्द्र सलीम यादव की बेवकूफी यहीं तक सीमित थी। जनाब ने  ICMR और केंद्र सरकार पर उंगली उठाते हुए सच्चाई छुपाने का आरोप लगाया है। उनके ट्वीट के अनुसार, “सरकार को जवाब देना चाहिए। क्या वो अभी भी ICMR के डेटा पर विश्वास करती है? इस सर्वे के टेक्निकल डीटेल्स कहाँ है? सरकार इस सर्वे के बाकी भाग कब बाहर लाएगी?” –

 

कुछ लोगों को यूं ही ट्यूबलाइट नहीं बोला जाता, वे अपने हरकतों से इस उपाधि को सिद्ध भी करते हैं। अपने आप को psephologist बोलने वाले योगेन्द्र यादव, क्या आपको इतना भी नहीं पता कि किसी भी सर्वे में sample पॉप्युलेशन देश की सम्पूर्ण जनसंख्या नहीं होती? शायद जनाब बीबीसी certified डॉक्टर रमानन लक्ष्मीनारायण के साथ ज़्यादा उठने बैठने लगे हैं, तभी डेटा को आधार बना इस प्रकार की अफवाह फैलाते फिर रहे हैं। जिस समय पूरी दुनिया इस महामारी से जूझ रही है, उस समय ऐसी अफवाह फैलाकर लोगों में डर पैदा करना कहाँ की समझदारी है? जिस प्रकार चुनाव से पहले ये महान विश्लेषक झूठे और हवाई opinion पोल जारी कर लोगों के मत को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, ऐसे ही योगेन्द्र यादव कोरोना के मामले पर भी कर रहे हैं। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि मानव का शरीर और बायोलॉजी किसी गणित के फोर्मूले के आधार पर काम नहीं करती है।

भारत सरकार ने इस विषय पर काफी सहजता से सारा डेटा सार्वजनिक किया है, और ऐसे में उसपर सच्चाई छुपाने का आरोप लगाना अपने आप में काफी हास्यास्पद है। पत्रकारिता पर लॉकडाउन के दौरान भी किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गयी।  जो मीडिया हाउस दिन रात मोदी को खरी-खोटी सुनाते हैं, उन्होने भी केंद्र सरकार के डेटा को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है।

गणित मॉडलिंग और रैंडम सैंपलिंग के आधार पर स्वास्थ्य समस्या का आंकलन करना हमेशा से ही एक बेवकूफी भरा निर्णय रहा है, क्योंकि हर देश की स्थिति एक समान नहीं होती। योगेन्द्र यादव की अफवाहों ने अगर ज़रा भी सुर्खियां बटोरी होती, तो उससे देश में ऐसा उपद्रव हो सकता था, जिसे संभालने में बहुत समय लगता, और विडम्बना की बात तो यह है कि कुछ मीडिया हाउस यह काम शुरू भी कर चुके हैं। महामारी के समय अपने फ़ायदे के लिए इस प्रकार से अफवाह फैलाना कोई अनैतिक व्यक्ति ही कर सकता है, और यह कहना गलत नहीं होता कि योगेन्द्र यादव ने एक बार फिर अपनी नीचता सिद्ध की है।

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