भारत और चीन के बीच बढ़ते बॉर्डर तनाव के बीच अब अमेरिका ने भी चीन पर अपनी कार्रवाई को तेज़ कर दिया है। चारो तरफ से घिरे ड्रैगन को सबक सिखाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उइगर और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन द्वारा किए गए कुकृत्यों के लिए चीन को दंडित करने वाले विधेयक पर हस्ताक्षर किया है। इस बिल की टाइमिंग को देखा जाए तो यह स्पष्ट पता चल रहा है कि इसे जान बूझकर भारत और चीन के बढ़ते विवाद के बीच में ही लाया गया है। यानि डोनाल्ड ट्रम्प ने इशारा कर दिया है कि इस बार चीन को वे बच कर जाने देने वाले नहीं हैं।
इस अमेरिकी विधेयक में चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में में उइगर मुस्लिमों और अन्य जातीय समूह के लोगों की बड़े स्तर पर निगरानी और उन्हें हिरासत में लेने वाले चीन के अधिकारियों पर प्रतिबंध का प्रावधान शामिल है।
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय के मानवाधिकारों की चीन द्वारा धज्जियां उड़ाई जाती है। अब अमेरिका के नए कानून से चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले पर कहा कि,“उइगर मानवाधिकार नीति कानून, 2020 से मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों को जवाबदेह ठहराया जा सकता है। इन मानवाधिकार उल्लंघनों में चीन में उइगरों और अन्य अल्पसंख्यकों का जबरन धर्म परिवर्तन करने वाले शिविर, जबरन मजदूरी और जातीय एवं धार्मिक पहचान मिटाने की कोशिश करना शामिल है।“
अमेरिका में बने इस कानून के अनुसार उइगर मुस्लिमों के साथ चीन में उत्पीड़न करने वाले चीनी अधिकारियों की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी और उनके अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लग जाएगा। चीन सरकार 2016 से ही उइगर मुसलमानों को गिरफ्तार कर शिविरों में रख रही है, जिन्हें वह वोकेशनल एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर कहता रहा है।मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन ने करीब 10 लाख उइगर और अन्य मुसलमानों को जबरन कैंपों में कैद कर रखा है और उन्हें इस्लाम धर्म से दूर करने की कोशिश की जाती है। ऐसी खबरें आती रही हैं कि, उइगर शिवरों में इस्लाम के प्रति घृणा फैलाने, इस्लाम के खिलाफ निबंध लिखने, इस्लामिक मान्यताओं के खिलाफ भड़काने और घृणा फैलाने जैसी तमाम शिक्षाएं दी जाती हैं। यहां तक कि, उन्हें सूअर का मांस खाने और शराब पीने के तक लिए मजबूर किया जाता है जो मुस्लिम धर्म में वर्जित माना जाता है।और फिर इन उइगर मुसलमानों का ‘पुन: शिक्षा’ के कैंप के बाद फैक्ट्रियों में बंधुआ मजदूर की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
चीन के खिलाफ अमेरिका के इस एक्शन की टाइमिंग सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी चीन भारत के साथ बॉर्डर पर विवाद पैदा कर रहा है और उसे युद्ध में बदलने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में चीन पर दूसरे तरफ से दबाव बनाना आवश्यक है जिससे उसका ध्यान बॉर्डर से हटे और अमेरिका, हाँग-काँग और ताइवान की तरफ जाए। वैसे तो भारत ने चीन के कायतरपूर्ण हमले का जवाब दिया है लेकिन उतना काफी नहीं है। चीन को बड़े स्तर पर सबक सिखाना होगा। और इसी वजह से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के खिलाफ इस विधेयक को पारित किया है। यानि एक तरह से देखा जाए तो वह भारत चीन विवाद में परोक्ष रूप से कूद पड़े हैं और चीन पर दबाव बनाने के लिए अपना पहला कदम उठा दिया है।
चीन पर अभी चारो ओर से दबाव बढ़ता जा रहा है। एक तरफ ताइवान ने पहले से चीन के विरोध में मोर्चा खोला हुआ है, तो वहीं हाँग-काँग में चीन के खिलाफ प्रोटेस्ट दिन-प्रति-दिन बढ़ते जा रहे हैं। हाँग-काँग पर कब्जा करने की मंशा से लाये गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की विश्व भर में आलोचना हो रही है तथा अमेरिका और यूके सहित EU के देश चीन पर इस कानून को लेकर दबाव बना रहे हैं। इसके साथ चीन का भारत के साथ बॉर्डर विवाद भी अपने चरम पर है। अभी चीन के पास पीछे हटने के आलवा कोई और रास्ता नहीं है। डोनाल्ड ट्रम्प पहले से ही भारत और चीन के बढ़ते तनाव में भारत का साथ देने के इशारे दे रहे थे। अब यही उन्होंने उइगर मामले पर कानून बनाकर किया है। अब देखना यह है कि चीन ऐसे समय में क्या कदम उठता है।