सचिन पायलट के कांग्रेस में बगावती रुख के बाद निकाले जाने से युवा नेताओं में रोष देखने को मिल रहा है। पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब सचिन पायलट जैसे दो बड़े युवा नेताओं के जाने से कांग्रेस के अंदर अन्य युवा नेताओं का मनोबल अब टूटने लगा है। ऐसा लगता है कि युवा नेताओं के बीच कांग्रेस की दीवार धसक चुकी है। इससे आने वाले समय में कई नेता सचिन पायलट की तरह बगावती रूख अपना सकते हैं।
दरअसल, सचिन पायलट के साथ जिस तरह का व्यवहार कांग्रेस ने किया है उससे जितन प्रसाद और प्रिय दत्त जैसे कई अन्य युवा नेताओं को दुख हुआ है और इन नेताओं ने सचिन पायलट के पक्ष में बयान दिया है। कांग्रेस नेता और संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त ने ट्वीट कर कहा, ‘एक और दोस्त ने पार्टी छोड़ दी है। सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों के साथ ही मैंने काम किया। ये दोनों ही मेरे अच्छे दोस्त भी हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हमारी पार्टी ने बड़ी संभावनाओं वाले दो युवा नेताओं को खो दिया है। मैं यह बिल्कुल नहीं मानती कि महत्वाकांक्षी होना गलत है। इन दोनों नेताओं ने सबसे मुश्किल दौर में कड़ी मेहनत की है।‘
प्रिया दत्त ने स्पष्ट तौर पर महत्वकांक्षा की बात की जो दिखाता है कि यही आगे बढ़ने की महत्वकांक्षा उनके अंदर भी है परंतु उन्हें मौका नहीं मिल रहा है।
Another friend leaves the party both sachin and jyotirajya were colleagues & good friends unfortunately our party has lost 2 stalwart young leaders with great potential. I don't believe being ambitious is wrong. They have worked hard through the most difficult times.
— Priya Dutt (@PriyaDutt_INC) July 14, 2020
वहीं जितन प्रसाद ने भी सचिन पायलट को अपना अच्छा दोस्त बताते हुए ट्वीट किया, “सचिन पायलट के साथ मैंने सिर्फ काम ही नहीं किया, बल्कि वह मेरे अच्छे दोस्त भी हैं। कांग्रेस में भी कोई इस बात से मना नहीं कर सकता कि इन दोनों ही नेताओं ने पूरे समर्पण भाव के साथ पार्टी के लिए काम किया है। इसलिए मैं उम्मीद करता हूं कि ये स्थिति(राजस्थान कांग्रेस) जल्द सुधर जाएगी, दुखी भी हूं कि ऐसी नौबत आई।“
Sachin Pilot is not just a collegues but my friend. No one can take away the fact that all these years he has worked with dedication for the party. Sincerely hope the situation can still be salvaged. Sad it has come to this…
— Jitin Prasada जितिन प्रसाद (मोदी का परिवार) (@JitinPrasada) July 14, 2020
जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश में एक लोकप्रिय नेता हैं और उन्हें राहुल गांधी के बेहद करीब माने जाते हैं। परंतु जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कहा था तब जितिन प्रसाद के भी कांग्रेस को छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे। पिछले कुछ समय से जितिन प्रसाद को कांग्रेस के अंदर लगातार नजरअंदाज किया गया है। 46 वर्षीय जितिन कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री के पद पर भी रह चुके हैं, लेकिन यूपी कांग्रेस में उनको कोई अहम पद नहीं मिला है। वह भी पार्टी में उचित स्थान न दिए जाने के कारण कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। The Print के अनुसार पिछले साल ही अक्टूबर में जितिन प्रसाद को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठी, लेकिन उनकी जगह विधायक अजय लल्लू को अध्यक्ष बना दिया गया जिससे जितिन के समर्थक नाराज हो गए। पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान भी जितिन के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं तेज हो गईं थीं।
बात सिर्फ जितिन प्रसाद तक सीमित नहीं है कि उनकी उपेक्षा हो रही है। उनसे पहले कई नेताओं की भी इसी तरह लगातार उपेक्षा की गयी है। इस लिस्ट में कई बड़े नाम हैं जैसे मिलिंद देवड़ा, कुलदीप बिशनोई, संदीप दीक्षित और दीपेंदर हुड्डा।
.@JM_Scindia’s departure is a big blow to @INCIndia. He was a central pillar in the party & the leadership should’ve done more to convince him to stay. Like him, there are many other devoted INC leaders across the country who feel alienated, wasted & discontented. 1/2 https://t.co/oTLXuqTAui
— Kuldeep Bishnoi (Modi Ka Parivar) (@bishnoikuldeep) March 10, 2020
अब कांग्रेस के युवा नेताओं को लगने लगा है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने किसी भी प्रकार से कांग्रेस के अंदर आगे बढ़ना संभव नहीं है। इसी कारण से ये नेता खुलकर भारतीय जनता पार्टी के अनुच्छेद 370, जनसंख्या नियंत्रण सहित कई निर्णयों में कांग्रेस की पार्टी लाइन से अलग दिखाई दिये। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के जाने से अब युवा नेताओं के अंदर भी अपने भविष्य को लेकर चिंता घर करने लगी है। परंतु कांग्रेस की मौजूदा स्थिति में उनके किसी आगे बढ़ने की संभावना दिखाई नहीं देती। गांधी परिवार और उसके चाटुकार न तो किसी अन्य को आगे बढ़ने देना चाहते हैं और न ही सुधार करना चाहते हैं। ऐसे में सचिन पायलट औक सिंधिया ही क्यों कोई भी नेता अपने भविष्य के लिए बगावती रुख पर अवश्य विचार करेगा।
कांग्रेस के अंदर युवा नेताओं को कई वर्षों से अपनी वास्तविक योग्यता के अनुसार ज़िम्मेदारी नहीं दी गयी है और अब यही कुंठा बागी रूप ले रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस को छोड़ने और सचिन पायलट के बर्खास्त होने से कांग्रेस के इन युवा नेताओं को बड़ा झटका लगा है। ऐसे में, आने वाले समय में कांग्रेस के कई युवा नेता बगावती तेवर अपना लें, तो कोई हैरानी नहीं होगी। अगर कांग्रेस को अपने युवा नेताओं को किसी नयी पार्टी में जाने से रोकना है तो अपने शीर्ष नेतृत्व को बदलने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस के अंदर सिर्फ गांधी परिवार के लोग ही बचेंगे।