अक्सर हमने वामपंथियों के मुंह से सुना था – देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी सर्वोपरि होनी चाहिए। ये बात सच भी है, पर तभी तक, जब तक वामपंथियों के विचारों के विरुद्ध कोई बात न बोली जाये। जहां कोई ऐसी बात हुई, वहीं वामपंथी आपके पीछे ऐसा पड़ेंगे, कि आप खुद सोचेंगे – ऐसा भी क्या बोल दिया?
कुछ ऐसा ही हुआ आईएएस अफसर सोमेश उपाध्याय के साथ। उन्होंने एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, “इंग्लैंड में उसी समय ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, जब हमारे देश में कुछ सुल्तान अपनी मज़ारें बनाने में व्यस्त थे। अंत में बात इसी पर आकर रुकती है कि हमने अपने लिए क्या चुना”।
Oxford University was established around the time when Sultans out here were busy investing in their own Tombs.
It is all about the choices we make..— Somesh Upadhyay, IAS (@Somesh_IAS) July 20, 2020
ये एक व्यंग्यात्मक ट्वीट था, पर इससे कई वामपंथी बुरी तरह तिलमिला गए, मानो उनके वास्तविक आकाओं को इस ट्वीट से काफी क्षति पहुंची हो। तुफ़ैल अहमद ने सोमेश के ही लहजे में मोदी सरकार को घसीटने का प्रयास करते हुए ट्वीट किया, “सही है सर, हमें विश्वविद्यालयों में निवेश करना चाहिए, मंदिरों और मूर्तियों में नहीं”।
इसके बाद तो जैसे सोमेश को नीचा दिखाने और उन्हें डराने धमकाने के लिए मानो वामपंथी और कट्टरपंथी मुसलमानों का रेला लग गया। टीए रिजवी नामक यूजर ने लिखा, “उन्होने ताज महल, लाल किला और कुतुब मीनार में भी निवेश किया, उन्हें [इस्लामी आक्रांताओं] हमारी असफलता के लिए दोष देने से पहले ये बताइये कि हमारी सरकार ने अभी तक हमारे विश्वविद्यालयों के लिए किया क्या है?”
They invested in Tajmahal, Lalqila, Qutubminar etc too, which are national monuments and pride of our country….Instead of blaming them for our own failure please focus on what Government of India is doing with the universities which we already have?
— T.A Rizvi (@TARizvi) July 22, 2020
इसके अलावा फ़र्स्टपोस्ट और बीबीसी वर्ल्ड के लिए लिखने वाले माधवन नारायणन ने सोमेश पर तंज़ कसते हुए ट्वीट किया, “यहाँ तो प्रोमोशन पक्की है”।
Promotion assured https://t.co/nO7lMBZK4B
— Madhavan Narayanan (@madversity) July 22, 2020
अब ऐसे में हिन्दू विरोधी और आतंकी समर्थक वामपंथी प्रोफेसर अशोक स्वेन कैसे पीछे रहता? जनाब ट्वीट करते हैं, “नवीन पटनायक जी, इस ब्राह्मण अफसर को मुसलमान विरोधी प्रोपेगेंडा में लिप्त होने न दें। ये न आपके लिए अच्छा होगा, और न ही ओड़ीशा के लिए। ये हमारे पीएम की भी आलोचना कर रहा है, क्योंकि वो मूर्ति और मंदिर बनाने में व्यस्त है”।
https://twitter.com/ashoswai/status/1285966461513674753?s=20
इसके अलावा अभी हाल ही में राम मंदिर के भूमि पूजन को रोकने का असफल प्रयास करने वाले साकेत गोखले ने भी सोमेश के ब्राह्मण परिवेश पर हमला करते हुए लिखा, “ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तब बन रहा था, जब ब्राह्मण उपाध्याय दलितों पर अत्याचार करने में जुटे थे और उनके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार से उन्हे वंचित कर रहे थे”।
Oxford University was established when Brahmin Upadhyays were busy inflicting atrocities on Dalits & taking away their right to education.
It’s all about entrenched bigotry which continues even today in India’s civil services.. https://t.co/oiNgicbZGf
— Saket Gokhale MP (@SaketGokhale) July 22, 2020
अपने आप को अभिव्यक्ति की स्वतंत्र के रक्षक बोलने वाले ये लोग अपने ही आदर्शों की धज्जियां उड़ा कर एक ऐसे व्यक्ति के पीछे पड़ गए, जिसने केवल एक तथ्य को ही ट्वीट किया था। वामपंथी लाख मुंह मोड़े, पर सत्य तो यही है कि पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद से भारत में राष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश शासन के आगमन से पहले किसी भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय का निर्माण नहीं हुआ था। मराठा साम्राज्य को छोड़कर शिक्षा की तरफ किसी इस्लामी वंश, चाहे वह तुर्क शाही हो, आदिल शाही या मुगल शाही, किसी ने ध्यान नहीं दिया था। ऐसे में यदि सोमेश ने आईना दिखाने का काम किया है, तो क्या ये पाप था?
स्वयं सोमेश ने इन वामपंथियों की संकुचित मानसिकता पर प्रहार करते हुए ट्वीट किया, “मेरे ट्वीट का मूल उद्देश्य यही था कि हम बताए कि हमारे शासकों ने किन वस्तुओं को ज़रूरत से ज़्यादा प्राथमिकता दी। पर इससे वो लोग भड़क गए, जिन्हें मेरे ट्वीट में सांप्रदायिकता निकालनी थी और वे मेरे जाति के पीछे पड़ गए। विडम्बना तो यह है कि ये अपने आप को लिबरल कहते हैं। शायद इन्होंने कुएँ के मेंढक वाली मानसिकता कभी छोड़ी ही नहीं”।
This simple tweet was to point out what rulers wrongly prioritized.
Instead, it triggered many who chose to see communal identity of rulers and identified my caste by surname.
Ironic, most of them call themselves liberals. Guess they have been staring too long into the abyss https://t.co/I9o37WCTdJ
— Somesh Upadhyay, IAS (@Somesh_IAS) July 22, 2020
सच कहें तो सोमेश उपाध्याय के ट्वीट ने यह सिद्ध किया है कि वामपंथी गैंग केवल अपने लिए अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता चाहती है, और यदि कोई उन्हें चुनौती दे, तो उसे तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक वो अपने पैरों पर गिरकर उनसे माफी न मांगे। सोमेश उपाध्याय जैसे अफसरों ने न केवल इन दोगलों की हेकड़ी को पुनः उजागर किया है, बल्कि बिना उनके स्तर तक गिरे जोरदार जवाब दिया है।