चीन एक तरफ पाकिस्तानी आतंकियों के साथ मिलकर भारत को अस्थिर करने की कोशिश में है, तो वहीं अब म्यांमार की सेना ने भी चीन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। म्यांमार की सेना के मुताबिक अराकन आर्मी लगातार चीनी हथियारों की सहायता से म्यांमार की सेना को निशाना बना रही है, और उन्हें शक है कि इन उग्रवादियों के पास चीन का भरपूर समर्थन है। 21 जून की एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि कैसे चीन अराकन आर्मी के बड़े-बड़े नेताओं को शरण प्रदान करता है, अब यह भी सामने आया है कि चीन अराकन आर्मी का सहारा लेकर म्यांमार में भारतीय प्रोजेक्ट्स को नुकसान पहुंचाता है, और अपने BRI को लागू कराने के लिए म्यांमार पर दबाव बनाता है।
दरअसल, चीन अपने पड़ोसियों के साथ किस तरह का बर्ताव कर रहा है, वह म्यांमार ने फिर उजागर कर दिया है। हाल ही में म्यांमार सेना के कमांडर-इन-चीफ़ जनरल “मिन ओंग” ने रूस के एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा “कोई देश आसानी से अपने यहाँ आतंकियों का सफाया कर सकता है, लेकिन अगर उनके पीछे किसी बड़ी ताकत का हाथ हो, तो फिर दुनिया को हमारी मदद के लिए आगे आना चाहिए”। जनरल मिन ओंग का इशारा यहाँ चीन की ओर था, क्योंकि अराकन आर्मी के पास से बड़ी संख्या में चीनी हथियार ज़ब्त किए जा रहे हैं।
दरअसल, पिछले कुछ समय में म्यांमार ने कई चीनी विरोधी कदमों को उठाया है। उदाहरण के लिए पहले तो पिछले महीने ही म्यांमार ने चीनी कर्ज़ लेने से मना कर दिया, उसके बाद म्यांमार ने देश में BRI प्रोजेक्ट्स पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी, जिसके बाद चीनी सेना में म्यांमार के खिलाफ गुस्सा है। इतना ही नहीं, म्यांमार ने हाल ही में 22 नागा उग्रवादियों को भी भारत को सौंपा था, जिससे म्यांमार ने चीन को संदेश भेजा था कि वह चीन के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए भारत के पास भी जा सकता है। ऐसे में बदला लेने के लिए चीन अब अराकन आर्मी का सहारा लेकर भारत-म्यांमार के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहता है।
Wion की रिपोर्ट के मुताबिक, अराकन आर्मी को मिलने वाले 95% फंडस चीन से ही आते हैं। इसके अलावा अराकन आर्मी म्यांमार में चुन-चुन कर भारत के प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाती है। अराकन के उग्रवादी समय-समय पर मिज़ोरम-म्यांमार बॉर्डर पर भारतीय प्रोजेक्ट्स में शामिल मजदूरों को बंदी बनाते रहते हैं, और वे म्यांमार सेना को भी निशाना बनाते हैं। लेकिन अराकन के लड़ाके कभी BRI के प्रोजेक्ट को निशाना नहीं बनाते। चीन इसके माध्यम से म्यांमार पर दबाव बनाता है कि वहाँ की सरकार BRI प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता दे और BRI में कोई रोड़ा ना अटकाए।
बता दें कि चीन शुरू से ही भारत के पूर्वोतर राज्यों को अस्थिर करने का प्रयास करता आया है। इन उग्रवादियों को हथियारों की आपूर्ति चीन की कंपनियों द्वारा ही की जाती है। हथियार निर्माण करने वाली आधिकारिक चीनी कंपनियां नियमित रूप से पूर्वोत्तर भारत के आतंकवादी संगठनों को छोटे हथियार (AKs राइफल, लाइट और सब-मशीन गन, ग्रेनेड आदि) बेचती आई हैं। चीन की इसी हरकत की वजह से पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद जीवित है। अब चीन ने यही काम म्यांमार में करना शुरू कर दिया है। वैश्विक ताकतों को चीन के इस आतंक की जमकर निंदा करनी चाहिए। दुनिया के सभी जिम्मेदार देशों को चीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए।