जब से तुर्की ने वर्षो पुराने चर्च हागिया सोफिया को म्यूजियम से मस्जिद में बदला है तब से पूरे विश्व में उसकी आलोचना हो रही है। पिछले दिनों यूरोपीय यूनियन ने भी तुर्की की आलोचना करते हुए उसके ऊपर कड़े प्रतिबंध की बात कही थी। यही नहीं आर्थिक प्रतिबंधों की बात भी चल रही है परंतु इसी बीच अब स्वयं यूरोपीय यूनियन ने रिफ़्यूजी समस्या से निपटने के नाम पर 485 मिलियन यूरो देने का फैसला किया। हागिया सोफिया के मस्जिद में बदलने के बाद यह आशा थी की यूरोप तुर्की पर कड़े कदम उठाएगा लेकिन ऐसा कुछ हो पता उससे पहले ही तुर्की ने EU को बेवकूफ बनाते हुए फंडिंग निकलवा ली। दरअसल, तुर्की यूरोपीय संघ को अवैध प्रवासियों के लिए तुर्की की सीमा खोलने की धमकी दे कर इससे पहले भी कई बार मोटी रकम वसूल चुका है।
इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में यूरोप की रिफ़्यूजी समस्या बढ़ने से शुरू हुई थी। जैसे ही सीरिया तथा अन्य युद्धग्रस्त देशों से लोग तुर्की के रास्ते यूरोप में घुसने लगे तब ईयू और तुर्की के बीच बातचीत शुरू हुई। तुर्की ने यूरोप पर दबाव बनाने के लिए रिफ़्यूजियों सीमा खोल कर अचानक से यूरोप में भेजना शुरू कर दिया। इससे यूरोपीय यूनियन सकते में आ गया और उसे तुर्की की मांगों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, सभी मांगों को तो नहीं माना गया लेकिन तुर्की EU से एक मोटी रकम निकलवाने में सफल रहा। वर्ष 2016 में EU ने तुर्की को रिफ़्यूजियों को यूरोप में प्रवेश को रोकने और इस समस्या से निपटने के लिए तीन बिलियन यूरो दिया। इसके 20 वर्ष बाद तुर्की ने EU से यह दावा किया कि उसके द्वारा दिये गए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा चुका है। इसके बाद मार्च 2018 में फिर से EU ने अतिरिक्त मदद के नाम पर तीन बिलियन यूरो दे दिया। हालांकि, तुर्की ने इस मदद का अपने देश में रिफ़्यूजियों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन आज भी यूरोप जाने वालों को पूरी तरह से नहीं रोका गया है।
इसके बाद जब तुर्की ने देखा कि अब समझौते का आखिरी हिस्सा भी EU ने दे दिया है और फंड मिलने के आसार नहीं हैं तब तुर्की ने जानबूझकर यूरोपीय बार्डर पर रिफ़्यूजियों की भीड़ खड़ी कर दी। एर्दोगन ने इस्तानबुल में रहने वाले रिफ़्यूजियों को खुलेआम ग्रीस के रास्ते यूरोप जाने के लिए उकसाया। इससे कुछ ही घंटों में तुर्की–ग्रीस की सीमा पर हजारो की भीड़ जमा हो गयी। हालांकि, इस बार ग्रीस ने इस समस्या को हल्के में नहीं लिया और कड़ाई से निपटा। परंतु तब एर्दोगन ने यूरोपियन यूनियन के नेताओं को ब्लैकमेल कर फंडिंग की सहमति के लिए मजबूर कर दिया था। रिपोर्ट के अनुसार अब इसी फंडिंग को यूरोपीय यूनियन ने मंजूरी दी है। 11 जुलाई को EU ने तुर्की के लिए फिर से अतिरिक्त 485 मिलियन यूरो देने लिए स्वीकृति दी।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि शरणार्थी संकट से निपटने के लिए तुर्की ने यूरोपीय संघ से बड़ी वित्तीय सहायता प्राप्त की है, लेकिन फिर भी वह ऐसा कोई कदम उठाने से नहीं हिचकिचा रहा है जिससे अन्य देश नाराज हो जाएँ। तुर्की ने रिफ़्यूजी समस्या को यूरोप से फंड निकलवाने का एक जरिया बना लिया है। यह EU की अक्षमता ही है जो हागिया सोफिया जैसे कट्टरपंथी कदम उठाने के बावजूद तुर्की को फंड करना जारी रखा है। बता दें कि तुर्की ने हागिया सोफिया को म्यूजियम से मस्जिद में बदलने का फैसला 10 जुलाई को लिया था और यह फंडिंग 11 जुलाई को मंजूर दी गयी। इस्तांबुल स्थित हागिया सोफिया को मस्जिद बनाने के लिए उठाए गए कदम पर पोप तथा कई अन्य नेताओं ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की आलोचना की थी और इस पर दुख जताया था। ग्रीस की सरकार के प्रवक्ता स्टेलियस पेटसस ने कहा कि यूरोपीय यूनियन एर्दोगन के फैसले को अपने लिए अपमान और चुनौती के रूप में ले रही है। परंतु जिस तरह से EU रेफ्यूजी समस्या के नाम पर तुर्की की मदद कर रहा है उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि तुर्की आज भी EU को बेवकूफ बना कर फंड निकलवाना जारी रखा है।