लगता है भारत तब तक शांत बैठने वाला नहीं है जब तक चीन की अकड़ और चीन के अस्तित्व, दोनों को ही वह मिट्टी में नहीं मिला देता। इसी दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत की प्रसिद्ध साइकिल कंपनी हीरो ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 900 करोड़ रुपये का व्यापार रद्द कर दिया है, और साइकिलों के लिए जो आवश्यक पुर्जे चीन से मंगाए जाते थे, अब उसका इम्पोर्ट चीन से नहीं किया जाएगा।
बता दें कि हीरो साइकिल कंपनी ने चीन से आयात किए जाने वाले उत्पादों की इनोवेशन और प्रोडक्शन को लेकर जर्मनी से आयातित सामग्रियों की सहायता से काम आरंभ कर दिया है। कंपनी हर साल चीन से 200 करोड़ रुपये के करीब साइकिल के कलपुर्जे आयात करती है और तीन से चार साल के लिए एक साथ अनुबंध करती है। लेकिन अब हीरो कंपनी चीन से यह मैटीरियल नहीं खरीदेगी और अपनी इनोवेशन से हाईएंड साइकिलों का निर्माण इन हाउस करेगी। इससे चीन को तगड़ा आर्थिक झटका लगेगा। एक तरफ तो हीरो साइकिल ने चीन का बहिष्कार कर 900 करोड़ का बिज़नेस रद्द कर दिया है तो दूसरी तरफ ये कंपनी लुधियाना में साइकिल के पुर्जे बनाने वाली छोटी कंपनियों की मदद के लिए सामने आयी। यही नहीं इन कंपनियों को अपनी कंपनी में मिलाने करने का ऑफर भी दिया है।
हीरो साइकिल लिमिटेड ग्रुप के सीएमडी पंकज मुंजाल के अनुसार, “अगले तीन महीनों के भीतर हम चीन के साथ करीब 900 करोड़ रुपये के सामान का आदान प्रदान करने वाले थे। पर हमने उन सभी योजनाओं को रद्द कर दिया। हम चीन के सामान का बहिष्कार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और यह हमारा योगदान है”।
उनहोंने आगे कहा, “चीन पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता। हम पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। कंपनी ने कोविड लॉकडाउन के दौरान जर्मनी यूनिट में डिज़ाइनिंग पर फोकस किया और ऐसे उत्पादों की शृंखला बनाई, जो हमें आयात करने पड़ रहे हैं और कैसे इसका उत्पादन हम इनहाउस कर सकें। हम अपने प्रीमियम ब्रांड फायरफोक्स, इलेक्ट्रो ई-बाइक्स के उत्पाद अब खुद बनाएंगे। इस प्रक्रिया को आने वाले आठ नौ महीने में पूर्ण रूप से लोकल कर लिया जाएगा। इसके लिए हम अपनी सप्लाई चेन को भी मजबूत कर रहे हैं। इसमें हम वेंडर्स को खुद पैसा देकर तैयार कर रहे हैं ताकि वे भी अपग्रेड हो सकें”।
अब आते हैं उस कारण पर जिसके लिए हीरो साइकिल कंपनी को ये कदम उठाना पड़ा, और क्यों टिक टॉक जैसे एप्स के प्रतिबंधित होने के बाद ये चीन के लिए किसी दूसरे झटके से कम नहीं होगा। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि चीन ने हमारे देश के साइकिल मार्किट में भी अपनी पैठ जमा रखी थी। भारत में बड़ी संख्या में साइकिल निर्माताओं का मानना है कि कम लागत वाली चीनी साइकिल निर्माता अपने उत्पादों को बांग्लादेश और श्रीलंका के रास्ते भारत ला कर बेच रहे हैं और SAFTA यानि दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौता का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। चीन SAFTA का सदस्य नहीं है, लेकिन फिर भी अपने उत्पादों को बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए आउटसोर्सिंग करके लाभ उठा रहा है जो भारतीय उद्योगों के लिए खतरा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश से साइकिल के कल पुर्जों का आयात वर्ष 2011 में 24 मिलियन डॉलर था और 2018 में बढ़कर 65 मिलियन डॉलर हो गया। इसी तरह, श्रीलंका से साइकिल और कल पुर्जों का आयात 19.5 मिलियन डॉलर था। वहीं वर्ष 2018 में यह बढ़ कर 32.3 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। इसके अलावा, बांग्लादेश और श्रीलंका साइकिल निर्माता भारत से खरीदना पसंद नहीं करते हैं। वे चीन से खरीदते हैं क्योंकि वहाँ किसी भी साइकिल के कल पुर्जों की कीमत बहुत कम है। इससे भारतीय साइकिल उद्योग को भयंकर नुकसान होता है।
परंतु अब और नहीं। अब Hero Cycles (हीरो साइकल्स) ने ये स्पष्ट किया है कि वो चीन को भारत के साइकिल उद्योग को बर्बाद नहीं करने देगें, और इसीलिए मामला अपने हाथों में लेते हुए हीरो साइकिल्स ने चीनी सामान का आयात पूर्ण रूप से बंद कर दिया है। अब चीन को भारतीय साइकिल उद्योग ने भी स्पष्ट संदेश दिया है – पहली फुर्सत में निकल!