जब से चीन ने पहले सिक्किम और फिर लद्दाख में भारत को आँखें दिखाने का प्रयास किया है, तभी से भारत ने चीन के विरुद्ध मोर्चा संभालने का निर्णय ले लिया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक रणनीतिक रूप से अहम टनल के निर्माण के लिए स्वीकृति दी है, जिससे न केवल भारत को पूर्वोत्तर में रणनीतिक लाभ मिलेगा, अपितु चीन से दो भी कदम आगे रहेंगे। इस टनल का निर्माण दिसंबर के प्रारम्भ में होगा, और इसे तीन फेज़ में पूरा किया जाएगा। इसके अलावा इस सुरंग के निर्माण के लिए अमेरिकी निर्माण कंपनी लुई बर्जर की भी सहायता ली जाएगी।
हिंदुस्तान times की रिपोर्ट के अनुसार यह भूमिगत सुरंग अपने आप में अनोखी है। यह चार-लेन सुरंग असम में गोहपुर और नुमालीगढ़ शहरों को जोड़ेगी, जो ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 14.85 किलोमीटर की सुरंग बनेगी। यह पहली बार है जब भारत एक अंडर-रिवर टनल का निर्माण करेगा़।
इससे अब अरुणाचल प्रदेश से असम तक सड़क परिवहन और आसान होगा, साथ ही आपातकालीन में मिलिटरी ट्रांसपोर्ट बिना किसी दिक्कत के 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ और जा सकते हैं। इतना ही नहीं, ये सुरंग अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी, और किसी भी स्थिति में इसमें पानी भरने से रोकने हेतु सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं। ये भूमिगत सुरंग चीन के भूमिगत सुरंग से कई गुना लंबी होगी, जो इस वक्त जियांगसू प्रांत में ताईहू झील में बन रही है।
इस निर्णय से ये भी पता चलता है कि सरकार देश की रक्षा के लिए कितनी प्रतिबद्ध है। दरअसल, गलवान घाटी पर हुए हमले के परिप्रेक्ष्य में भारतीय सेना ने सरकार को सुझाव दिया था कि रणनीतिक सुरंग को इंग्लिश चैनल में बने भूमिगत सुरंग के तर्ज़ पर क्यों न बनाया जाये, क्योंकि आम टनल पर भी चीन के हमले का खतरा बना रहेगा। ऐसे में अधिक से अधिक भूमिगत सुरंग बनाए जाने का अर्थ है कि न केवल चीन के किसी भी नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा, अपितु सही समय पर सैनिकों की त्वरित तैनाती के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया जा सकेगा। वैसे भी यदि गलवान घाटी के मुद्दे का अगर विश्लेषण किया जाये, तो हमें पता चलता है कि आखिर चीन इस क्षेत्र पर कब्जा क्यों जमाना चाहता है। यहाँ भारत का सबसे ऊंचा एयर स्ट्रिप भी है, और दौलत बेग ओल्डी नामक इस हवाई पट्टी को सड़क के माध्यम से जोड़ने का अर्थ है कि भारत चीन के हर कदम का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहता, और इससे चीन पूरी तरह बैकफुट पर आ जाता।
अभी हाल ही में भारत की केंद्र सरकार ने ऐसे कई अहम निर्णय लिए हैं, जिनसे चीन से दो कदम आगे रहने की पूरी व्यवस्था की जाने की आशा बनी हुई है। कुछ ही दिन पहले भारत ने इज़राएल से स्पाइक मिसाइल और हवाई सर्वेलांस के लिए अत्याधुनिक ड्रोन्स भी खरीदे हैं। इसके अलावा फ्रांस से जल्द ही अत्याधुनिक राफेल फाइटर जेट्स की पहली खेप भी सितंबर तक प्राप्त होने की पूरी संभावना है। ऐसे में अब ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे से सुरंग बनकर तैयार होगी, तो भारत न केवल चीन से दो कदम आगे रहेगा, बल्कि उसपर घातक प्रहार करने के लिए भी पूरी तरह से तैयार होगा।