जहां भारत और चीन बॉर्डर पर उत्पन्न तनाव कम करने में जुटे हैं, तो वहीं चीन के विरुद्ध भारत में अभी एक विशाल लहर उमड़ी हुई है। इसी दिशा में आगे काम करते हुए CAIT यानि Confederation of All India Traders (CAIT) ने निर्णय लिया है कि अब वे किसी भी स्थिति में चीन में बनी राखियों को हाथ नहीं लगाएंगे, जिससे चीन को करीब 4000 करोड़ के नुकसान होने का अंदेशा है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सात करोड़ व्यापारियों ने निर्णय लिया है कि वे किसी भी हालत में चीनी राखियों को नहीं स्वीकार करेंगे, और उसके बजाए स्वदेशी राखियों को ही बढ़ावा देंगे। इससे न केवल भारत में रोज़गार बढ़ेगा, अपितु चीन को भी करीब 4000 करोड़ रुपये का आर्थिक झटका लगेगा। सीएआईटी के प्रवक्ता ने इस विषय पर कहा, “इस रक्षा बंधन पर हम चाहते हैं कि स्वदेशी राखियों को हम बढ़ावा दें। इससे देश के हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा और इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा भी मिलेगा”।
बता दें कि CAIT भारत में व्यापारियों का सबसे बड़ा संगठन है, जिससे 40,000 से अधिक व्यापार संगठन जुड़े हुए हैं, और इसके कुल मिलाकर 7 करोड़ सदस्य हैं। इस निर्णय से कुछ ही दिन पहले एक अहम बयान में इस संगठन ने कहा था कि वे इस वर्ष पूर्ण रूप से भारतीय राखी पर्व मनाना चाहते हैं, यानि वे रक्षा बंधन को ऐसे मानना चाहते हैं, जिसमें कोई विदेशी उत्पाद का प्रयोग न हो, विशेषकर चीनी उत्पादों का।
इसी परिप्रेक्ष्य में CAIT ने आगे कहा, “इस बार चीन से न तो राखी स्वीकार होगी, न ही राखी से संबन्धित कोई भी उत्पाद। ये हमारी ओर से उन बहादूरों को हमारा योगदान है, जो हमारे देश के लिए लड़ रहे हैं, और इसीलिए CAIT के महिला विभाग की ओर से हमारे देश के 5000 सैनिकों के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को 5000 राखी सौंपी जाएगी”।
दिल्ली एनसीआर के सीएआईटी संयोजक सुशील कुमार जैन के अनुसार “न केवल राखी चीन से इम्पोर्ट होती है, अपितु राखी बनाने का सामान भी चीन से इम्पोर्ट होता था। CAIT द्वारा चीनी उत्पादों के बहिष्कार के चलते किसी भी चीनी सामान को राखी बनाने में उपयोग में नहीं लाया जाएगा, जिसके कारण चीन को इससे 4000 करोड़ का नुकसान होगा”।
इससे पहले जून में CAIT ने चीनी सामान का सम्पूर्ण बहिष्कार करने का आवाहन किया था, जिससे दिसंबर 2021 तक करीब 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान चीन को होता। इस परिप्रेक्ष्य में CAIT ने पहले से ही 3000 चीनी उत्पादों की सूची तैयार कर ली है, जिनपर ये संगठन एक्शन लेगा। इतना ही नहीं, इस संगठन द्वारा इन उत्पादों के स्वदेशी विकल्पों को भी बढ़ावा दिया जाता।
इस निर्णय के आर्थिक पक्ष के बारे में बताते हुए CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया, “2001 में चीनी सामान का आयात केवल 2 बिलियन डॉलर था, लेकिन अब ये 70 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है”। इससे समझ में आता है कि कैसे चीन ने हमारे बाज़ार पर कब्जा जमाने का प्रयास किया था, लेकिन अब भारतीय उद्योगपति और देश की जनता अब और इस अन्याय को नहीं होने देगी”। अभी चीन का सम्पूर्ण बहिष्कार करना काफी कठिन होगा, परंतु ऐसे छोटे छोटे कदमों से भारत न केवल आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ेगा, अपितु चीन को ऐसा सबक सिखाएगा जो वह कभी नहीं भूलेगा।