कोरोना से पूरा विश्व त्राहि-त्राहि कर रहा है। किसी भी देश में पहले की तरह खुशहाली नहीं दिखाई दे रही है और सभी चीन को कोसने का एक मौका भी नहीं छोड़ रहे हैं। इस मनहूसियत से भरे दौर में एक खुशखबरी भी किसी दवा का काम कर रही है। कोरोना के प्रकोप के बीच भारत को भी एक अच्छी खबर मिली है। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पूरे विश्व में भारत और भारतीय वैश्विक स्तर पर रोजगार के निर्माता हैं। रिपोर्ट के अनुसार 58 भारतीय मूल के CEO 11 देशों में 3.6 मिलियन लोगों को रोजगार देते हैं।
इस रिपोर्ट को Indiaspora नामक एक संस्था ने जारी किया जो एक गैर-लाभकारी संगठन है। भारतीय प्रवासी नागरिकों की सफलता को दुनिया भर में मान सम्मान दिलाने और भारत का प्रभाव बढ़ाने के लिए इस संस्था को स्थापित किया गया है। इसके अनुसार भारतीय दुनिया में रोजगार सृजन करने वालों में सबसे आगे हैं। इस रिपोर्ट की इस सूची को फोर्ब्स और फॉर्च्यून के नवीनतम संस्करणों से तैयार किया गया है और इसमें भारतीय मूल के वो सभी अधिकारी शामिल हैं, जो विश्व की किसी भी प्रमुख कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अध्यक्ष या बोर्ड के अध्यक्ष के रूप अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और सफलता के नई ऊंचाई को छु रहे हैं।
रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अमेरिका, कनाडा और सिंगापुर जैसे 11 अलग-अलग देशों में दिग्गज कंपनियों को चला रहे भारतीय मूल के 58 अधिकारी सामूहिक रूप से लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर (7498 अरब रुपए) रिवेन्यू अर्जित करते हैं, जिनका मार्किट कैपिटलाइजेशन करीब 4 ट्रिलियन डॉलर है।
वैश्विक कंपनियों को चला रहे इन 58 भारतीय मूल के अधिकारियों के नेतृत्व में प्रत्येक कंपनियों ने लाभ कमाया है। इस रिपोर्ट के अनुसार सभी भारतीय मूल के अधिकारियों के नेतृत्व में कंपनियों ने 23% का वार्षिक रिटर्न दिया है।
जेटलाइन ग्रुप ऑफ कंपनीज के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक, इंडिसपोरा बोर्ड के सदस्य राजन नवानी का कहना है कि, “यह सूची आप्रवासी भारतीयों की कई बेहतरीन उदाहरणों और कहानियों को बयान करती है।”
सिलिकॉन वैली आधारित उद्यमी और निवेशक तथा इंडियास्पोरा के फाउंडर एमआर रंगास्वामी ने कहा, ”हम इस अविश्वसनीय उपलब्धि को दिखाना चाहते थे जो हमारा समुदाय हासिल कर रहा है। कारोबारी दुनिया में भारतीय समुदाय का प्रभाव उल्लेखनीय है। यह उन कारणों में से एक है जिसकी वजह से हमने यह प्रॉजेक्ट लॉन्च किया और हमें उम्मीद है कि यह लिस्ट लंबी होती जाएगी।”
उन्होंने भारतीय CEO के बारे में पहले से बनी गलत धारणा को गलत बताते हुए कहा कि यह धारण बन चुकी है कि अधिकतर भारतीय सीईओ टेक सेक्टर के ही हैं, लेकिन 58 सीईओ की यह सूची कुछ अलग सच प्रस्तुत करती है। उन्होंने आगे बताया कि इस लिस्ट में बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर गुड्स और कंस्लटिंग फर्मों जैसी क्षेत्रों की कंपनियों के बॉस भी हैं जो भारतीय मूल के हैं। एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के दौरान इस लिस्ट को जारी करते हुए रंगास्वामी ने कहा कि इन अधिकारियों में 37 साल से लेकर 74 आयुवर्ग के हैं, औसत आयु 54 वर्ष है।
इससे यह और भी स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय मूल के कारोबारी और अधिकारी पहले से कहीं अधिक संख्या में सफलता के शिखर पर पहुंच रहे हैं। यही नहीं इनमें से लगभग सभी अधिकारी अपने प्लेटफार्मों का उपयोग सामाजिक परिवर्तन वकालत के लिए करते हैं। इस कोरोनावायरस महामारी के दौरान भी भारतीय मूल के अधिकारियों के नेतृत्व में कंपनियों ने अपने कर्मचारियों और अपने ग्राहकों की देखभाल करते हुए राहत कार्यों में भी योगदान दिया है।
भारतीयों के इस तरह वैश्विक स्तर पर अपना परचम लहराने को लेकर मास्टरकार्ड के अध्यक्ष और सीईओ अजय बंगा का कहना है कि, “भारतीय विरासत के कई अधिकारियों का व्यवसाय और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका प्रेरित करने वाला है।”
सुंदर पिचाई (Alphabet के सीईओ) से लेकर अजय बंगा (मास्टरकार्ड के सीईओ) तक और सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ) से लेकर इंद्रा नूई तक, जो पेप्सिको के शीर्ष पर हैं, जो बेहद सफल रहे। ये सभी भारतीय मूल के अधिकारी न केवल वैश्विक नौकरी और रोजगार पैदा कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। 11 देशों में 3.6 मिलियन लोगों को रोजगार देना कोई आम बात नहीं है और इसे किसी भी स्थिति में कम नहीं आंकना चाहिए। आज विश्व चीन के कहर से जूझ रहा है लेकिन इन सभी कंपनियों ने एक भारतीय अधिकारी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों को शून्य नहीं होने दिया। ऐसे में भारत और भारतीय अधिकारियों को Global Job Creator कहना गलत नहीं होगा।