जिस तरह से चीन ने फिलीपींस को लुभाने की कोशिश की थी उसे लगा था कि चीन (China) अब आक्रामकता छोड़ कूटनीति अपनाना चाहता है और अपने पड़ोसियों को शांत करना चाहता है। परंतु अब फिर से ड्रैगन गुंडागर्दी पर उतर आया है और चीनी आक्रामकता का दूसरी लहर देखे को मिल रहा है।
एक बार फिर पूर्वी चीन सागर में जापान का सेनकाकू द्वीप, दक्षिण चीन सागर और वास्तविक चीन-भारत सीमा यानि LAC पर पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रामकता देखने को मिली।
बुधवार को, जापान टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि जापान के सेनकाकू द्वीप समूह के पास चीनी जहाजों को लगातार 100 वें दिन देखा गया। टोक्यो का कहना है कि यह 2012 के बाद से सबसे लंबी चीनी घुसपैठ है, जब जापान ने द्वीप समूह को अपने नियंत्रण में किया था। जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव Yoshihide Suga ने कहा, “चीन द्वारा बार-बार की जाने वाली इस तरह की गतिविधियां बेहद गंभीर हैं। जापान कोस्ट गार्ड के गश्ती जहाजों ने चीनी जहाजों को चेतावनी जारी की है और हमने बार-बार राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीन के सामने विरोध प्रकट किया है।”
यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि टोक्यो ने सेनकाकू द्वीपों को उसके निजी मालिक से वर्ष 2012 में खरीदा था। हालांकि, एक चीन आज भी इन द्वीपो पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। चीन (China) में इस द्वीप समूह को Diaoyu कहा जाता है।
वहीं चीन (China) ने एक बार फिर से दक्षिण चीन सागर में गुंडागर्दी दिखाना शुरू कर दिया है। इस बार उसने किसी छोटे देश को नहीं, बल्कि Quad के सदस्य देश ऑस्ट्रेलिया पर धौंस दिखानी शुरू की है।
ABC के अनुसार, दक्षिण चीन सागर में एक यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोतों ने चीनी नौसेना का सामना किया जब वे विवादित जलमार्ग से होते हुए अमेरिका के साथ संयुक्त सैन्य युद्धअभ्यास के लिए हवाई द्वीप जा रहे थे।
यह घटना तब हुई जब ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल संयुक्त कार्य समूह में शामिल पांच युद्धपोत विवादित स्प्रैटली द्वीपों के करीब यात्रा कर रहे थे जिस पर चीन (China) अपनी संप्रभुता का दावा करता है।
यह समझा जाता है कि ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के युद्धपोतों ने 12 nautical miles territory को पार नहीं किया था, जैसे कुछ दिनों पहले अमरीका ने बीजिंग के एकतरफा दावों को चुनौती देने के लिए freedom of navigation अभ्यास का आयोजन किया था। चीनी नौसेना को उसी विवादित क्षेत्र में देखा गया, और जब ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोतों को वहाँ से गुजरते देखा तो चीनी नौसेना ने ऑस्ट्रेलियाई दल का सामना किया।
यह घटना और भी चौंकाने वाली है क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में हुई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि किस तरह चीनी आक्रामकता Indo-Pacific में नेविगेशन की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा रही है।
गलवान घाटी में औंधे मुंह हार का सामना करने के बाद एक बार फिर से चीन (China) ने हिमालय क्षेत्र में आक्रामकता दिखानी शुरू की है। इस क्षेत्र में भी इस तरह से गुंडागर्दी गलवान की घटना के बाद ही आई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की टुकड़ियां Pangong Tso और गोगरा के पैट्रोलिंग पॉइंट 17 ए पर आक्रामकता दिखाते हुए अंदर आने का प्रयास कर रहे है।
कहा जाता है कि चीन ने Pangong Tso में फिंगर 4 बेस एरिया को खाली कर दिया है, लेकिन अभी भी फिंगर 4 के आस-पास के क्षेत्रों पर कब्जा किया हुआ है। भारत के अनुसार Pangong Tso क्षेत्र में LAC फिंगर 8 है, जबकि चीन यह मानता है कि LAC फिंगर 4 है इसलिए यह कहा जा रहा है कि LAC की भारतीय धारणा के अनुसार चीनी सैनिक कई किलोमीटर अंदर हैं।
भारतीय सेना और PLA के बीच उच्च स्तरीय वार्ता में सफलता हासिल करने के दो सप्ताह बाद चीन ने पूर्वी लद्दाख के चार में से दो बिंदुओं से पीछे हटने से इनकार कर दिया है।
बता दें कि भारत और चीन (China) के बीच इस वर्ष 5 मई को शुरू हुआ यह बॉर्डर तनाव अभी तक औपचारिक रूप से समाप्त नहीं हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि disengagement और de-escalation “वर्तमान में रुकी हुई” है। इससे तो यही स्पष्ट होता है कि बीजिंग फिर से तनाव बढ़ाने की फिराक में है और फिर से कोई नई चाल चल सकता है।
तीनों ओर तनाव पैदा कर चीन खतरों से खेल रहा है। बीजिंग की इन हरकतों से पूरा Indo-Pacific बड़े संघर्ष में उलझ सकता है। पिछले कुछ ही दिनों से चीन तीन इंडो-पैसिफिक शक्तियों और Quad पार्टनर्स- भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान को उकसा रहा है। ऐसा लगता है कि चीन का आखिरी समय आ चुका है और जैसे एक दिया बुझने से आखिरी बार तेज़ रोशनी होती है वैसे ही यह चीन का आखिरी आक्रामकता होगी। चीन की इन हरकतों से ये सभी देश एक बार साथ में हरकत करने लगे तो चीन की खैर नहीं।