बचपन में आपने नकलची बंदर की कहानी तो अवश्य सुनी होगी। ऐसा ही है अपना पड़ोसी पाकिस्तान। जो भी देश उसके वर्तमान प्रशासन की नीति को अपना समर्थन देता है, पाकिस्तान उसे हर हाल में अपना समर्थन ही नहीं देता, बल्कि उसी देश के नीतियों की नकल भी करने लगता है, जिसका सबसे प्रत्यक्ष उदाहरण है कुछ पाकिस्तानी तत्वों द्वारा लाहौर के एक ऐतिहासिक गुरुद्वारे पर कब्जा, जिसके लिए भारतीय प्रशासन ने अभी पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है।
बता दें कि लाहौर के नौलखा बाज़ार में स्थित भाई तारु सिंहजी के हुतात्मा स्थल पर स्थित गुरुद्वारे को कथित तौर पर शहीद गंज मस्जिद में परिवर्तित करने के प्रयास किए जा रहे थे, जिससे संबन्धित एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई। इसपर भारत ने न केवल कड़ी आपत्ति जताई, अपितु पाकिस्तान को अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, “लाहौर के नौलखा बाजार में भाई तारू सिंह जी की शहीदी स्थल पर मस्जिद शहीद गंज का दावा किए जाने की घटना पर पाकिस्तान के उच्चायोग में सोमवार को कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है। इसे मस्जिद बनाए जाने की कोशिश की जा रही है।” –
A strong protest lodged with Pak High Commission on the reported incident where Gurdwara ‘Shahidi Asthan’, site of martyrdom of Bhai Taru Singh ji at Naulakha Bazaar in Lahore, Pak claimed as the place of Masjid Shahid Ganj &attempts are being made to convert it to a mosque: MEA pic.twitter.com/RdSOOMO8Vw
— ANI (@ANI) July 27, 2020
श्रीवास्तव ने इस दौरान एक सवाल के जवाब में आगे यह भी कहा, “पाकिस्तान से यह भी कहा गया है कि वह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की सुरक्षा, हितों के साथ ही उनके धार्मिक अधिकारों और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करे।”
अब आप सोच रहे होंगे कि इस पूरे प्रकरण में भला तुर्की का क्या कनैक्शन है? दरअसल पाकिस्तान के तत्वों ने तुर्की की देखादेखी लाहौर में सिख समुदाय के पवित्र स्थलों में से एक पर कब्जा जमाकर उसे मस्जिद में परिवर्तित करने का प्रयास किया है। ये ठीक वैसा ही है, जैसे अभी हाल ही में तुर्की ने ईसाइयों के पवित्र स्थलों में से एक माने जाने वाले हागिया सोफिया के साथ किया था।
अभी कुछ ही हफ्तों पहले तुर्की ने दमनकारी ओटोमन शासन की शान को प्रदर्शित करने के लिए एक म्यूज़ियम हागिया सोफिया को इस्लामिस्ट मस्जिद में बदलने का निर्णय लिया, जो कि दुनियाभर के मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच बड़े टकराव का कारण बनता दिखाई दे रहा है।तुर्की के तानाशाह एर्दोगन के दबाव में हाल ही में वहाँ के कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि हागिया सोफिया को एक मस्जिद में बदल दिया जाये। बता दें कि तुर्की के संस्थापक मुस्तफ़ा केमल अतातुर्क के फैसले के अनुसार UNESCO के निर्देशों के तहत हागिया सोफिया को एक म्यूज़ियम के तौर पर संरक्षित किया गया था। इस फैसले को अब एर्दोगन द्वारा पलट दिया गया है।
हालांकि, दुनिया को तुर्की का यह फैसला पसंद नहीं आया। तुर्की में बढ़ते राष्ट्रवाद, या कहिए कट्टरपंथ इस्लाम का ईसाई देशों ने बिलकुल स्वागत नहीं किया है। हागिया सोफिया फैसले से एर्दोगन ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी निगाहें मुस्लिम दुनिया का अगला Caliph बनने पर हैं।
पाकिस्तान के कट्टरपंथी तत्वों को लगा था कि जिस प्रकार तुर्की ने बड़ी ही आसानी से हागिया सोफिया को मस्जिद में बदल दिया, वैसे ही पाकिस्तान में भी वे एक गुरुद्वारे को मस्जिद में बदल पाएंगे। तुर्की को अपने फैसले में बड़ी आसानी हुई थी क्योंकि हागिया सोफिया से सांस्कृतिक तौर पर जुड़े हुए ग्रीस ने तुर्की का कोई खास विरोध नहीं किया। ग्रीस देखता रह गया और तुर्की ने बड़ा फैसला ले भी लिया।
लेकिन पाकिस्तान यहाँ पर एक बात भली भांति भूल गया – भारत कोई ग्रीस नहीं है , जो ये अपमान देखकर केवल खून का घूंट पीकर रह जाएगा। असंख्य युद्ध और आतंकी हमलों का सामना करने के बाद भी भारत ने कभी पाकिस्तान की धर्मांधता के समक्ष घुटने नहीं टेके, और लाहौर के ऐतिहासिक गुरुद्वारे को परिवर्तित करने के प्रयास मात्र से ही भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। पाकिस्तान को वैसे यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि पीओके अब धीरे धीरे उसके हाथ से फिसल रहा है, और यदि पाकिस्तान ने तुर्की जैसी गलती दोहराने की भूल की, तो भारत उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा, और यह ज़रूरी नहीं है कि केवल पीओके ही पाकिस्तान के हाथ से फिसल जाये।
सच कहें तो हर बार की तरह एक बार फिर पाकिस्तान ने गलत समय और गलत तरीके से भारत को छेड़ा है। पाकिस्तान ने सोचा था कि तुर्की की भांति वह धर्मस्थलों पर कब्जा जमा भारत के ऊपर दबाव बना सकता है, लेकिन वह यह भूल गया है कि भारत अब पहले की तरह कूटनीतिक मोर्चे पर दुर्बल नहीं है।