केंद्र सरकार ने एक बेहद कड़ा फैसला लेते हुए समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) पर जुर्माना ठोक दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्र सरकार ने PTI पर लीज की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए 84.48 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्र सरकार द्वारा PTI को कुछ शर्तों पर उसके संसद मार्ग कार्यालय के लिए भूमि आवंटित की गई थी। आवास मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, सरकार द्वारा एजेंसी को लीज पर दी गई जमीन पर पीटीआई कार्यालय बनाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि पीटीआई ने उन शर्तों का उल्लंघन करते हुए वर्ष 1984 से जमीन का किराया ही नहीं दिया था।
दरअसल, PTI करोड़ों की पब्लिक फंडिंग लेती है लेकिन जवाबदेही के नाम पर मुंह मोड लेती है। यह संस्था पिछले कई वर्षों से भारत के हितों के विरोध में पत्रकारिता करने में लगी है। हाल ही में PTI ने अपनी पत्रकारिता के स्तर का नमूना पेश करते हुए भारत में चीनी प्रोपेगैंडे को बढ़ावा दिया था। PTI ने चीनी राजदूत सन वीडोंग का इंटरव्यू लिया था जिसमें उन्होंने गलवान घाटी में हुए बढ़े तनाव के लिए भारत को ही जिम्मेदार बता दिया था। हैरानी की बात तो यह है कि PTI ने चीन के राजदूत से एक सवाल भी ऐसा नहीं पूछा जिससे उनके चीनी प्रोपेगैंडे का पर्दाफाश हो।
Gave interview to PTI on #GalwanValley Incident. Onus is not on #China. We are willing & able to properly manage differences. Mutual respect&support is sure way. Suspicion&friction is wrong path. Will jointly uphold peace&stability in border areas, ensure sound&steady relations.
— Embassy of The People's Republic of China in India (@China_Amb_India) June 25, 2020
PTI के इस तरह से चीनी प्रोपेगैंडे को बढ़ावा देने के बाद प्रसार भारती ने तुरंत PTI को चेतावनी दी थी और उसके साथ 7 करोड़ रुपये के वार्षिक अनुबंध की समीक्षा करने का फैसला किया। रिपोर्ट्स के अनुसार प्रसार भारती ने PTI की ‘हालिया समाचार रिपोर्ट’ को भारत के राष्ट्रीय हित और देश की क्षेत्रीय अखंडता के लिए हानि पहुंचाने वाला बताया था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि PTI का चीनी प्रोपेगैंडे को मंच देना भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ था। पत्र में कहा गया था कि PTI की संपादकीय फैसलों के कारण ग़लत ख़बर लोगों के बीच फैली और इससे जनहित को नुक़सान हुआ है।
यही नहीं प्रसार भारती ने अपने पत्र में लिखा था कि PTI को प्रसार भर्ती एक बड़ी मात्रा में सदस्यता शुल्क देता है जो शायद सही नहीं है और उसकी समीक्षा होनी चाहिए। PTI उस वार्षिक सदस्यता शुल्क का विवरण देने में विफल रहा है।
Outrageous that the PTI has let itself become an instrument of Beijing’s propaganda and info warfare!!!!
Chinese Ambassador to India H.E. Sun Weidong Gave Interview to Press Trust of India on Galwan Valley Incident https://t.co/ZxCZqKckwk— Amitabh Mattoo (@amitabhmattoo) June 25, 2020
यह पहली बार नहीं था जब PTI ने अपनी रिपोर्टिंग से प्रोपेगैंडे फैलाया। PTI द्वारा लगातार गलती करने और प्रोपोगेंडा फैलाने के लिए पत्रकार स्वाति गोयल ने कई बार ट्वीट कर इसे एक्सपोज किया है।
A misreporting by PTI is being repeated again and again, and Wire is the latest.
You see this figure of 92,000 calls? It’s actually supposed to be 1,457.
Let me now finally this fact-check.
But do you know that PTI never corrected the error despite emails by @CHILDLINE1098? pic.twitter.com/0zDdhrExRB— Swati Goel Sharma (@swati_gs) May 23, 2020
The PTI seems to be in total support of the 'sacrifice' pic.twitter.com/opfDsGzwoz
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) February 3, 2020
PTI द्वारा कोरोना वायरस के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु की इस तरह से रिपोर्टिंग की गयी थी जैसे लोगों ने उसे कोरोना के कारण पीट कर मार डाला। यह PTI के फेक न्यूज़ का ही परिणाम था।
Look at the damage caused by misinformation by PTI. @BhimArmyChief's tweet on it has already been RTed over 2000 times pic.twitter.com/XbxIlOAGgD
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) April 9, 2020
PTI News reported that Mehboob Ali was killed after thrashing (pic 1)
Hours later they write they erroneously wrote he was dead (pic 2 and 3).Because an overzealous twitter handle of police did not declare it fake news, PTI is spared the treatment meted to ANI. No 'thoo' on it pic.twitter.com/de6Gr8amlm
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) April 9, 2020
पीटीआई की रिपोर्टिंग अब किसी प्रोपोगेंडा पोर्टल से कम नहीं रह गयी है। अंकित शर्मा की हत्या की रिपोर्टिंग हो या दिलबर नेगी की हत्या या फिर भागीरथी में नौ मुस्लिमों की हत्या, इन सभी में PTI ने उसी तरह से रिपोर्टिंग की थी जैसे The Wire या The Quint करते हैं।
This is how ‘neutral’ news agency PTI is reporting various chargesheets.
1. Ankit Sharma murder
2. Dilbar Negi murder
3. Nine Muslims’ murder in BhagirathiAll 2 chargesheets talk of religious hate & slogans by perpetrators, but only in 3rd case it makes it to headline pic.twitter.com/Csh06VBoIC
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) July 4, 2020
रिपोर्ट्स के अनुसार वर्ष 1980 से पीटीआई को लगभग 200 करोड़ रुपये वार्षिक सदस्यता शुल्क के रूप में सार्वजनिक फंड मिले हैं। जबकि इन funds की कोई भी सार्वजनिक जवाबदेही नहीं है। अगर आज के संदर्भ में इस फंडिंग को देखा जाए तो ब्याज दरों के आधार पर यह 400 करोड़ रुपये से लेकर 800 करोड़ रुपये के public investment value के बराबर होगा। वर्ष 2019 से पहले यह संगठन RTI के दायरे में भी नहीं आता था तथा RTI के जरिये इसके बारे में जानकारी मांगने पर यह जवाब आता था कि पीटीआई एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है, इसलिए जानकारी नहीं दी जा सकती। यही नहीं, हैरानी की बात तो यह है कि PTI के बोर्ड में कोई सदस्य भी जनप्रतिनिधि नहीं है; सभी बोर्ड सदस्य निजी मीडिया संगठनों से हैं।
बता दें कि पीटीआई देश की बड़ी और पुरानी समाचार एजेंसी है। पीटीआई का रजिस्ट्रेशन 1947 में हुआ था और 1949 से इसने काम करना शुरू किया था। इसे भारत में पत्रकारिता के स्तर को बढ़ाने के लिए जीवंत किया गया था लेकिन आज इस एजेंसी का पत्रकारिता का स्तर बेहद गिर चुका है। सच कहें तो पीटीआई की उपयोगिता अब समाप्त हो चुकी है। देश में अब कई अच्छी न्यूज़ एजेंसी स्थापित हो चुकी हैं तथा इंटरनेट के जमाने में किसी भी खबर को पाने के लिए किसी एक एजेंसी पर निर्भरता भी समाप्त हो चुकी है। इस लिए सरकार को अब तुरंत निर्णय लेते हुए PTI जैसी प्रोपोगेंडा एजेंसी को बंद कर देना चाहिए।