रूस ने अपनी सुरक्षा नीति में एक अहम बदलाव करते हुए अपनी नेवी को हाइपरसोनिक परमाणु से लैस करने का निर्णय लिया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि रूसी नौसेना हाइपरसोनिक परमाणु हमले के हथियारों तथा परमाणु ड्रोन से लैस होगी। रूसी नौसेना के इन नए आधुनिक हथियारों से लैस होने के बाद अमेरिका में हलचल बढ़ चुकी है लेकिन यहाँ रूस का निशाना अमेरिका नहीं बल्कि मौजूदा समय में सभी देशों के गले का कांटा चीन है।
दरअसल विस्तारवादी चीन के बढ़ते कदम से रूस भी चिंतित है क्योंकि रूस के पास आर्कटिक क्षेत्र से लेकर इंडो-पैसिफिक तक कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां चीन अपनी आक्रामकता दिखा सकता है।
बता दें कि सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस अपनी नौसेना को भगौलीक स्थिति तथा कठिन जलवायु के कारण से विकसित नहीं कर पाया जितना अमेरिका ने अपनी नौसेना का किया। परंतु अब विश्व में नए खतरे और अवसर हैं जिसने रूस और पुतिन को एक शक्तिशाली नौसेना विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है आज के विश्व में रूस को किसी और से नहीं बल्कि चीन से सबसे अधिक खतरा है।
राष्ट्रपति पुतिन भी इसी बात को समझते हैं। इसी कारण से उन्होंने चीन के साथ संबंध बनाए रखने के बावजूद भारत जैसे अपने सहयोगी को चीन से अधिक महत्व दिया है। चीन द्वारा Indo-Pacific में गुंडागर्दी करने से न सिर्फ भारत को खतरा पैदा हुआ है बल्कि रूस को भी। रूस में भारतीय दूत, डी बी वेंकटेश वर्मा ने हाल ही में कहा था कि भारत चाहता है कि रूस Indo-Pacific क्षेत्र में अपनी उपस्थिती बढ़ाए।
रूस के पूर्वी क्षेत्र की लगभग 4500 किलोमीटर लंबी सीमा प्रशांत महासागर से लगती है। यही नहीं, चीन ने कई वर्षों से रूस के पूर्वी क्षेत्रों पर अपनी नजर गड़ाई हुई है। कुछ दिनों पहले ही चीन ने रूस के पूर्व में बसे शहर व्लादिवोस्तोक पर अपना दावा ठोका था। Vladivostok प्रशांत महासागर में रूस का एक मात्र warm water बन्दरगाह है। ऐसे में रूस किसी भी तरह से इस शहर की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। रूस पहले से ही भारत के साथ Chennai-Vladivostok sea route के लिए बातचीत कर रहा है जो South China sea से होकर जाता है।
अब ऐसा लगता है कि रूस चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार हो चुका है और इसी क्रम में अपनी नौसेना को शक्तिशाली बना रहा है।
हालांकि रूस को अपने पूर्वी क्षेत्र की ही नहीं बल्कि उन्हें आर्कटिक क्षेत्र पर भी ध्यान देना होगा। जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, वैसे वैसे बर्फ पिघलने से आर्कटिक क्षेत्र एक नया व्यापार मार्ग बनने के करीब आ रहा है। बर्फ पिघलने से इस क्षेत्र के बन्दरगाह वर्ष भर चालू रहेंगे जिससे अधिक से अधिक व्यापार हो सकेगा। बता दें कि वर्ष 2018 में चीन ने भी अपने आप को “near-Arctic state,”घोषित कर दिया था। इसके अलावा चीन आर्थिक क्षेत्र में भी विशेष रुचि रखता है। आज जिस तरह से चीन जापान के सेनकाकु और वियतनाम के द्वीपों पर अपना अधिकार जमा रहा है उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन आने वाले समय में रूस के पूर्वी और पश्चिमी दोनों क्षेत्रों पर अपना अधिकार जमाने की कोशिश करेगा।
यही वजह है कि पुतिन चाहते हैं कि इस तरह की घटना के लिए उनकी नौसेना तैयार रहे।रूस यहां एक बड़ा खेल खेल रहा हैऔर इसलिए मिसाइलों को तैनात कर रहा जो ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक पर यात्रा कर सकते हैं तथा मध्य-मार्ग में अपनी दिशा बदल सकते हैं। अपने इस अपग्रेड से रूसी नौसेना ने चीन को एक स्पष्ट संदेश देते हुए आगाह कर दिया है है कि वो भी किसी से कम नहीं है।