पिछले दो वर्ष केरल की वर्तमान सरकार के लिए अच्छे नहीं रहे हैे। पहले तो 2018 की बाढ़ ने प्रशासन की पोल खोल दी, फिर सबरीमाला पर केरल के वर्तमान सरकार के रुख ने राज्यव्यापी आंदोलनों को बढ़ावा दिया, और अब सोने की तस्करी में केरल सरकार की संलिप्तता उजागर होने से ये तो सिद्ध हो चुका है कि केरल सरकार की स्वर्णिम विदाई तय है। इसकी शुरुआत विपक्ष ने कर भी दी है, सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करके।
न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के अनुसार केरल के विधानसभा में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट अथवा यूडीएफ़ ने केरल की Pinarayi Vijayan (पिनाराई विजयन) के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में पी विजयन सरकार के विरुद्ध कई आरोपो के बारे में सदन में चर्चा होगी, जिसमें प्रमुख रूप से केरल के सोने की तस्करी वाले मामले पर चर्चा होगी।
परंतु ये सोने की तस्करी का मामला है क्या, जिसके पीछे पिनाराई विजयन की सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है? दरअसल, जुलाई माह में तिरुवनन्तपुरम एयरपोर्ट पर 30 किलो सोना ज़ब्त हुआ था, और यह तस्करी Diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए की गई थी और जांच पड़ताल में यूएई कॉन्सुलेट जनरल के यहाँ पूर्व पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर रह चुके सरिथ कुमार और पूर्व कॉन्सुलेट अधिकारी स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया था। स्वप्ना सुरेश कई महीनों तक सूचना प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (KSITIL) के तहत स्पेस पार्क की विपणन संपर्क अधिकारी भी थी।
Customs की रिपोर्ट के अनुसार सरिथ ने कूटनीतिक यानि diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए कई बार दुरुपयोग भी किया। हालांकि, इस बार करोड़ों रुपये के सोने की तस्करी करने की उनकी मंशा धरी की धरी रह गई और सरिथ को तत्काल प्रभाव से हिरासत में भी लिया गया।
परंतु बात यहीं पर खत्म नहीं हुई। जब मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई, तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। एनआईए के अनुसार, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एनआईए ने बताया कि कैसे तिरुवनन्तपुरम में ज़ब्त हुआ 30 किलो सोना पहला ऐसा कनसाइनमेंट था जो पकड़ में आया, वरना ऐसे न जाने कितने कनसाइनमेंट थे, जो कभी पकड़ में ही नहीं आते थे’। एनआईए की स्टेटमेंट के अनुसार, “ये तस्करी भारत में [विशेषकर केरल में] आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। क्योंकि ये मामला बड़ी संख्या में विदेशी लोकेशन्स से सोने की तस्करी कर भारत में लाने का है, और भारत की आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ये किसी खतरे से कम नहीं है, इसलिए ये UAPA एक्ट के धारा 15 का स्पष्ट उल्लंघन है”।
रिपोर्ट्स के अनुसार आरोपियों के साथ केरल के आईटी डिपार्टमेन्ट के मुख्य सचिव और पिनाराई विजयन के खास माने जाने वाले एम शिवशंकर के तार भी जुड़े हुए थे, जिन्हें तत्काल प्रभाव से आरोप सामने आने के बाद पद से हटाया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रमुख विपक्षी नेता रमेश चेन्निताला ने ट्वीट किया था, “मैं इस केस में सीबीआई की जांच की मांग करता हूँ। अभियुक्त केरल के आईटी सचिव से जुड़े हुए हैं, जो पिनाराई विजयन के सचिव हैं। ऐसे में हमें विश्वास है कि कहीं न कहीं इस घोटाले में केरल सरकार का भी हाथ है।” ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि केरल सरकार ने इस बार अपनी ‘स्वर्णिम’ विदाई की व्यवस्था कराई, और विपक्ष ने तय किया कि इस स्वर्णिम विदाई को वे स्वयं अंजाम देंगे।





























