अगर आपको किसी भी तरह से पैसा जुटाने की स्कीम की जानकारी चाहिए तो पाकिस्तान की सरकार से बेहतर यह आपको कोई नहीं बता सकता। आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान रोज नई-नई तरकीब लगा कर अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने और आतंक की फैक्ट्री चलाने के लिए प्रयासरत रहता है। इसी क्रम में अब पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने एक नई योजना प्रस्तुत की है जिसके अनुसार, विदेशों में मौजूद पाकिस्तानी मूल के लोगों को पाकिस्तान में डिजिटल अकाउंट खोलने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
पाकिस्तान रिज़र्व बैंक के गवर्नर रेजा बाक़िर ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा, “इस योजना में, अगले सप्ताह से प्रवासी पाकिस्तानियों को, पाकिस्तानी शेयर बाजारों में निवेश करने, सरकारी ऋण खरीदने, बुनियादी बैंकिंग सेवाओं का संचालन करने, उसमें शामिल होने की अनुमति देने के लिए,डिजिटल खाते खोलने की अनुमति देना शामिल है।” बता दें कि, इस योजना का नाम रोशन डिजिटल अकाउंट योजना है, जिसके संचालन की जिम्मेदारी पाकिस्तान के 8 बैंकों पर है।
दरअसल, बड़ी संख्या में प्रवासी पाकिस्तानी दुनिया भर में कार्य करते हैं। इनमें से बहुत से लोग अमेरिका, कनाडा और अरब देशों में कैब व ट्रक चलाने से लेकर अन्य कई प्रकार के छोटे-मोटे धंधों में कार्यरत हैं।
पाकिस्तान का उद्देश्य इन्हीं लोगों के जरिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का है। बता दें कि, पिछले साल पाक में करीब 21 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा का भंडारण हुआ था। पर अब जब FATF के दबाव के कारण पाकिस्तान को इस बात का डर है कि, कहीं उसके विदेशी मुद्रा के स्रोतों पर अंकुश ना लग जाए। इसीलिए अब दुसरे देशों में रह रहे पाकिस्तानी प्रवासियों की दर पर आया है।
लंबे समय तक पाकिस्तानी सरकार ने अपने प्रवासी नागरिकों को देश की बैंकिंग सिस्टम में जोड़ने की आवश्यकता नहीं महसूस की क्योंकि, उसे अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से आसान शर्तों पर लोन मिलता रहा। लेकिन अब परिस्थितियां बहुत बदल गई हैं।
जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति हुए हैं तब से अमेरिका की पाकिस्तान नीति में व्यापक बदलाव आया है और उसे मिलने वाली आर्थिक मदद भी रोक दी गई है। यही नहीं, कश्मीर मुद्दे पर अपनी मूर्खता के चलते पाकिस्तान की सऊदी अरब से भी शत्रुता हो गई है। यह सर्वविदित तथ्य है कि, आज पाकिस्तान सऊदी के बजाय तुर्की के अधिक नजदीक हो चुका है यही कारण है कि, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद देनी बंद कर दी है।
वहीं चीन की बात की जाए, तो उसकी CPEC योजना ही पाक के गले की हड्डी बन चुकी है। हमने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि, कैसे CPEC पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहा है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने का जो सबसे आसान रास्ता मिला वह यही था कि किसी प्रकार से पाकिस्तानी डायस्पोरा से आर्थिक मदद प्राप्त की जाए और विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाया जाए।