भारत में दंगों का चक्र रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली में हुए दंगों के बाद अब बेंगलुरु में इस्लामिस्टों ने दंगा कर पुलिस पर हमला किया है। यह हैरानी की बात है कि लगातार हो रहे दंगों के बावजूद पुलिस को बिना छूट दिये दंगाइयों के बीच भेज दिया जाता है जिसमें हिंसा के सबसे पहले शिकार वे ही होते हैं। कोई भी दंगा हो पुलिस, एक्शन ले तो मानवाधिकार वाले और न ले तो दंगों में पिसती आम जनता, सभी पुलिस को ही दोषी मानते हैं। जिस तरह से दंगों का स्वरूप बदल रहा है और और दंगाई सबसे पहले पुलिस पर हमला करते हैं, उसे देखते ऐसी स्थिति में हुए पुलिस को शूट एट साइट का आदेश दे दिया जाना चाहिए।
दरअसल, बेंगलुरु के कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे ने फेसबुक पर पैगंबर मुहम्मद पर किए गए पोस्ट के बाद बेंगलुरु में हिंसा इस तरह भड़की कि पुलिस और प्रशासन के लिए इसे संभालना मुश्किल हो गया। हालांकि, बाद में ये पोस्ट डिलीट भी कर दी गई। बावजूद इसके पोस्ट को लेकर बड़ी संख्या इस्लामिस्टों ने विधायक श्रीनिवास मूर्ति के बेंगलुरू स्थित आवास पर हमला कर दिया और जमकर तोड़फोड़ की। घर और बाहर खड़ीं लगभग 30 से ज्यादा कारों को आग की हवाले कर दिया। विधायक के घर में आग भी लगा दी गई।
पुलिस ने इन हमलावर इस्लामिस्टों को शांत होने को कहा लेकिन उन्होंने पत्थरबाज़ी में 60 से उपर पुलिस वालों को ज़ख़्मी कर दिया। इन दंगाइयों ने डीजे हाली पुलिस स्टेशन में भी आग लगा दी जिसमें कई पुलिसवाले घायल हुए। विधायक मूर्ति और उनकी बहन के सामान के साथ तोड़-फोड़ की गयी। एटीएम को भी तहस-नहस कर दिया।
इसके बाद पुलिस को लठियाँ चलाने का आदेश दिया गया था। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठियां चलाईं, आंसू गैस के गोले दागे। जब मामला हाथ से निकलता देखा गया तब अधिकारियों ने गोली चलाने का आदेश दिया जिससे तीन लोगों की मौत हो गई। पुलिस को थक-हार कर फायरिंग के आदेश दिए गए।
Now, situation is completely under control. Curfew imposed in DJ Halli & KG Halli police station limits & Section 144 imposed in remaining city. We are getting some companies from RAF, CRPF & CISF, to join our security arrangements: Kamal Pant, Bengaluru City Police Commissioner pic.twitter.com/zw39XnKPY4
— ANI (@ANI) August 12, 2020
जब भी कोई ऐसी हिंसा होती है और 60 हजार लोगों की भीड़ उपद्रव करती है तो पुलिस को पहले शूट एट साइट के ऑर्डर्स देने चाहिए ना कि तब दंगाइयों के शांत होने का और पुलिस पर हमले होते रहने का इंतजार करना चाहिए।
दिल्ली में जामिया और जाफराबाद हिंसा के दौरान भी यही हुआ था, पुलिस पर हमले होते रहे लेकिन पुलिस को फायरिंग के आर्डर नहीं मिले। तब दंगाइयों ने सिर्फ पत्थर नहीं फेंके थे बल्कि आगजनी के साथ-साथ पैरामिलिट्री जवानों पर एसिड भी फेंके गए थे। गोली भी चलाई गयी थी, जिसमें कई पुलिस वाले घायल हुए थे।
देश में कहीं भी दंगा हो, सबसे पहले पुलिस को ग्राउंड पर भेज दिया जाता है, वह भी एक डंडे के साथ। यही नहीं किसी भी स्थिति में दोषी पुलिस को ठहराया दिया जाता है। देश की पुलिस कई मौकों पर चाहे वो आतंकी हमला हो या दंगे या कोई आम घटना वो हमेशा आम जनता की रक्षा के लिए कुर्बानियां देती आई है, परन्तु ये दुखद है कि वो अपने ऊपर हुए एक वार का जवाब दे तो पूरे देश में उन्हें खरी-खोटी सुनाने का काम शुरू हो जाता है। ऐसे में पुलिस को सख्त कदम उठाने की आज़ादी मिलनी चाहिए जिससे ऐसी हिंसा को जल्दी रोका जा सके, इससे पहले कि ये हिंसा जान माल का भारी नुकसान करे।