आखिरकार जनता का दबाव काम आया। BCCI ने 19 सितंबर से शुरू होने वाले आईपीएल के स्पॉन्सर के तौर पर चीनी मोबाइल कंपनी वीवो को आधिकारिक तौर पर हटा दिया है। सूत्रों के अनुसार यह निर्णय भारी जन विरोध के चलते लिया गया है।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, देश में भारी विरोध के बाद VIVO कंपनी की तरफ से यह फैसला मंगलवार को लिया गया। जून में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद से ही कई लोगों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने की बात कही थी। परंतु आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने जब स्पॉन्सर को बनाए रखने की बात कही तो सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पर कड़ा विरोध जताया था। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी अगले साल यानि 2021 तक स्पॉन्सर रहती, जो प्रस्तावित डील के अनुसार 2023 तक आगे चलती। लेकिन अब इस साल के लिए नए स्पॉन्सर का ऐलान जल्द किया जाएगा।
विदित हो कि, वीवो एक चीनी मोबाइल कंपनी है, जिसने 2016 के आसपास आईपीएल के प्रमुख स्पॉन्सर का दायित्व मिला था । हाल ही में बीसीसीआई ने सभी के उम्मीदों के विपरीत जाते हुए वीवो के साथ अपने करार को न केवल यथावत रखा बल्कि उसे 2023 तक बढ़ाने का भी निर्णय लिया। इससे कुपित होकर अनेकों भारतीयों ने सोशल मीडिया पर बॉयकॉट आईपीएल का अभियान प्रारम्भ किया।
जब से गलवान घाटी में चीन ने भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर हमला किया, तब से भारत की जनता ने अपने शैली में चीन को सबक सिखाने का निर्णय लिया है। इसीलिए भारतीयों ने तत्काल प्रभाव से चीनी सामान के सम्पूर्ण बहिष्कार की मांग की, परंतु BCCI के निर्णय को देख ऐसा लगा कि मानो बीसीसीआई के लिए बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया था। लेकिन अंत में वीवो को बाहर का रास्ता दिखाना ही पड़ा। हालांकि, इस बात पर अभी मतभेद है कि पहल किसने की। कुछ रिपोर्ट्स का मानना है कि बीसीसीआई ने यह निर्णय लिया तो वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का मानना है कि वीवो ने यह निर्णय स्वयं लिया।
इसी परिप्रेक्ष्य में जहां जनता ने सोशल मीडिया पर बॉयकॉट आईपीएल का अभियान चलाया, तो वहीं व्यापारियों ने भी आईपीएल को आड़े हाथों लेते हुए इस निर्णय के लिए खूब खरी-खोटी सुनाई। उदाहरण के लिए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानि CAIT ने इस संबंध में गृहमंत्री अमित शाह के साथ-साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी एक पत्र लिखते हुए कहा कि BCCI का वीवो से नाता नहीं तोड़ना दर्शाता है कि उसके लिए पैसा ही सबकुछ है। इस पत्र में शाह और जयशंकर से अनुरोध किया गया है कि इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लें और BCCI को भारत में या दुबई या कहीं और आईपीएल आयोजित करने की अनुमति न दें।
यही नहीं, BCCI के इस फैसले पर RSS से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने कहा कि लोगों को टी-20 लीग का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, “ऐसे समय में जब देश हमारी अर्थव्यवस्था को चीनी प्रभुत्व से मुक्त बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और सरकार चीन को भारतीय बाजारों से बाहर रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल का यह फैसला देश के मूड के लिए एक अपमानजनक है।”
सही ही कहा है किसी ने, जब जनता एकजुट हो जाये, तो दुनिया की कोई ताकत उसे नहीं रोक पाती। यही बात आईपीएल के परिप्रेक्ष्य में भी सिद्ध हुई। जब भारतीय जनता ने तय कर लिया कि आईपीएल से चीन किसी भी तरह नहीं जुड़ेगा और बीसीसीआई चाहकर भी जनता की इच्छा को कुचल नहीं पाया।