चीन ने पाकिस्तान को आधुनिक Warships दिये, अब भारत उसके दुश्मन वियतनाम को देगा “ब्रह्मोस”

भारत खेलेगा चीन के खिलाफ “वियतनाम कार्ड”!

वियतनाम

चीन किस प्रकार से विश्व पर अपना एकछत्र राज्य चाहता है, ये किसी से छुपा नहीं है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है, और शायद इसीलिए चीन अपने युद्धपोत पाकिस्तान को सौंप रहा है, ताकि भारत पर दबाव बनाया जा सके। लेकिन भारत भी अब पहले जैसा नहीं रहा, और चीन को उसी की भाषा में जवाब देते हुए अब उसने अपने मित्र देशों, विशेषकर दक्षिण पूर्वी एशिया में स्थित देशों को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात करने का निर्णय लिया है।

फाइनेंशियल एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “पिछले कुछ समय से भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित मल्टीपर्पस क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मांग बहुत बढ़ चुकी है। रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार भारतीय सैन्यबलों की आवश्यकताएँ पूरी होते ही ब्रह्मोस मिसाइल को अन्य देशों को निर्यात किया जाएगा”। भारत के इस फैसले की टाइमिंग को देखते हुए ये कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत के इस फैसले में वियतनाम प्रमुख देशों में एक होगा जिसे ब्रह्मोस मिलेगा। दरअसल, वियतनाम ने भारत की ओर रूख किया तो चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दक्षिण चीन सागर में अपने क्षेत्रीय विवाद को लेकर वियतनाम से बातचीत की मेज पर आने का आग्रह किया था। चीन के इस दांव के बाद ही भारत का ये फैसला सामने आया है।

बता दें कि 1998 में हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार भारत और रूस ने मिलकर एक ऐसी क्रूज मिसाइल का निर्माण किया था, जिसे किसी भी सतह – जल, थल और नभ से प्रक्षेपित किया जा सके। इस मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया, और इसकी मारक क्षमता काफी असरदार मानी जाती है। इसीलिए विश्व के कई देश इसे खरीदना भी चाहते हैं, जिनमें प्रमुख है – यूएई, इन्डोनेशिया, फिलीपींस दक्षिण कोरिया, ग्रीस, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, थायलैंड, मिस्र, सिंगापुर जैसे देश। यूएई और फिलीपींस तो विशेष रूप से इन मिसाइलों को खरीदने के लिए कुछ भी करने को तैयार है, और चूंकि दोनों ही देश भारत के मित्र देश हैं, इसलिए इन्हें निर्यात करने में भारत को कोई नुकसान भी नहीं होगा।

माना जा रहा है कि चीन की वर्तमान गतिविधियों को देखते हुए भारत ने ये निर्णय लिया है। वर्तमान कूटनीति के अनुसार यदि चीन एक ओर से भारत को घेर रहा है, तो भारत अनेक मोर्चों से चीन को घेरने का खाका बुन रहा है। यूं तो ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि किन देशों को विशेष रूप से ब्रह्मोस मिसाइल दी जाएंगी, लेकिन सूत्रों का मानना यह है कि इस समय भारत विशेष रूप से दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात करेंगी, जो या तो चीन के पड़ोसी हैं, या जिनका चीन के साथ विवाद है। इन देशों में मुख्य रूप से थायलैंड, फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम शामिल हो सकते हैं।

यदि ये अंदेशा शत प्रतिशत सत्य सिद्ध होता है, तो भारत की ‘necklace of diamonds’ वाली नीति चीन के ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति पर भारी पड़ती है। इस समय चीन की हालत आगे कुआं तो पीछे खाई वाली है। वियतनाम सहित दक्षिण पूर्वी एशिया के अधिकतर देश दक्षिणी चीन सागर पर उसकी गुंडई को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं, ताइवान चीन के किसी भी आक्रमण को चुटकियों में विफल कर दे रहा है, और तो और फिलीपींस ने चीन के एक  भी गलत कदम पर उससे निपटने की सख्त चेतावनी भी दे चुका है। इतना ही नहीं, भारत ने भी स्पष्ट कर दिया कि यदि चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया, और शांति वार्ता विफल रही, तो सैन्य विकल्प भी भारत के पास खुले है।

इसके अलावा वियतनाम ने भारत से चीन के रुख को लेकर विशेष रूप से सहायता भी मांगी है। अभी हाल ही में भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक में भी वियतनाम ने चीन की गुंडई को नेकर चर्चा की। इसके साथ ही वियतनाम ने भारत के साथ रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, समुद्री विज्ञान, नई प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में करीबी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। कुल मिलाकर भारत को चौतरफा घेरने की कोशिश कर रहे चीन के खिलाफ भारत ने उसके पड़ोसी देश को ही खड़ा कर दिया है। अब ब्रह्मोस देने का फैसला वियतनाम और भारत के संबंधों को और मजबूत करेगा। ऐसे में यदि भारत वाकई में वियतनाम सहित दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों की सहायता हेतु मैदान में उतरता है, तो ये चीन के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं होगा। इस समय यदि चीन सेर है, तो भारत सवा सेर है।

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