एक दलित कांग्रेसी विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी नवीन ने एक भड़काऊ पोस्ट के जवाब में टिप्पणी क्या की, बेंगलुरु के कट्टरपंथी मुसलमानों ने मानो प्रलय लाने की व्यवस्था कर ली थी। सार्वजनिक और निजी संपत्ति को जमकर नुकसान पहुंचाया और इस पूरे प्रकरण में 60 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। बहरहाल, आशा की जा रही थी कि, कांग्रेस अपने पीड़ित विधायक के साथ खड़ी होगी, लेकिन पार्टी ने नीचता की सीमाएं लांघते हुए न केवल विधायक से किनारा कर लिया, बल्कि उसके भतीजे पी नवीन को भाजपा समर्थक भी बता डाला।
बेंगलुरु दंगों के पूरे प्रकरण पर कांग्रेस ने अपनी निकृष्टता जगजाहिर करते हुए पी नवीन को सांप्रदायिक ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस के अनुसार पी नवीन भाजपा समर्थक हैं, जिसका इतिहास साम्प्रदायिक पोस्ट्स से भरा हुआ है। कट्टरपंथी मुसलमानों को बचाने की जद्दोजहद में जिस प्रकार से वामपंथी मीडिया ने पी नवीन का चरित्र हनन करने का प्रयास किया, उसमें कांग्रेस ने भी बढ़-चढ़ कर साथ दिया।
इंडिया टुडे ग्रुप, जिसके डेटा इंटेलिजेंस यूनिट को स्वयं पत्रकार राहुल कंवल संभालते हैं, ने अपने पोर्टल पर पी नवीन का प्रोफाइल प्रकाशित करवाया हैं, जिसमें वो ये जताने का प्रयास करते हैं किस प्रकार से पी नवीन एक व्यभिचारी व्यक्ति है, जो सनी लियोनी का प्रशंसक भी हुआ करता था –
A recently married self proclaimed fan of Sunny Leone’s charity work and a wannabe neta, who is
P Naveen Kumar, who’s posts sparked the Bengaluru riots. Our OSINT desk ran some digital forensics on his deleted SM handles to draw up this character profile https://t.co/92qE1Xw4CO— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) August 15, 2020
अपने ट्वीट में राहुल कंवल ने दावा किया है कि, उनके ओपेन सोर्स के आधार पर काम करने वाली डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने काफी मेहनत करके यह काम किया है। लेकिन सनी लियोनी का पी नवीन से क्या वास्ता? दरअसल पी नवीन ने सनी लियोनी को उनके के जन्मदिवस पर शुभकामनाएँ भेजी थी। बस, फिर क्या था, इंडिया टुडे को पी नवीन का चरित्र हनन करने के लिए भरपूर मसाला मिल गया और उन्हें पूरे बेंगलुरु प्रकरण के लिए दोषी ठहराने की कवायद शुरू हो गई।
इंडिया टुडे ने बिना देरी किए पी नवीन को एक ऐसे व्यभिचारी के तौर पर दिखाना प्रारम्भ कर दिया, जिसकी कोई स्पष्ट विचारधारा नहीं है और जो हमेशा अपनी पोस्ट्स में साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देता है। हालाँकि, इंडिया टुडे यहीं पर नहीं रुका, उन्होंने तो नवीन के शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिया, कि वह प्रारम्भ से ही ऐसा था।
यह निकृष्टता केवल इंडिया टुडे तक ही सीमित नहीं थी। डेक्कन हेराल्ड नामक न्यूज़ पोर्टल ने दो कदम आगे जाते हुए पी नवीन को ऐसे चित्रित किया, जैसे उन्होंने इस्लामिक रीतियों पर प्रश्न करके एक बहुत बड़ा पाप किया है और यही उनका पेशा रहा है। इस रिपोर्ट की मानें, तो नवीन एक ऐसा हिंसक व्यक्ति है, जिसे ईश निंदा के लिए कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, “सूत्रों का कहना है कि विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी नवीन का इतिहास ही ऐसे सांप्रदायिक पोस्ट्स से भरा हुआ है। उसने 5 अगस्त को बेहद अभद्र भाषा में सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था”।
अब ऐसे में हमारे क्रांतिकारी पत्रकार रवीश कुमार कैसे पीछे रहते? आम तौर पर हर जुर्म के लिए हिन्दू संस्कृति पर दोषारोपण करने वाले रवीश कुमार बड़ी शिद्दत से कट्टरपंथी मुसलमानों के बचाव में सामने आ गए। उनका मानना है कि यह हिंसा धर्म से जुड़ी हुई नहीं थी।
उनके अनुसार, “दंगाई दंगाई होता है, उसका हिन्दू धर्म या इस्लाम से कोई मतलब नहीं है।“ इसके अलावा जनाब ने यहाँ तक कह दिया कि, दंगाइयों को भड़कने के लिए कोई न कोई अवसर चाहिए होता है। हालांकि यह कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि ये वही रवीश कुमार हैं, जिनके लिए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों में सुरक्षाबलों पर गोलियां चलाने वाला दंगाई शाहरुख पठान नहीं, बल्कि अनुराग मिश्रा था।
एक ओर जहां भारतीय मीडिया का एक धड़ा बेंगलुरु दंगों के असली दोषियों को बचाने के लिए दिन रात एक करता है, तो वहीं दूसरी ओर वह अपनी सहूलियत के लिए एक दलित विधायक को नीचा दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ेगा।