फरवरी के अंत में भड़के दिल्ली के दंगों में जैसे जैसे दिल्ली पुलिस की तहक़ीक़ात आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे कुछ नए राज़ सामने आ रहे हैं। अब एक रिपोर्ट के अनुसार यह सामने आया है कि पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों को शर्जील इमाम देशभर में दोहराना चाहता था, जिसके लिए वह लगातार अलगाववादी संगठन पीएफ़आई के संपर्क में बना हुआ था।
डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, “दिल्ली पुलिस द्वारा दायर वर्तमान चार्जशीट के अनुसार शर्जील इमाम न केवल सीएए विरोधी प्रदर्शनों को धार देना चाहता था अपितु शाहीन बाग के मॉडेल को पूरे दिल्ली में लागू करना चाहता था। शर्जील के बयानों के अनुसार वह पीएफ़आई यानि पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों के साथ निरंतर संपर्क में बना हुआ था और उसे पीएफ़आई के सदस्य के तौर सीएए विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करे”।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। चार्जशीट में आगे लिखा गया था, “अभियुक्त [शर्जील इमाम] इन ‘प्रदर्शनों’ को उस स्तर तक ले जाना चाहता था जहां भीड़ का नियंत्रण भीड़ को उकसाने वाले नेता अपने हाथ में ले सके। वह ‘चक्का जाम’ रणनीति को पूरे भारत में दोहराना चाहता था”। बता दें कि शर्जील इमाम को चक्का जाम के जरिये पूर्वोत्तर भारत को भारत से अलग करने की बात करने और शाहीन बाग एवं एएमयू में उपस्थित भीड़ को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए उकसाने के अपराध में हिरासत में लिया गया। इस समय शर्जील इमाम पर UAPA के अंतर्गत मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
शर्जील इमाम के विरुद्ध दायर की गयी चार्जशीट से स्पष्ट हो जाता है कि दिल्ली के दंगे यूं ही नहीं हुए थे, बल्कि ये एक सोची समझी साजिश थी, जिसके लिए महीनों से योजना तैयार की जा रही थी, और जगह-जगह से पैसे और संसाधन जुटाये जा रहे थे। कुछ हफ्तों पहले दिल्ली पुलिस को दिये गए बयान में पूर्व आम आदमी पार्टी पार्षद ताहिर हुसैन ने ये स्वीकार किया कि किस तरह पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों को अंजाम देने के लिए उसने योजना तैयार की थी, और किस प्रकार से उमर खालिद ने इस नापाक इरादे में उसका साथ दिया था।
दिल्ली पुलिस को दिए गए बयान में निष्काषित आप पार्षद ताहिर हुसैन ने बताया कि कैसे उसने पूरे दंगे की योजना तैयार की थी ताकि हिंदुओं को सबक सिखाया जा सके। हुसैन ने यह भी बताया कि उसने अपने धन और अपने राजनैतिक शक्ति का इस्तेमाल करते हुए ये खेल रचा। लेकिन बात केवल ताहिर हुसैन तक ही सीमित नहीं थी। स्वयं ताहिर हुसैन ने बताया कि कैसे उसने जेएनयू के पूर्व छात्र और सूडो-सेक्युलरिज्म के झंडाबरदार, उमर खालिद और खालिद सैफी के साथ पूर्वोत्तर दिल्ली को जलाने का खाका बुना।
ताहिर हुसैन के अनुसार 8 जनवरी 2020 को वह शाहीन बाग में स्थित पीएफ़आई के दफ्तर में उमर खालिद से मिला था। ताहिर हुसैन के अनुसार वह अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधान निरस्त होने और श्री रामजन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण के साथ केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने से गुस्सा था और हिन्दुओं को सबक सिखाना चाहता था।
इसके अलावा दिल्ली पुलिस की जांच पड़ताल में हिरासत में ली गई एक महिला दंगाई ने दिल्ली दंगे के पीछे अर्बन नक्सलियों का हाथ होने की बात उजागर करते हुए बताया कि किस प्रकार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने इन दंगों को भड़काने में उमर खालिद का साथ दिया था। दंगों में आरोपित गुल्फिशा ने बताया कि कैसे प्रोफेसर अपूर्वानंद ने उससे कहा था कि दंगों की साजिश के लिए तैयार हो जाओ। प्रोफेसर ने महिलाओं को चिली पाउडर लाने को कहा था जिससे यदि पुलिस प्रदर्शन रोकने का प्रयास करती है तो इसे पुलिस पर फेंका जाए।
आरोपी गुल्फिशा के बयान के अनुसार, “इनकी योजना थी कि अधिक से अधिक महिलाओं को प्रदर्शन से जोड़ा जाए जिससे यदि पुलिस बलप्रयोग भी करना चाहे तो माहौल बिगड़ जाए, जिसका इन्हें ही फायदा मिलता। मेरे संबंध पिंजरा तोड़ संगठन से भी थे। इस संगठन के माध्यम से मैं प्रोफेसर अपूर्वानंद एवं राहुल रॉय से मिली थी। राहुल ने मेरी मुलाकात उमर खालिद से करवाई, जो इसे आंदोलन के दौरान धन मुहैया करवाता था। प्रोफेसर अपूर्वानंद ने मुझसे कहा था कि दंगे करवाकर वे भारत की छवि खराब कर सकते हैं और मोदी सरकार को घुटनों पर ला सकते हैं। इनकी योजना भारत में बगावत जैसा माहौल तैयार करने की थी। जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी के साथ मिलकर इसने धरने के लिए जगह की तलाश की। सीलमपुर में इन्हें ऐसी जगह मिल गई जहाँ 24 घंटे धरना दिया जा सकता है। इस इलाके में इन्हें विशेष दिक्कत नहीं होती क्योंकि यह मुस्लिम बाहुल इलाका है”।
इन बयानों से स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से शर्जील इमाम, प्रोफेसर अपूर्वानंद जैसे लोग एक योजनाबद्ध तरीके से केवल दिल्ली को नहीं, बल्कि पूरे देश को दंगों की आग में झोंकना चाहते थे। परंतु पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों के पश्चात जिस प्रकार केंद्र सरकार ने स्थिति को अपने हाथों में लिया, उससे न केवल इनकी काली करतूतें जगजाहिर हुई है, बल्कि ये भी सामने आया कि किस प्रकार से देशभर में दंगा कराकर ये भारत की छवि को मिट्टी में मिलाना चाहते थे।