इटली में मेजिनी नाम का राष्ट्रवाद की विचारधारा का एक प्रमुख विचारक था। उसने एक बात कही थी कि हर देश की नियति का निर्माण उसके नागरिक करते हैं, और नागरिक वो नहीं होता जो सिर्फ अधिकारों की बात करे, बल्कि वो होता है जिसे अपने कर्त्तव्य का भी पता हों। भारत की समस्या ये है कि भारत में अच्छे नागरिक की परिभाषा लम्बे समय तक यही रही है कि अच्छा और जागरूक नागरिक वही है जो सिर्फ समस्याओं को गिनता रहे। भारत में लम्बे समय तक बुद्धिजीवी चिंतक, लेखक, पत्रकार और नागरिक वही रहा है जो एक के बाद एक सवाल करे, किसी प्रकार का रचनात्मक कार्य न करे, बैठकर सिर्फ कमी निकाले और नकारात्मकता फैलाए। ऐसे आदर्श नागरिक की प्रतिमूर्ति है आदरणीय पत्रकार श्री रवीश कुमार।
दरअसल, सरकार ने एक योजना की घोषणा की है और अब रवीश ने उसकी आलोचना शुरू कर दी है। रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम शो में बहुत सारी गोल मोल बातें की, लेकिन उसमें उन्होंने योजना की बारीकियों पर चर्चा करने के बजाए, सिर्फ इसने क्या बयान दिया, उसने क्या कहा, इसी की बात की। नकारात्मकता से भरे पूरे शो में रवीश ने बस यह बताया कि कौन कौन सी परीक्षाओं की भर्ती रुकी है। लेकिन न तो यह बताया कि सालों से चली आ रही इस समस्या का मूल कारण क्या है और न इसके समाधान के लिए ही कोई बेहतर सुझाव दिया। वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे ठहरे आदर्श नागरिक जो नेहरू के जमाने से चली आ रही परंपरा के आगे न तो सोचेंगे, और न समझने के लिए उनके कुंठित दिमाग में स्थान ही है। इनके एजेंडवादी और कुंठा से सराबोर विश्लेषण से अलग हटकर हम इस योजना की बारीकियों को समझते हैं, जिससे हम सवाल करने वाले से सवाल उठाकर जवाब खोजने वाले नागरिक बने।
दरअसल, भारत सरकार ने घोषणा की है कि अब से ग्रुप B और C की नौकरियों के लिए प्रिलिम्स का एक ही कॉमन इंट्रेंस एग्जाम “CET” होगा। इस CET में प्राप्त अंकों के आधार पर परीक्षार्थियों को केंद्र सरकार द्वारा निकाली गई ग्रुप B और C की नौकरियों के लिए होने वाले मेंस में बैठने का मौका मिलेगा। फिलहाल इस योजना में केवल SSC, बैंक और रेलवे की नौकरियों को शामिल किया गया है लेकिन भविष्य में अन्य विभागों को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा।
अर्थात अब आपको SSC, बैंक और रेलवे के लिए अलग अलग फॉर्म नहीं भरना होगा। साल में दो बार होने वाले CET का फार्म भरकर एक ही प्रिलिम्स निकालना होगा। यदि आप CET पास कर लेते हैं तो आपको उस परीक्षा में मिला नंबर या कहें उस परीक्षा का आपका स्कोर तीनों विभागों की नौकरियों के लिए होने वाले मेंस परीक्षा में मान्य होगा। अर्थात एक बार CET पास करके आप SSC या बैंक या रेलवे किसी की भी मेंस की परीक्षा दे सकते है।
यही नहीं एक बार अपने CET में जितने अंक प्राप्त किये वह तीन सालों तक मान्य होंगे। मान लेते हैं कि अगर 2021 में हुए कॉमन एंट्रेंस की परीक्षा 200 नंबर की है और आप उसमें 120 नंबर प्राप्त करते हैं तो यह स्कोर अगले तीन वर्षों अर्थात 2024 तक मान्य होगा। तीन वर्षों में आप दोबारा CET देते हैं जैसे आप 2022 में पुनः एग्जाम देते हैं और आप 120 से अधिक अंक प्राप्त कर लेते हैं तो आपका स्कोर बढ़ जाएगा और वह 2022 से अगले 3 वर्षों तक मान्य होगा।
इसका सबसे बड़ा लाभ है कि परीक्षार्थियों को बार बार, अलग अलग एग्जाम के लिए प्रिलिम्स नहीं देना होगा। यही नहीं इसका दूसरा लाभ है कि जहाँ पहले एक परीक्षार्थी 2020 में प्रिलिम्स उत्तीर्ण कर लेता था और Mains नहीं निकाल पाता था, तो 2021 में उसे पुनः प्रिलिम्स देना होता था। वहीं अब एक बार प्रिलिम्स उत्तीर्ण करने के बाद आप अगले तीन वर्षों तक Mains में बैठ सकते हैं।
इससे परीक्षार्थियों को उनके ऊपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ और मानसिक दबाव दोनों से राहत मिलेगी।
यही नहीं इस परीक्षा का आयोजित करने के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाई गई है। यह पूरे देश में 1000 परीक्षा केन्द्रो का निर्माण करेगी। इसमें 117 ऐसे जिले चुने गए हैं जिन्हें सरकार एस्पिरेशनल सिटी की श्रेणी में रखती है। एस्पिरेशनल सिटी के तहत ऐसे शहरों को चिन्हित किया गया हैं जहाँ शिक्षा का अच्छा माहौल बन सकता है यदि उन्हें सरकारी सहयोग मिले। सरकार की योजना है कि क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से छोटे शहरों में भी परीक्षा केंद्र खोले जाएं।
इसका लाभ यह होगा की मेट्रो सिटी पर अतिरिक्त दबाव कम होगा। अब तक अधिकांश परीक्षाएं दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, प्रयागराज, वाराणसी आदि गिने चुने शहरों में ही होती थीं। ऐसे में विद्यार्थियों को एग्जाम देने अपने गावों, कस्बों से दूर आना पड़ता था। इसी कारण ये इन शहरों में कोचिंग संस्थानों का भी चलन बढ़ गया। अब हालत ये हैं कि किसी विद्यार्थी को यदि अच्छी शिक्षा लेनी हो तो इन शहरों की और आना ही होता है, लेकिन अब परीक्षाओं का अलग अलग शहरों में आयोजन इस पूरी प्रक्रिया को भी निश्चित रूप से पलट देगा।
ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि अब 12 भाषाओं में परीक्षा देने का भी सुधार लागू हुआ है। पहले केवल हिंदी या अंग्रेजी में ही ये परीक्षायें होती थीं. इसके चलते क्षेत्रीय भाषाओं का महत्त्व घटा और अंततः अंग्रेजी, हिंदी को पीछे छोड़कर, भारत की सरकारी परीक्षा पास करने की मुख्या कुंजी बन गई, लेकिन अब सरकार ने जो योजना बनाई है उससे एक तो अंग्रेजी सीखने का बोझ परीक्षार्थियों के उपर से उतरेगा वहीं, क्षेत्रीय भाषाओं के आने से गांवों और छोटे कस्बों के युवाओं/ युवतियों के लिए सामान अवसर बनेंगे। ये एग्जाम ऑनलाइन ही होंगे इसलिए प्रिलिम्स में नक़ल की संभावना भी ख़त्म हो जाएगी।
अब अंत में यदि हम इस पूरी योजना के आलोचना करने वालों की बात करें तो उनका मुख्य आधार है कि पहले सरकार रुकी हुई भर्तियों को पूरा करे और रोजगार के अवसर बनाए, नहीं तो यह योजना केवल दिखावा ही है।
परंतु वास्तविकता यह है कि पूर्व में निकली नौकरियां सरकारी भर्तियाों में होने वाली धांधलियों और धीमी प्रक्रिया का नतीजा है। ऐसे में यह योजना ही इस समस्या का समाधान है। दूसरी बात जहाँ तक नौकरियों का सवाल है तो मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि मध्य प्रदेश केवल CET के आधार पर ही नौकरी देगा। ऐसा करने वाला यह पहला राज्य है और इसकी पूरी उम्मीद है कि अन्य राज्य भी इस योजना को लागू करेंगे, केंद्र भी इसपर विचार कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो भर्ती की प्रक्रिया में काफी समय बचेगा।
अंत में यह सत्य है कि भारत में बेरोजगारों की संख्या के हिसाब से सरकारी नौकरियां कम है, लेकिन इसका समाधान संभव नहीं है। भारत में हर साल केंद्र की ग्रुप बी और सी की नौकरियों के लिए ढाई करोड़ लोग फॉर्म भरते हैं, जबकि 2014 के आंकड़ों के अनुसार भारत में केंद्र सरकार में सेना के अतिरिक्त कुल 33 लाख ही कर्मचारी हैं।
वास्तव में भारत में बेरोजगारी की समस्या यदि सुलझानी है तो वह निजी कम्पनयों के निवेश द्वारा ही सुलझेगी न कि सरकारी नौकरियों के द्वारा इतना जरूर है की सरकार की योजना सरकारी नौकरी के लिए भटकते विद्यार्थियों को बड़ी रहत देगी इसलिए यह स्वागत योग्य है।