भारत ने चीन को आर्थिक क्षेत्र से लेकर सभी मोर्चों पर एक के बाद एक कई झटके दिये हैं और यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। अब भारत चीन के खिलौने इंडस्ट्री को एक बड़ा झटका देने की योजना बना चुका है। पीएम मोदी ने भारत के खिलौना बाजार में चीन का वर्चस्व समाप्त करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अब स्वदेशी खिलौने के मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देने का आह्वान किया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक कर भारतीय खिलौनों का उत्पादन बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत में कई समूहों और हजारों कारीगर ऐसे हैं जो स्वदेशी खिलौने का उत्पादन करते हैं। दरअसल, अभी तक भारतीय बाजार में चीन के खिलौनों का बोलबाला रहा है, लेकिन बीते जून महीने से गलवान घाटी में चीन के हमले के बाद चीन का पूरी तरह से बहिष्कार करने आंदोलन चरम पर है। इस मुहिम की वजह से चीन के खिलौने की डिमांड में कमी और घरेलू उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी देखी गई है। परंतु चीन के खिलाफ माहौल बनाने में अगर सबसे अधिक योगदान किसी का रहा है तो वह है CAIT यानि कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स। CAIT भारत की एक ऐसी ट्रेड बॉडी है जिसने चीन को अकेले ही घुटनों पर ला दिया है और अब सरकार का भी साथ उसे मिल रहा है।
दरअसल, CAIT ने चीनी सामान का बहिष्कार करने की मुहिम छेड़ी थी। कैट ने 10 जून से चीनी सामानों के बहिष्कार का अभियान शुरू किया था। उस समय किसी ने इस मुहिम की गंभीरता को नहीं भांपा था। चीनी माल के बहिष्कार-अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहे खंडेलवाल ने कहा था, ‘‘तैयार माल को देखें तो 80 फीसदी उत्पाद ऐसे हैं, जिनमें भारत और चीन के सामान का दाम लगभग समान है।भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। चीन के उत्पाद ‘यूज एंड थ्रो’ वाले होते है। हमारे उत्पादों के साथ ऐसा नहीं है। इसके अलावा भारतीय सामान के साथ गारंटी भी होती है।”
इसके बाद व्यापारियों के शीर्ष संगठनों में शामिल कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) द्वारा चीनी सामान के बहिष्कार और भारतीय सामान के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए चीन (China) के 500 से ज्यादा सामानों की सूची भी जारी की थी जिनके आयात पर रोक लगाई गयी। CAIT ने करीब 3,000 ऐसी वस्तुओं की लिस्ट भी बनाई जिनका बड़ा हिस्सा चीन से आयात किया जाता है। इसमें वो वस्तु शामिल हैं जिनका विकल्प भारत में मौजूद है या तैयार किया जा सकता है। CAIT ने जिन वस्तुओं की सूची बनाई है, उनमें मुख्यत: इलेक्ट्रॉनिक सामान, FMCG उत्पाद, खिलौने, गिफ्ट आइटम, कंफेक्शनरी उत्पाद, कपड़े, घड़ियां और कई तरह के प्लास्टिक उत्पाद शामिल हैं। CAIT ने इन वस्तुओं के भारतीय निर्माताओं को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया था जिससे चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया जा सके। इसी तरह के कदम से CAIT ने अगले साल के अंत तक चीन को 1 लाख करोड़ रुपये का घाटा पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
कैट ने ‘भारतीय सामान – हमारा अभिमान’ नाम से शुरू किए गए इस राष्ट्रीय अभियान के तहत दिसंबर 2021 तक चीन (China) से आयात में एक लाख करोड़ रुपये की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। इसी के तहत Confederation of All India Traders (CAIT) ने रक्षा बंधन पर यह निर्णय लिया था कि अब वे किसी भी स्थिति में चीन में बनी राखियों को हाथ नहीं लगाएंगे, जिससे चीन को करीब 4000 करोड़ के नुकसान हुआ। यही नहीं चीन को सबक सिखाने के लिए सोनम वांगचुक ने ‘सेना देगी बुलेट से, नागरिक देंगे वॉलेट से जवाब’ नाम के अभियान से CAIT के अभियान को और बल दिया।
USE YOUR WALLET POWER#BoycottMadeInChina #SoftwareInAWeekHardwareInAYear to stop Chinese bullying in Ladakh & eventually to liberate the 1.4 Bn bonded labourers in China, as also the 10 Mn Uighur Muslims & 6 Mn Tibetan Buddhists.
Click this link to playhttps://t.co/ICjRQJ2Umf pic.twitter.com/lpzAXxARPj— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) May 28, 2020
इससे पहले कैट सहित कई कारोबारी संगठनों ने वाणिज्य मंत्री से मांग की थी कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले उत्पादों के सामने मूल देश का नाम लिखा जाए। इसके बाद भारत में कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 2019 लागू कर दिया गया। अब ग्राहक सुरक्षा कानून 2019 में इलेक्ट्रॉनिक रिटेलर के लिए कंट्री ऑफ ओरिजिन या सामान बनने के जगह के बारे में लिखना जरूरी होगा। चीन विरोधी माहौल में इस कदम का बेहद गहरा असर पड़ने वाला है। जनता के बीच पहले से ही चीन (China) के खिलाफ रोष है और इस कदम से उन्हें यह पता होगा कि जो भी प्रोडक्ट वो ऑनलाइन मांगा रहे हैं वो चीन में बना है या नहीं।
अब पीएम मोदी ने चीन के खिलौनों का पूरी तरह से बहिष्कार कर भारतीय उत्पादकों को बढ़ावा देने का आह्वान किया है ऐसे में CAIT एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
पूरे देश में चीन विरोधी भावना बढ़ने के साथ जब सभी सभी तीन खिलाड़ियों यानि उपभोक्ताओं, व्यापारियों और सरकार के बीच सहयोग होता है तो आयात में भारी गिरावट आनी तथा निर्यात में बढ़ोतरी होनी तय है। अगर चीन (China) की बात करें तो भारत हर साल China से लगभग 51 बिलयन डॉलर का सामान आयात करता है। ऐसे में अगर भारत आने वाले कुछ सालों में इस आयात का बड़ा हिस्सा रोक पाने में सक्षम हो पाता है तो China को 40 से 50 बिलियन डॉलर का तगड़ा झटका लगना तय है। मोदी सरकार चीन और चीनी कंपनियों को भारत की सप्लाइ चेन से बाहर निकालने पर जार दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप चीन को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। चीन को आने वाले समय में सैकड़ों डॉलर का नुकसान होने वाला है और इसमें CAIT की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।