कांग्रस में चल रहे घमासान के बीच राहुल गांधी अब सोनिया गांधी के चरणधुल और सबसे अधिक विश्वासपात्र “ओल्ड गार्डस” को कांग्रेस पार्टी के काम काज और नियंत्रण से छुट्टी देने पर तुले हुए हैं।
Sunday Guardian की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने और बाहर निकालने के लिए एक स्पष्ट प्रयास में, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल गांधी ने 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं को चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्त करने का प्रस्ताव रखा,जिससे उनके समर्थकों और नेताओं को पार्टी में उचित स्थान मिल सके। यानि अगर कहा जाए कि युवराज माता श्री के चाटुकारों से कांग्रेस को मुक्त करना चाहते हैं और अपने जैसे विद्वानों को उनकी जगह देना चाहते हैं तो गलत नहीं होगा।
ऐसा लगता है कि राहुल गांधी अपने जीवन में जो भी सीखा है वह BJP को देख कर ही सीखा है और यह आइडिया भी BJP के मार्ग दर्शक मंडल को देख कर आया जहां 75 से अधिक उम्र के नेतों को साइडलाइन किया जाता है। हालांकि सोनिया गांधी के अन्तरिम अध्यक्ष रहते और CWC पर ओल्ड गार्ड्स की पकड़ के कारण इस प्रस्ताव के पास होने की उम्मीद कम दिखाई दे रही है लेकिन राहुल गांधी के द्वारा इस प्रस्ताव को लाया जाना ही अपने आप में एक बड़ी बात है जो इशारा करती है कि 2019 लोक सभा चुनावों के बाद भी कांग्रेस में ओल्ड बनाम न्यू की यह लड़ाई जारी है और अब शीर्ष स्तर तक पहुंच चुकी है।
अगर राहुल गांधी का यह प्लान पारित हो गया और व्यावहारिक रूप से लागू किया गया तो इसका मतलब है कि गुलाम नबी आज़ाद, अंबिका सोनी, अहमद पटेल, पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेताओं का राज्यसभा में यह अंतिम कार्यकाल साबित होगा।
यही नहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत और वी नारायणसामी सहित कांग्रेस के ऐसे मुख्यमंत्री जो सोनिया गांधी के करीब रहे हैं उनकी भी छुट्टी हो सकती है। इसके साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सिद्धारमैया और कमलनाथ जैसे वरिष्ठ आज जिस तरह से कांग्रेस में अपनी चलती चला रहे हैं और महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए है उनकी भी छुट्टी होना तय हो जाएगा।
अगर ध्यान से देखा जाए तो राहुल गांधी कांग्रेस के उन नेताओं को सीधे टार्गेट करना चाहते हैं जिन्होंने गांधी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ हस्ताक्षर किया था। कांग्रेस के अंदर हाल ही में हुए बदलाव से इसके संकेत भी मिलते हैं जब गौरव गोगोई को लोकसभा में उप-नेता और रवनीत सिंह बिट्टू को पार्टी का चीफ व्हिप नियुक्त किया गया। यह कदम उन वरिष्ठ नेताओं को उनका स्थान दिखाने के लिए ही किया गया था।
ये पहली बार होगा जब राहुल गांधी अपने स्तर पर इस तरह का कोई स्टैंड लेने वाले हैं। राहुल वरिष्ट नेताओं को पार्टी में दखल से दूर करना चाहते हैं। इसके कई कारण है। पहला अपने विश्वासपात्रों के लिए जगह बनाना जिससे पार्टी पर उनका नियंत्रण और बढ़ जाए, दूसरा वह जनता को दिखाना चाहते हैं कि कांग्रेस में बदलाव हो सकता है और युवाओं को भी मौका मिल सकता है परंतु उन्हें यह पता नहीं है कि जनता को सबसे अधिक उनके होने से समस्या है और तीसरा कारण वह कांग्रेस में होने वाले सभी फैसले स्वयं लेना चाहते हैं। राहुल गांधी के इन्हीं सत्तावादी रवैये के कारण आज कांग्रेस एक सर्कस बनी हुई है और उसमें कई धड़े दिखाई दे रहे हैं। सभी वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी के इसी व्यवहार के कारण मोर्चा खोला हुआ है। कुछ ही दिनों पहले दिग्विजय सिंह ने कहा था कि, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी नेताओं में असंतोष का एक कारण यही बना कि राहुल गांधी भले ही अध्यक्ष नहीं रहे, लेकिन पर्दे के पीछे वे पार्टी पर नियंत्रण जारी रखे हुए थे। मुकुल वासणिक या केसी वेणुगोपाल की जगह राजीव सातव के नामांकन के लिए राहुल गांधी ने हामी भरी। इस फैसले के बाद कई पार्टी नेताओं में नाराजगी बढ़ गई थी।’ वहीं कपिल सिब्बल ने भी राहुल गांधी के बारे में कहा था कि “बैठक में पत्र पर चर्चा नहीं की गई थी बल्कि हमें गद्दार कहा गया था और नेतृत्व सहित उस बैठक में शामिल किसी सदस्य ने भी उन्हें नहीं बताया कि यह कांग्रेस की भाषा नहीं है।”
इससे तो यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी में अंतरकलह का कारण राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस को टेक ओवर के कारण ही हुई। अब इसी क्रम में राहुल गांधी सभी ओल्ड गार्ड्स को पार्टी से दूर कर देना चाहते हैं जिससे उनके नेतृत्व पर सवाल खड़ा करने वाला कोई न बचे।
ये वो नेता हैं जिनकी वजह से पार्टी की मजबूती बनी रही थी अब अगर राहुल गाँधी वास्तव में इस तरह से वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से दरकिनार करने की योजना पर काम कर रहे हैं तो ये कांग्रेस पार्टी के कई गड़े मुर्दे बाहर आने तय हैं, साथ ही इनकी लुटिया भी डूबने में अधिक देर नहीं है क्योंकि ये ओल्ड गार्ड्स ही थे जिन्होंने कांग्रेस की लुटिया को डूबने से बचाए रखा था।