अमेरिका में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि इन चुनावों में एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरने जा रहे डोनाल्ड ट्रम्प और जो बाइडन से ज़्यादा पुतिन और शी जिनपिंग चिंतित हैं। अमेरिकी खूफिया एजेंसियों ने अपनी सरकार को आगाह किया है कि, एक तरफ रूस डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के खिलाफ जमकर प्रचार कर रहा है, तो वहीं चीन ट्रम्प के विरोध में और बाइडेन के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि, हाल ही में बाइडेन ने कहा था कि, अगर वो सत्ता में आते हैं, तो वे ट्रम्प द्वारा चीनी सामान पर लगाए गए प्रतिबंधों को ख़त्म कर देंगे और चीन के साथ नई बिजनेस डील करेंगे। ज़ाहिर सी बात है कि, यह दम तोड़ रहे चीन के लिए oxygen supply से कम नहीं होगा। वहीं, पुतिन की बाइडन से पुरानी दुश्मनी है, इसीलिए रूस बाइडेन के विरोध में प्रचार कर रहा है। इतना तो साफ है कि, अमेरिका का चुनाव सिर्फ अमेरिका में नहीं, बल्कि बीजिंग और मॉस्को में भी लड़ा जा रहा है।
यह खबर सामने आने के बाद, अब Democrats और Republicans ने एक दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है। बाइडन के सलाहकार टोनी ब्लिंकेन ने ट्रम्प पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ट्रम्प ने कई मौकों पर विदेशी ताकतों को अमेरिकी चुनावों में दखलंदाजी करने के लिए प्रोत्साहित किया है। बता दें कि, Democrats ट्रम्प पर वर्ष 2016 में रूसी सहायता से चुनाव जीतने का आरोप भी लगाते रहते हैं। ऐसे में, इस नई खूफिया रिपोर्ट ने Democrats को दोबारा ऐसे आरोप लगाने का मौका दे दिया है। कुछ लोगों का मानना है कि, रूस इसलिए बाइडेन का विरोध कर रहा है क्योंकि, ओबामा सरकार में उप-राष्ट्रपति रहते हुए Ukraine के मुद्दे पर बाइडेन ने रूस के खिलाफ बड़ी मुहिम चलाई थी और पुतिन का पुरजोर विरोध किया था। ऐसे में, रूस कभी नहीं चाहेगा कि बाइडन को अमेरिका की सत्ता मिले।
इसी प्रकार Republicans भी चीन के समर्थन को लेकर Democrats पर हमलावर हो गए हैं। ट्रम्प ने इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मुझे नहीं लगता कि रूस मेरे लिए प्रचार कर रहा है। रूस वह आखिरी देश होगा जो मुझे ऑफिस में देखना चाहेगा, क्योंकि जितना दुख रूस को मैंने पहुंचाया है, उतना शायद ही किसी और ने पहुंचाया हो। हाँ, अगर बाइडेन चुनाव जीत गए, तो देश पक्का चीन के हाथों बिक जाएगा”। इस प्रकार ट्रम्प ने सहमति जताई कि, चीन पर्दे के पीछे रह कर बाइडेन के प्रचार में शामिल हो सकता है। ट्रम्प के शासन में अमेरिका-चीन के रिश्ते बेहद खराब हो गए हैं और ट्रम्प ने पूरी दुनिया में चीन विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। ऐसे में, चीन किसी भी हालत में ट्रम्प को सत्ता से बाहर देखना चाहता है। हालांकि, रूस के लिए बाइडेन का सत्ता में आना अस्वीकार्य है। ऐसे में, अब अमेरिका के चुनावी मैदान में रूस और चीन एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
खूफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिर्फ रूस और चीन ही नहीं हैं, जो अमेरिकी चुनाव में दखलंदाज़ी कर सकते हैं, बल्कि ईरान भी किसी न किसी प्रकार से चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोई भूमिका ढूंढने की फ़िराक में है। ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका-ईरान के रिश्ते भी बेहद खराब हो चुके हैं और ईरान आर्थिक तौर पर बर्बाद होने की कगार पर पहुँच चुका है। ऐसे में, यह बिलकुल संभव है कि रूहानी भी जल्द से जल्द ट्रम्प को बाहर करने की योजना पर काम कर रहे हों। अमेरिका की सरकार ने कहा है कि, वह किसी भी सूरत में विदेशी ताकतों को अमेरिका चुनाव में हस्तक्षेप करने नहीं देगी। ऐसे में देखना होगा कि, अमेरिका में जारी जिनपिंग और पुतिन के इस रण में कौन विजयी हो पाता है।