पश्चिम बंगाल में वर्ष 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां ज़ोर शोर से चल रही है। ऐसा लगता है कि इन चुनावों को जीतने के लिए BJP को जिस एक चेहरे की कमी थी वह मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय के रूप में अब पूरी होने वाली है।
दरअसल, तथागत रॉय अब मेघालय के राज्यपाल पद से निवृत्त होते ही उनके पश्चिम बंगाल की राजनीति में लौटने की खबरें भी आसमान छु रही हैं। ऐसे में बीजेपी के पास पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को चुनौती देने वाला कोई भी एक चेहरा न होने के कारण तथागत रॉय की वापसी तय मानी जा रही है। अगर वह सक्रिय राजनीति में लौटे तो पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस की सरकार की वापसी नामुमकिन हो जाएगी।
बता दें कि अपने मेघालय के राज्यपाल के पद से निवृत्त होने से कुछ दिनों पहले ही The Print को एक साक्षात्कार में उन्होंने पश्चिम बंगाल में सक्रिय राजनीति में वापसी के इच्छा जताई थी। 74 वर्षीय तथागत रॉय जाधवपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे हैं और इसके कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग विभाग के संस्थापक प्रमुख थे।
तथागत रॉय ने इस साक्षात्कार में कहा कहा कि, ‘मैं राजनीति का कीड़ा हूं और कभी खुद को राजनीति से बाहर नहीं करना चाहता था। मुझे कुछ कारणों से राज्यपाल बनाया गया। मुझे इस फैसले की जानकारी दी गई और एक अनुशासित व्यक्ति के रूप में मैंने इसे स्वीकार कर लिया।’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘परंतु अब जब मैंने राज्यपाल के रूप में पांच साल पूरे कर लिए हैं, तो राजनीति में लौटना चाहता हूं, जिसमें मैंने अपने जीवन के 25 साल लगाए हैं। मैं तब भाजपा के साथ हुआ करता था जब राज्य में भगवा की ताकत बढ़ने के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। मेरे मित्र और सहयोगी तब मेरा मजाक उड़ाते थे, लेकिन मैंने हमेशा पार्टी और उसकी विचारधारा पर भरोसा किया।‘
रॉय ने आगे कहा कि उन्होंने पिछले साल केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात के दौरान राजनीति में फिर लौटने की अपनी इच्छा जाहिर की थी जब वे शाह की नियुक्ति के बाद उनसे दिल्ली में मिले थे।
तथागत रॉय अब अपने पद से निवृत्त हो चुके हैं और उन्होंने ट्विटर पर TMC के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है।
I changed my profile,in case u haven’t noticed.
I am no longer bound by niceties of my former office which were far fewer than what many imagined; but they were there. Now for me they don’t exist 😃😃😃
Of course that doesn’t mean I’ll go berserk trolling paid stooges!
🙏🙏🙏— Tathagata Roy (@tathagata2) August 21, 2020
There’s some kind of chain-pulling in Prashant Kishor’s gravy train. I think either the mistress has stopped paying PK or PK has stopped paying his stooges. Or both. What I observe is some kind of alarm and frenzied activity among the most stupid among the stooges! What gives?
— Tathagata Roy (@tathagata2) August 20, 2020
उन्होंने प्रशांत किशोर की खिंचाई करते हुए ट्वीट किया कि ऐसा लगता है कि उन्हें मामता बनर्जी से रुपये मिलने बंद हो गए जिससे उनके द्वारा पोषित ट्रोल गुस्से में हैं।
तथागत रॉय शुरू से ही एक प्रखर नेता के तौर पर जाने जाते हैं जो अपने हिन्दू होने पर खुल कर गर्व करते हैं। यह रॉय ही थे, जो गुजरात दंगों के दौरान मोदी के समर्थन में आने वाले भाजपा के पहले नेताओं में से एक थे और उन्हें “साहसी नेता” कहा था।
वर्ष 2002 में, रॉय को पश्चिम बंगाल में बीजेपी के अध्यक्ष बनाया गया था। वह शुरू से ही कम्युनिस्टों तथा ममता बनर्जी के प्रखर विरोधी रहे हैं। जब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सत्ता में आईं थी तब तो रॉय ने उनके हठी स्वभाव को देखते हुए “बंगाल में कम्युनिस्टों का छात्र” कहा था। वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी को पीएम पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया था तब तथागत रॉय को दक्षिणी कोलकाता से उम्मदीवार बनाया गया था जहां से ममता बनर्जी चुनाव लड़ती हैं। हालांकि, उस समय ममता बनर्जी चुनाव जीत गयी थीं लेकिन तथागत रॉय ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी।
आज जिस तरह से पश्चिम बंगाल में लगातार हिन्दू नेताओं के साथ अत्याचार हो रहा है और उनकी हत्या की जा रही वैसी स्थिति में सत्ता परिवर्तन आवश्यक है। तृणमूल के गुंडे सरकारी संरक्षण में राजनीतिक हिंसा को अंजाम दे रहे हैं। ममता राज में पश्चिम बंगाल में अब तक 78 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। राज्य की जनता भी ममता बनर्जी के तानाशाही रवैये से तंग आ चुकी है और सत्ता परिवर्तन के लिए उत्सुक है। जनता के बीच में ममता बनर्जी के खिलाफ माहौल बना हुआ है। ऐसे में एक बड़े हिन्दू नेता होने के कारण तथागत रॉय ही वह व्यक्ति हैं जो इस राज्य को गर्त से निकाल सकते हैं। हाल ही में सामने आए Times Now ORMAX Media के एक सर्वे में यह बात सामने आई थी कि कोलकाता के मात्र 6 प्रतिशत लोग ही ममता बनर्जी द्वारा कोरोना माहामारी के दौरान लिए गए कदमों से खुश हैं। कोलकाता के क्षेत्र को ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता है, जहां उन्होंने जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनावों में सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। इस क्षेत्र में 94 प्रतिशत लोगों का ममता बनर्जी के खिलाफ होना दिखाता है कि उनकी लोकप्रियता में भयंकर कमी आने वाली है। अगर राज्य में तथागत रॉय भाजपा का नेतृत्व करते हैं चुनाव में यह बेहद ही फायदेमन्द साबित होगा और ममता बनर्जी का पत्ता साफ हो सकेगा।