लेबनान को 4 अगस्त के धमाकों के बाद विश्व भर से समर्थन मिल रहा है। यह समर्थन लेबनान की सरकार को नहीं बल्कि लेबनान के लोगों के लिए आ रहा है। पूरी दुनिया लेबनान के लोगों की हरसंभव मदद करने का प्रयास कर रही है। इन प्रयासों में एक बात सामान्य है, और वह है एक शर्त कि लेबनान की हिजबुल्लाह समर्थित सरकार को रुपये न देकर गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से लोगों तक मदद पहुंचाने की। कोई भी देश यह नहीं चाहता है कि उनके द्वारा की गई मदद लेबनान के भ्रष्ट मंत्रियों और अधिकारियों के पॉकेट में जाए। इस तरह से लेबनान की सरकार को नजरंदाज कर अप्रासंगिक बनाने का एक ही मकसद है और वह है, हिजबुल्लाह को लेबनान से बाहर खदेड़ना।
लेबनान के अंदर भी लोगों को अपनी सरकार पर विश्वास नहीं है। उन्हें पता है कि अगर बाहर से मदद मिलेगी तो उन तक मदद का एक पैसा भी नहीं पहुंचेगा, यदि इसे सरकार के माध्यम से निर्देशित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने स्पष्ट कहा है कि वह स्वतंत्र एजेंसियों के माध्यम से अपनी सहायता को लोगों तक पहुंचाएगा। Foreign Policy की रिपोर्ट के अनुसार United Nations Office for the Coordination of Humanitarian Affairs ने लोगों को अपने दस्तावेजों को सरकारी अधिकारियों के पास जमा करने से मना किया है।
पिछले सप्ताह जब फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanuel Macron ने UN के साथ वर्चुअल कोन्फ्रेंस की और लगभग 300 मिलियन जुटाया तो उन्होंने स्पष्ट कहा था, ये मदद उन लोगों तक पहुंचनी चाहिए जिन्हें इसकी जरूरत है। इसका सीधा तात्पर्य था कि विश्व भर से मिल रही मदद को लेबनान के लोगों तक पहुँचाना है , न कि लेबनानी सरकार को देना है। अमेरिका ब्रिटेन और जर्मनी के साथ लगभग सभी देशों ने लेबनान की सरकार से दूरी बनाए रखने पर बल दिया। U.S. Agency for International Development लेबनान के स्वस्थ्य मंत्रालय की बजाय आपातकालीन मेडिकल किट सीधे हॉस्पिटल भेज रहा। वहीं जर्मनी ने भी Red Cross और the U.N. Office for the Coordination of Humanitarian Affairs के माध्यम से 24 मिलियन डॉलर की मदद गैर सरकारी संगठनों को देने का वादा किया है। UN की छत्रछाया में काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठनों को लगता है कि वे सरकार के बजाय भरोसेमंद स्थानीय सहायता समूहों के साथ समन्वय कर अधिक मदद कर सकते हैं।
इन बातों से साबित होता है कि मदद के लिए भेजी जा रहे पैसे हिजबुल्लाह समर्थित सरकार के लिए नहीं है , वहाँ के जनता के लिए हैं। हिजबुल्लाह को सरकार और देश से बाहर निकालना ही लेबनान के लोगों के लिए विकल्प है।
लेबनान के विस्फोट के लिए आम जनता हिजबुल्ला को ही दोषी मानती है। बता दें कि लेबनान के अंदर हिजबुल्लाह की विशेष पकड़ है। हिज्बुल्लाह और उसके सहयोगियों की पकड़ संसद और सरकार में पहले से कहीं अधिक मजबूत है। इसी साल 21 जनवरी को लेबनान में एक नई सरकार बनी थी। यह एक ही पार्टी की सरकार है जिसमें हिजबुल्लाह और उनके सहयोगी शामिल हैं और जो संसद में भी बहुमत में हैं। यही नहीं, राष्ट्रपति मिशेल आउन भी हिजबुल्लाह के समर्थक है। इस समूह को लेबनान के शिया समुदाय तथा ईरान का समर्थन प्राप्त है। इस आतंकी संगठन के पास लेबनान की सेना से अधिक हथियार हैं। दुनिया के कई देश इसे आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं। यूरोपीय संघ ने वर्ष 2013 में इसके सैन्य अंग को आतंकी घोषित किया था, 2016 में सऊदी अरब और इस वर्ष जर्मनी ने भी इसे आतंकी संगठन घोषित कर दिया है।
4 अगस्त को लेबनान में हुए धमाकों में भी हिजबुल्लाह के हाथ होने की आशंका जताई गयी थी। जिस बंदरगाह पर धमाका हुआ है, उसे संयुक्त राष्ट्र के राजदूत Danny Danon ने हिजबुल्लाह बंदरगाह कहा था क्योंकि यही बंदरगाह हथियारों और धन के आवागमन के लिए आतंकियों द्वारा इस्तेमाल होता था। धमाके के बाद ही पूरे लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ प्रदर्शन होने शुरू हो गए थे। प्रदर्शनों में लोगों के निशाने पर हिजबुल्लाह के साथ ही हिजबुल्लाह समर्थक सरकार भी थी। लोगों ने हिजबुल्लाह नेताओं के पुतलों को फांसी लगाते हुए आक्रामक प्रदर्शन किये थे। अगर यह धमाका किसी अन्य देश में होता तो तुरंत सेना और आपदा प्रबंधन के अधिकारी विस्फोट की जगह पर पहुंच गए होते और राजनेता संवेदना और समर्थन देने के लिए लाइन लगा चुके होते लेकिन लेबनान में सरकार का नामोनिशान नहीं था।
इसके बजाय, राष्ट्रपति मिशेल आउन ने आपातकाल लागू कर दिया और सेना को प्रदर्शनकारियों के आंदोलनों को दबाने, प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए व्यापक अधिकार दे दिए।
लेबनान के लोगों का मनना भी यही था कि हिजबुल्लाह को लेबनान से बाहर किया जाए। अब दुनिया भर के देश भी लेबनान के लोगों की सीधे मदद कर लेबनान से हिजबुल्लाह को बाहर खदेड़ने के दिशा में काम कर रहे हैं। अब यह देखना है कि लेबनान के लोग और विश्व भर के देश मिलकर कैसे इस आतंकी संगठन के प्रभाव को समाप्त कर इसके वजूद को मिटाते हैं जिससे कि लेबनान के लोगों के अंदर एक सुरक्षित वातावरण का भाव विकसित हो सके।