सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने मानो बॉलीवुड और भारतीय मीडिया के सबसे निकृष्ट रूप हमारे सामने उजागर किए हैं। एक बार फिर राजदीप सरदेसाई, रवीश कुमार जैसे पत्रकार और द प्रिंट जैसे लिबरल मिडिया पोर्टल्स ने देश की जनभावना के साथ खिलवाड़ किया है। इन्होंने सुशांत की प्रतिभा पर सवाल खड़े किये और यहाँ तक कह दिया कि लोग फालतू में इस मुद्दे को इतना तूल दे रहे हैं। और तो और, ये पत्रकार, इस मामले की आड़ में भारतीय संस्कृति का अपमान तक करने में नहीं चूक रहे।
सबसे पहले तो नीचता की हदें पार करते हुए, राजदीप सरदेसाई ने सुशांत सिंह राजपूत को एक छोटा-मोटा अभिनेता बताने का प्रयास किया। द लल्लनटॉप के पत्रकार, सौरभ द्विवेदी से बातचीत करते हुए राजदीप ने बिहार पुलिस के आईजी गुप्तेश्वर पाण्डेय की आलोचना की और सुशांत के लिए ज़हर उगलने लगे। जनाब कहते हैं, “सुशांत कोई इतना बड़ा स्टार भी नहीं था जिसके लिए मुंबई पुलिस पर इतना दबाव डाला जा रहा है। लोगों का पुलिस पर से विश्वास उठ चुका है। मुंबई हो या बिहार पुलिस, सवाल पुलिस प्रशासन की प्रतिबद्धता पर ही उठ रहे हैं। क्या यह एक निष्पक्ष जांच है? कुछ भी कहें, पर सुशांत सिंह राजपूत कोई बहुत बड़ा स्टार नहीं था।“
अब फिल्मों के बारे में राजदीप मियां कितना जानते हैं, यह तो ईश्वर ही जाने, पर अपने छोटे से करियर में सुशांत का रिकॉर्ड ऐसा था कि बड़े-बड़े सितारे भी पानी मांगने लगे। सुशांत ने 11 फिल्में की, जिसमें से केवल दो फिल्में छोड़ कर बाकी सारी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस में सफल रहीं। जो दो फ़िल्में असफल रहीं, उनमें भी सुशांत के अभिनय को सब ने सराहा। ऐसे में, सुशांत की प्रतिभा पर प्रश्नचिन्ह लगाकर राजदीप ने सिर्फ सुशांत का अपमान नहीं किया है, बल्कि अपनी नीचता का भी परिचय दिया है। हालांकि, जो पत्रकार भारत के पूर्व राष्ट्रपति तक से अकड़ कर बात करे, उससे शिष्टाचार की भला क्या ही उम्मीद की जाए।
इसके अलावा, राजदीप के ट्वीट्स देखकर तो ऐसा बिलकुल नहीं लगता कि, वे अपने शब्दों पर ज़रा भी लज्जित हैं। उल्टे जनाब ने यह तक ट्वीट कर दिया, “हमारे शोरगुल मचाने वाले चैनलों के लिए यह समझना एक भयानक त्रासदी की तरह है कि एक अभिनेता की मृत्यु को सोप ओपेरा बनाने के अलावा भी खबरें होती है। खबरें सेवा के लिए होती है, तड़क-भड़क और मनोरंजन के लिए नहीं!”
It took a terrible tragedy for our ‘noise’ channels to realise that there is more to news than an actor’s death being played out as a tabloid soap opera. News is service folks and not sensation, information not entertainment. Prayers with Kerala in moment of grief!🙏
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 7, 2020
हालाँकि, यह तो बस शुरुआत थी। द प्रिंट की लेखिका, ज्योति यादव ने एक बेहद अपमानजनक लेख लिखते हुए सुशांत सिंह राजपूत की आड़ में बिहारी संस्कृति तक को नीचा दिखाने का प्रयास किया। इस लेख के शीर्षक से ही पता चल जाता है कि, इस लेखिका के मन में बिहारियों के लिए कितनी घृणा भरी हुई है। शीर्षक में लिखा है, ‘सुशांत सिंह राजपूत और एक विषैले बिहारी परिवार में श्रवण कुमार होने का बोझ’। यहाँ, अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के बचाव में मोहतरमा लिखती हैं कि, कैसे रूढ़िवादी बिहारी परिवारों का यही पेशा है कि, अपने बेटे की सभी कमियों का दोष उसकी महिला मित्र पर डाल दो।
एक भद्दे लेख की आड़ में, एक परिवार के कभी न भर सकने वाले जख्म को गहरा करना और एक राज्य की संस्कृति का अपमान करना हद दर्जे की निकृष्टता है। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि ये वही द प्रिंट है, जिसकी प्रवृत्ति कब और कैसे बदलती है, इसका पता तो शायद ईश्वर भी ना लगा पाएँ। पर बात यहीं पर नहीं रुकती। एनडीटीवी को तो सुशांत के न्याय की मांग के लिए चलाया जा रहा अभियान, एक दक्षिणपंथी प्रोपेगैंडा लगता है। एनडीटीवी के स्टार पत्रकार रवीश कुमार ने एक ब्लॉग शेयर किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि, भारत की राजनीति के लिए कैसे सुशांत सिंह राजपूत के केस में रुचि घातक हो सकती है। इस ब्लॉग के अनुसार सुशांत सिंह राजपूत के लिए जो कोई भी न्याय की मांग कर रहा है, वो भाजपा के आईटी सेल का हिस्सा है और सुशांत सिंह राजपूत के लिए सीबीआई जांच की मांग करना दक्षिणपंथी प्रोपगैंडा का हिस्सा है। अपने आप को सही सिद्ध करने के लिए और कितना नीचे गिरोगे रवीश बाबू?
सच कहें तो सुशांत सिंह राजपूत जीते जी जितना प्रभाव नहीं छोड़ पाए होंगे उससे कहीं ज्यादा प्रभाव उन्होंने अपनी आकस्मिक मृत्यु के छोड़ दी है। हालाँकि, जिन लोगों के कारण आज वे इस दुनिया में नहीं है, उनके रातों की नींद और दिन का चैन दोनों ही छिन गया है। इसमें मीडिया भी शामिल है, जिन्होंने सुशांत को नीचा दिखाने और उन्हें इस दशा तक लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब जब सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई, तो बौखलाहट में यही मीडिया अपने असली रंग दिखा रहा है।