ईरान में हर रोज़ बदल रहे राजनैतिक समीकरणों के बीच, अब ईरान के सर्वोच्च नेता और शिया मुसलमानों के सम्मानपात्र अयातुल्ला खामनेई ने, ट्विटर पर एक अकाउंट बनाया है जो हिंदी में है। इसमें उनका bio भी देवनागरी लिपि में लिखा है। हिंदी के अतिरिक्त खोमैनी ने फारसी, अरबी, उर्दू, फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी और अंग्रेजी में भी अकाउंट बनाया है।
उनके हिंदी अकाउंट पर अभी करीब 4 हजार फॉलोवर्स हैं। अपने bio में उन्होंने खुद को इस्लामी क्रांति का सर्वोच्च नेता बताया है। वैश्विक स्तर पर अलग थलग पड़ चुके ईरानी नेता खामनेई, सोशल मीडिया के माध्यम से अपने इस आइसोलेशन को खत्म करने की नीति पर काम कर रहे हैं। उनका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा शिया मुसलमानों तक अपनी बात पहुंचाना है, जिससे वे अपनी लोकप्रियता बढ़ा सकें।
हालांकि ग़दीर की घटना से हम शीयों का हार्दिक रिश्ता बहुत मज़बूत है लेकिन हक़ीक़त यह है कि ग़दीर की घटना अपने तथ्यों और वास्तविक आत्मा की दृष्टि से केवल शीयों तक सीमित नहीं बल्कि सारी इस्लामी दुनिया से संबंधित है। इसलिए कि ग़दीर की घटना इस्लाम की वास्तविक आत्मा पर आधारित है।
— आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनई (@In_khamenei) August 8, 2020
बीते कुछ दिनों में भारत और ईरान के संबंधों में भी खटास आयी है। साल की शुरुआत में हुई दिल्ली हिंसा पर सर्वोच्च ईरानी नेता अयातुल्लाह खामनेई ने नाराजगी जताई थी। तब ईरान ने भारत सरकार से कहा था कि मुस्लिमों पर की जा रही हिंसा तत्काल रोकी जाए, वरना भारत को मुस्लिम जगत द्वारा अलग-थलग कर दिया जाएगा। हालांकि यह बात अलग है कि, बाद में पुलिस जाँच में पता चला कि, दिल्ल्ली दंगों की योजना, कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा ही तैयार की गई थी।
दरअसल, जब से भारत ने अमेरिका के कारण ईरान से तेल आयात बन्द किया है, तब से ही वह भारत को किसी न किसी प्रकार से, पारस्परिक संबंधों की दुहाई देकर या अपनी शक्ति दिखाकर, अपने पाले में रखने की कोशिश कर रहा है। इसी क्रम में भारत के शिया मुसलमानों पर पकड़ बनाकर वह भारत की आंतरिक राजनीति में प्रभावी होना चाहता है। ईरान यह अच्छी तरह समझ चुका है कि, भारत और अमेरिका के साथ आने से ईरान वैश्विक राजनीति में पिछड़ गया है। ऐसे में वह सोशल मीडिया के रास्ते भारत में शिया राजनीति का प्रयोग, अपनी सॉफ्ट-पॉवर को बढ़ने कर लिए कर रहा है।
भारतीय शियाओं में ईरान और ईरानी नेता का बहुत प्रभाव है। भारतीय शियाओं का जुड़ाव ईरान से अधिक है क्योंकि, ईरान सारे मुस्लिम जगत में एक मात्र शिया राष्ट्र रहा है और आज भी शियाओं की सबसे बड़ी शक्ति है। यही कारण था कि, जब ईरानी कमांडर सुलेमानी को अमेरिका ने मार गिराया था तो भारत में भी इसका कड़ा विरोध हुआ था।
साफ है कि, अब भारत अमेरिका के साथ पूरी तरह से खड़ा है इसीलिए ईरान ने भी चीन के इशारे पर भारत पर दबाव बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। यही कारण था कि, भारत को चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट में रेलवे निर्माण की प्रक्रिया में नहीं शामिल किया गया। हालांकि, अब भी भारत की इस प्रोजेक्ट में काफी बड़ी भूमिका है। पर जिस तरह ईरान और चीन के संबंध बढ़ रहे हैं, ऐसे में यह तय है कि भारत और ईरान एक ही धड़े में अधिक दिन नहीं रहेंगे।