चीन के विदेश मंत्री ने हाल ही में बयान देते हुए कहा है कि यदि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का कोई भी देश अपने इलाके में अमेरिकी मिसाइल्स को तैनात करने की अनुमति देगा तो चीन इसके जवाब में सख्त कदम उठाएगा। दरअसल, आज से एक साल पहले अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक योजना तैयार की थी, जिसके तहत इंडो-पैसिफिक देशों में इंटरमीडिएट रेंज यानी मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल तैनात करने का प्रस्ताव था। हालाँकि यह प्रस्ताव अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की टेबल से आगे नहीं बढ़ सका। बावजूद इसके चीनी विदेश मंत्री द्वारा यह धमकी जारी करना उनकी घबराहट को दर्शाता है।
अब जब चीन की उसके पड़ोसी देशों के साथ अनबन बढ़ रही है तो, उसे इस बात का भय सता रहा है कि अमेरिका इस योजना को लागू न कर दे। वैसे भी अमेरिका और चीन के बीच तनाव अभी अपने चरम पर है। साथ ही चीन का जापान के साथ भी विवाद चल रहा है। वहीं ताइवान की बात करें तो वह भी चीन की बढ़ रही आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ 66 F-16 फाइटर जेट खरीदने का सौदा कर चुका है। ऐसे में इस बात की संभावना को नकारा भी नहीं जा सकता कि अमेरिका कहीं अपनी लंबित योजना को जल्द लागू ना कर दे। इसीलिए चीन पहले से ही अपने पड़ोसी देशों को चेतावनी दे रहा है।
चीन के विदेश मंत्री ने बयान देते हुए कहा, “अमेरिका द्वारा भूमि से वार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइलों को तैनात करने का प्रयास और पिछले कुछ वर्षों में एशिया प्रशांत में उनकी बढ़ती सैन्य उपस्थिति उनकी तथाकथित ‘इंडो-पैसिफिक रणनीति‘ के अनुरूप है। यह सीधे-सीधे शीत युद्ध की मानसिकता का प्रदर्शन है।” बता दें कि, शीत युद्ध के दौरान रूस और उसके सहयोगियों को घेरने के लिए अमेरिका इसी प्रकार से उनके पड़ोसी देशों से मिलिट्री पैक्ट करता था और वहां अपनी मिसाइल तैनात कर देता था। गौरतलब है कि, रूस के प्रभाव और सैन्य आक्रामकता को रोकने में यह नीति बहुत ही कारगर रही थी।
चीन ने एशिया के देशों को अमेरिका का प्यादा न बनने के लिए कहा है। लेकिन मूल बात यह है कि, चीन ने एशिया के छोटे देशों के पास इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं छोड़ा है कि वे अपनी रक्षा के लिए किसी बड़ी शक्ति की मदद लें। इसे वियतनाम के उदहारण ने समझा जा सकता है। वियतनाम का चीन के साथ पार्सेल द्वीप समूह को लेकर काफी पुराना विवाद रहा है। हाल ही में चीन ने अपनी नौसैना के एच 6 जे बॉम्बर विमान को इस द्वीप समूह पर तैनात किए हैं। वियतनाम ने तत्काल प्रभाव से भारत को इसकी जानकारी दी और इस मसले पर मदद मांगी।
पर कुछ देश ऐसे हैं जो अकेले ही चीन से लोहा लेने को तैयार हैं। उदाहरण के तौर पर, फिलीपींस ने चीन की दादागिरी के खिलाफ आवाज़ उठाई और उसे उसकी आक्रामक नीतियों को लेकर चेतावनी जारी की। इन हालातों में चीन का बौखलाना ज़रूरी है। लेकिन उसका शक अब उन चीजों पर भी होने लगा है जो हुई ही नहीं हैं। यदि अमेरिका अपने मिसाइल्स तैनात कर देता तब चीनी विदेश मंत्रालय का बयान कुछ हद तक प्रासंगिक भी होता। लेकिन जब अमेरिका ने अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है उसके बाद भी चीनी सरकार धमकी दे रही है तो इससे साफ पता चल जाता है कि विश्व भर में चौतरफा घिर जाने के बाद चीन काफी घबराया हुआ है।