मई महीने से चल रहे तनाव के बीच पहली बार ऐसा हुआ है कि भारतीय सेना द्वारा चीन पर पूरी तरह से दबाव बना लिया गया है। पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके मैं ब्लैक टॉप पर कब्जा करने के बाद, भारतीय सेना ने अन्य महत्वपूर्ण चोटियों को भी अपने कब्जे में ले लिया है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मॉस्को में बैठक भारत ने अपने इस कदम से चीन पर दबाव बना लिया। वो भी ऐसे समय में जबग्लोबल टाइम्स ने इस मुलाकात को विवाद सुलझाने का ‘आखिरी मौका’ करार दिया था।
Indian Army has occupied heights overlooking the Chinese Army positions at Finger 4 along the Pangong Tso lake. These operations were carried out along with the preemptive actions to occupy heights near the Southern bank of Pangong Tso lake around August end: Sources pic.twitter.com/RWLhGPZP1s
— ANI (@ANI) September 10, 2020
ब्लैक टॉप क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी है जिस पर कब्जा करके भारतीय सेना पैंगोंग झील के उत्तरी इलाके में फिंगर 1 से 8 तक पूरे क्षेत्र को अपनी निगरानी और फायरिंग रेंज में बना लिया है। साथ ही ब्लैक टॉप पर कब्जे के कारण संपूर्ण दक्षिणी इलाके में भी भारतीय सेना को बढ़त हासिल हो गई है जिसका फायदा उठाकर सेना ने दक्षिणी इलाके के अन्य पहाड़ियों को भी अपने कब्जे में ले लिया है।
हेलमेट टॉप, गुरुंग हिल, स्पांगुर गैप, मगर हिल, मुखपरी, रेजांग ला और रेचिन ला पर भारतीय सेनाओं ने कब्जा कर लिया है। अभी भारतीय सेना जिन इलाकों पर काबिज है वह भारत तिब्बत बॉर्डर से कुछ मिल की दूरी पर हैं। 1962 के बाद पहली बार भारत ने इन पहाड़ियों पर कब्जा किया है। पैंगॉन्ग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से पर भारत के बढ़त होने के कारण चीन शीर्ष राजनयिक स्तर पर लड़खड़ा गया है।
हालांकि, यह सभी चोटियां पहले भी भारतीय इलाके में ही पड़ती थी, किंतु किंतु पिछली सरकारों में चीन को नाराज न करने की नीति के कारण भारतीय सेना को इन पर जाने की इजाज़त नहीं दी गई थी। इन इलाकों में पड़ने वाली भीषण ठंड के कारण भी सेना इन चोटियों पर काबिज नहीं रहती थी।
अब भारत सरकार ने ठंड के मौसम के अनुरूप संसाधन सेना को मुहैया करा दिए हैं तथा चीन को आक्रामक जवाब देने के लिए सेना को खुली छूट दे दी गई है, यही कारण है कि अब भारतीय सेना ने चीन पर दबाव बना दिया है।
भारतीय सेना जिन पहाड़ियों पर काबिज है वहां से चीन चीन के नजदीकी सैन्य बेस, माल्डो को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। माल्डो चीन सेना की आपूर्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण बेस है। यहाँ 7 से 8 हजार चीनी सैनिक मौजूद हैं। चीन सेना की रसद एवं सैन्य आपूर्ति के लिए यही एकमात्र बेस है। ऐसे में अगर भारत अपनी आक्रामक कार्रवाई को आगे बढ़ाता है तो पूरे पैंगोंग इलाके को अपने कब्जे में ले सकता है।
इतना ही नहीं, रेजांगला और रेचिन-ला से तिब्बत इलाके में पड़ने वाले तिब्बत-शिंजियांग हाइवे को भी आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। यह तिब्बत और शिंजियांग को जोड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है।
यद्यपि भारत सरकार का प्रयास है कि बातचीत के जरिए समस्या का समाधान हो जाए किंतु किसी भी स्थिति में चीन की एक गलती के कारण चीन को पूरे इलाके से हाथ धोना पड़ सकता है। भारतीय सेना ने इन चोटियों पर कब्जा चीन पर आक्रमण हेतु नहीं बल्कि उसे उसकी भाषा में उसे जवाब देने के लिए किया है।
चीन की योजना थी कि ब्लैक टॉप पर कब्जा करके इस क्षेत्र में भारत के सबसे महत्वपूर्ण चुशूल बेस को अपना निशाना बनाया जाए, किंतु भारत ने चीन की ही नीति चीन पर लागू कर दी और अब माल्डो भारत की जद में आ गया है।
गौरतलब है कि इस इलाके में चीन अब कोई भी आक्रामक कार्रवाई नहीं कर सकता है। पैंगोंग झील के उत्तरी इलाके में उसकी कोई भी चाल ब्लैकटॉप पर तैनात सेना द्वारा नाकाम कर दी जाएगी। रेचिन-ला और रेजांगला जैसी अग्रिम चोटियों पर यदि वह भारत के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा तो ब्लैक टॉप के जरिए वहां भी उसे आसानी से खदेड़ा जा सकता है।
यदि वह सीधे ब्लैक टॉप पर आक्रमण की कोशिश करेगा तो भी दो बातें उसके विरुद्ध जाएंगे। पहला तो ब्लैक टॉप की ऊंचाई बहुत अधिक है और दूसरा स्पांगुर गैप के जरिये वहाँ तक पहुँचने में उसके सारे टैंक, सैन्य दस्ते आदि मगर हिल, गुरुंग हिल जैसी अगल बगल की चोटियों पर काबिज भारतीय सेना के निशाने पर होंगे।
ऐसे में चीन के पास एक ही रास्ता बचता है, या तो मई महीने से पहले की यथास्थिति बहाल करे या भारत से करारी हार के लिए तैयार रहे। एक झटके में ही भारतीय सेना ने इलाके के सारे समीकरण उलट कर दिए हैं।