खलीफ़ा बनने का सपना देख रहे एर्दोगन की चादर से ज़्यादा पैर फैलाने की आदत शुरू से ही रही है। एक ही समय में उन्होंने यूरोप, अरब देशों, रूस और भारत जैसी ताकतों से पंगा लिया हुआ है। इनमें से यूरोप और रूस के खिलाफ तो तुर्की का विवाद गंभीर रूप लेता जा रहा है। एक तरफ जहां भू-मध्य सागर विवाद पर ग्रीस, इटली और फ्रांस जैसे देश तुर्की के साथ कूटनीतिक जंग लड़ रहे हैं, तो वहीं लीबिया, सीरिया के साथ-साथ अब रूस इस देश के खिलाफ अर्मेनिया में भी एक नया फ्रंट खोल चुका है। हाल ही में भड़के अर्मेनिया- अज़रबैजान के विवाद में जहां तुर्की अज़रबैजान को पूरा समर्थन दे रहा है, तो वहीं अर्मेनिया रूस का पुराना साथी रहा है और हाल ही में दोनों देशों नें मिलकर तुर्की सीमा के पास सैन्य अभ्यास भी किया था। लीबिया और सीरिया के बाद यह तीसरा मोर्चा है जहां रूस और तुर्की आमने-सामने आ खड़े हैं।
The clashes between Azerbaijan and Armenia come after:
• Russia sent advisers and military hardware to Armenia
• And Turkey deployed troops and trainers
• This is a new “Russia and Turkey front” says @leventkemaI— Ragıp Soylu (@ragipsoylu) September 27, 2020
अज़रबैजान और अर्मेनिया के बीच विवादित क्षेत्र Nagorno-Karabakh के मुद्दे पर ही दोनों देशों में तनाव देखने को मिल रहा है। अर्मेनिया ने आरोप लगाया है कि अज़रबैजान ने विवादित क्षेत्र में रिहायशी इलाकों में सैन्य कार्रवाई की है, जिसके कारण लोगों में भय पैदा हो गया है। साथ ही अर्मेनिया ने अज़रबैजान के दो हेलिकॉप्टर और 3 ड्रोन मार गिराने के दावा किया है। इसके जवाब में अज़रबैजान ने भी अपने “टैंक्स, मिसाइल्स और हमलावर drones को तैयार कर लिया है। बता दें कि Nagorno-Karabakh क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय तौर पर अज़रबैजान का हिस्सा माना जाता है, पर अभी ज़मीन पर इस क्षेत्र पर अर्मेनिया का ही कब्जा है।
Video released by Armenian Defense Ministry which claims that it destroyed two tanks belonging to Azerbaijan pic.twitter.com/YCGDuilb7z
— Ragıp Soylu (@ragipsoylu) September 27, 2020
हालांकि, इन दो छोटे देशों के बीच के विवाद में बड़ी ताक़तें भी शामिल हो गयी हैं। तुर्की ने अपने पड़ोसी और रूस के पुराने साथी अर्मेनिया को अंजाम भुगतने की धमकी दी है। तुर्की के रक्षा मंत्री Hulusi Akar द्वारा जारी एक बयान में कहा गया “क्षेत्र में शांति स्थापित करने की राह में अर्मेनिया सबसे बड़ा रोड़ा है, अगर इस देश की करतूतों को काबू में नहीं किया गया तो ये क्षेत्र आग में जल जाएगा”। साथ-साथ तुर्की ने यह भी कहा कि वह अज़रबैजान के समर्थन में अपने सभी संसाधन इस्तेमाल करने के लिए तैयार है।
उधर अर्मेनिया को भी सुपरपावर रूस का भरपूर समर्थन हासिल है। तुर्की मामलों के जानकार Ragip Soylu के मुताबिक अर्मेनिया- अज़रबैजान का विवाद ऐसे समय में बढ़ा है जब हाल ही में रूस ने अपने सलाहकारों और सैन्य असले को अर्मेनिया भेजा है। इसके साथ ही हाल ही में रूसी और अर्मेनियन सेनाओं ने तुर्की सीमा के पास सैन्य अभ्यास भी किया था। इस सब के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि अर्मेनिया के खिलाफ तुर्की अगर कोई कार्रवाई करने की हिमाकत करता है तो उसे रूस द्वारा भरपूर जवाब दिया जा सकता है। लेकिन सीरिया और लीबिया में रूस से भिड़ने के अंजाम भुगत चुका तुर्की शायद ही अर्मेनिया में रूस के साथ कोई पंगा मोल लेना चाहेगा।
The clashes between Azerbaijan and Armenia come after:
• Russia sent advisers and military hardware to Armenia
• And Turkey deployed troops and trainers
• This is a new “Russia and Turkey front” says @leventkemaI— Ragıp Soylu (@ragipsoylu) September 27, 2020
बता दें कि सीरिया में भी तुर्की और रूस के बीच चल रही शांति वार्ता विफल हो चुकी हैं, जिसके बाद तुर्की को डर है कि कहीं रूस उसके खिलाफ सीरिया में कोई बड़ा एक्शन ना ले ले। दरअसल, सीरिया में तुर्की Hay’at Tahrir al-Sham जैसे इस्लामिस्ट आतंकी संगठनों के साथ मिलकर इद्लिब में कब्ज़ा जमाये बैठा है, जबकि रूस के “सोची” शहर में हुई डील के मुताबिक तुर्की को इन संगठनों का साथ छोड़ना होगा। तुर्की द्वारा अपनी हरकतों से बाज़ ना आने के कारण रूस ने शांति वार्ता को अब रद्द कर दिया है, और इद्लिब शहर पर बमबारी करनी भी शुरू कर दी है। मार्च में ऐसे ही हमले में तुर्की के करीब 60 सैनिक मारे गए थे। वहीं लीबिया में जारी विवाद के बीच वहाँ तुर्की और रूस एक दूसरे के साथ सीज़फायर समझौता करने का रास्ता खोज रहे हैं।
यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब ग्रीस के साथ विवाद के कारण Turkey पर EU के प्रतिबंधों का खतरा लगातार मंडरा रहा है। कूटनीतिक जंग में यूरोप तो वहीं सैन्य जंग में रूस के साथ उलझे एर्दोगन के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया है, और देश की डूबती इकॉनमी उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। एर्दोगन अपने देश को बर्बादी की ओर लेकर जा रहे हैं और अगर तुर्की को बचाना है तो उन्हें जल्द ही उनकी कुर्सी से हटाना होगा!