अपने अहम मुद्दों को एक-एक कर पूरा करने में सफल होने के पश्चात अब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अपना अगला लक्ष्य यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड(UCC) को पारित कराना तय किया है। एक प्रश्न के जवाब में केन्द्रीय विधि [Law] मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि केंद्र सरकार इसी दिशा में काम कर रही है, लेकिन इस पर खूब चर्चा करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
लोकसभा सांसद दुष्यंत सिंह द्वारा पूछे गए सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने लिखित में जवाब दिया, “संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार ये सरकार की ज़िम्मेदारी है कि देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू किया जाये, और सरकार इसके क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है, परंतु इसके लिए गहन चर्चा की आवश्यकता है।’’ रविशंकर प्रसाद ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि UCC के अंतर्गत कुछ धर्मों को अल्पसंख्यक का स्टेटस न देने के निर्णय पर कोई विचार नहीं किया गया है।
UCC भारतीय जनता पार्टी के कोर मुद्दों में हमेशा अपना स्थान रखता है। भाजपा के 2019 के मैनिफेस्टो में भी यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लागू करने की प्रतिबद्धता पर विशेष ध्यान दिया गया था। पिछले वर्ष इसी परिप्रेक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी, “सभी नागरिकों पर लागू होने वाले UCC को लागू करने की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। कोर्ट द्वारा शाह बानो और सरला मुद्गल के मामलों में भी कोर्ट द्वारा इस कोड को लागू करने की अहमियत पर प्रकाश डालने के बावजद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”
ऐसे में मोदी सरकार इस समय न केवल यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के विधेयक को संसद में पेश करने का दम रखती है, अपितु इसे लागू करने का भी दम भरती है। जब वामपंथियों की लाख lobbying के पश्चात भी केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 को निरस्त कराने और नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराने में सफल रही, तो फिर UCC को लागू कराने में किस बात की समस्या? जिस प्रकार से रविशंकर प्रसाद ने UCC को लागू करने पे अपनी प्रतिबद्धता जताई है, उससे भारतीय इस बात से अब आश्वस्त हो सकते हैं कि UCC हर हालत में सरकार लागू कराके ही रहेगी।