जापान ने हाल ही में एक बहुत बढ़िया दांव चला है, जिसके अंतर्गत पूर्वी चीन सागर में स्थित सेनकाकु द्वीप समूह से चीन को जापान ने बाहर खदेड़ दिया है। 2012 में एक निजी व्यक्ति से खरीदे गए इन द्वीपों के कारण चीन और जापान के सम्बन्धों में काफी तनातनी रही है, जिसे चीन डियाओयू द्वीप के नाम से अपना बताता आ रहा है। इस वर्ष से ही चीन सेनकाकु द्वीप के आसपास गिद्ध की तरह मंडरा रहे हैं। कूटनीति हो या फिर युद्धनीति, हर प्रकार से चीन जापान पर दबाव बना रहा है।
ऐसा ही एक दांव अभी हाल ही में चीन ने चला था। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीन जापान को आश्वासन देने का प्रयास कर रहा था कि बीजिंग जल्द ही क्षेत्र में अपनी नौसेना के प्रभाव को कम कराएगा। परंतु जापान भली भांति जानता था कि चीन किस खेत की मूली ठहरी, और इस बार उसके झांसे में ना आकर अमेरिका को भी इस मुद्दे में शामिल करा लिया।
SCMP की रिपोर्ट के अनुसार एक चीनी शिक्षाविद लिउ किंगबिन ने कहा कि बीजिंग टोक्यो को बताना चाहता है कि वह इस वर्ष विवादित क्षेत्र [पूर्वी चीनी सागर] में अपनी नौसेना की सक्रियता को कम कराएगा। लेकिन चीन के झांसे में नहीं आते हुए जापान ने अपने फिशिंग बोट सेनकाकु द्वीप समूह की ओर भेजे, जिससे चीन काफी कुपित हुआ, और साथ ही में उसकी पोल भी खुल गई। यदि चीन वाकई में सक्रियता कम करना चाहता था, तो उसे जापान की फिशिंग बोट से कोई समस्या तो होनी ही नहीं चाहिए थी। याद रहे, सेनकाकु द्वीप समूह पर जापान का अधिकार है, और चीन का यहाँ हुड़दंग मचाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
लेकिन जिस प्रकार से चीन ने यहाँ विवाद खड़ा किया है, उससे स्पष्ट होता है कि बीजिंग का इरादा कभी इस इलाके में शांति बहाल करने का था ही नहीं। यदि जापान वाकई में चीन की चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाता, तो आगे उसे बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ता।
कूटनीतिक स्तर पर भी चीन की बातों में ना आकर जापान ने ये सिद्ध कर दिया कि इस क्षेत्र [पूर्वी चीन सागर] में चीन का कोई अधिकार नहीं है, और चीन द्वारा कूटनीति के जरिये सेनकाकु द्वीप को अपने नियंत्रण में लेने का सपना सपना ही रह जाएगा।
लेकिन जब अमेरिका ने एंट्री की, तो सारा खेल ही बदल गया। कुछ महीनों पहले जब चीन की गुंडागर्दी ज़ोरों पर थी, तब व्हाइट हाउस ने जापान को हरसंभव सहायता का विश्वास दिलाते हुए चीन को खुलेआम चुनौती देने का निर्णय किया। जापान में स्थित अमेरिका के सर्वोच्च रैंकिंग वाले अफसर, लेफ्टिनेंट जनरल केविन श्नाइडर का कहना था, “जापान के हितों की रक्षा के लिए अमेरिका शत प्रतिशत प्रतिबद्ध है”। अमेरिका के इतना कहते ही चीन की सिट्टी पिट्टी गुल हो गई, और उनके सारे किए कराये पर पानी फिर गया।
Japan ने चीन के चिकनी चुपड़ी बातों में फँसने का जोखिम ही नहीं उठाया, और अब उसने सफलतापूर्वक चीन को सेनकाकु द्वीप समूह के आसपास के क्षेत्र से खदेड़ने में सफलता पाई है। अब तक ऐसा लग रहा था मानो चीन ने इस क्षेत्र में वर्चस्व जमाया हुआ है, लेकिन जापान ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देते हुए अच्छा सबक सिखाया है।