हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) के आर्थिक और सामाजिक परिषद यानि ECOSOC के एक विभाग के सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव हुए थे, जिसमें दो सदस्य इस सत्र के लिए चुने जाने थे। इस चुनाव में न केवल भारत विजयी हुआ, बल्कि उसने चीन को बुरी तरह हराया।
UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि यूएन तिरुमूर्ति ने इस निर्णय के बारे में सूचित करते हुए ट्वीट किया, “बधाई हो! भारत प्रतिष्ठित ECOSOC के महिला विभाग कमीशन के सदस्य के तौर पर चुना गया है। ये हमारे नारी सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों का इनाम स्वरूप है। हम सभी सदस्य देशों का अभिवादन करते हैं” –
India wins seat in prestigious #ECOSOC body!
India elected Member of Commission on Status of Women #CSW. It’s a ringing endorsement of our commitment to promote gender equality and women’s empowerment in all our endeavours.
We thank member states for their support. @MEAIndia pic.twitter.com/C7cKrMxzOV
— Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) September 14, 2020
परंतु ये विजय इतनी अहम क्यों है? ऐसा इसलिए क्योंकि इस चुनाव में भारत का प्रतिद्वंदी चीन भी था। इस चुनाव के जरिये दो सदस्यों को चुना जाना था, और दोनों सदस्यों को चुनाव जीतने के लिए उपस्थित 54 सदस्यों में से कम से कम 27 सदस्यों का वोट प्राप्त होना ज़रूरी था। जहां भारत को 54 में से 39 सदस्यों का समर्थन मिला, तो वहीं अफगानिस्तान को 38 सदस्यों का समर्थन मिला। लेकिन चीन को बहुमत तो छोड़िए, 27 सदस्यों का समर्थन ही बड़ी मुश्किल से प्राप्त हो पाया –
चूंकि ये चुनाव एशिया पैसिफिक क्षेत्र के सदस्य देशों में होना था, इसलिए ये स्पष्ट होता है कि भारत की विजय कितना मायने रखती है। पिछले कुछ महीनों की घटनाओं से ये स्पष्ट हो गया है कि UN का स्थायी सदस्य होने के बावजूद चीन का अब पहले जैसा प्रभाव नहीं रह गया है। इससे पहले भी चीन ने सुरक्षा परिषद के जरिये अपने पालतू पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने का प्रयास किया है, लेकिन हर बार उसे पाकिस्तान की भांति मुंह की ही खानी पड़ी।
इसके अलावा भारत काफी समय से UN के ढांचे में व्यापक बदलाव की मांग कर रहा है। 17 जुलाई को पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के सत्र को संबोधित किया। यह पीएम मोदी का जून में शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के चुने जाने के बाद पहला भाषण था। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा “आज जब हम UN का 75वां साल मना रहे हैं, तब हमें इसके वैश्विक बहुपक्षीय सिस्टम को बदलने की शपथ लेनी चाहिए। UN की प्रासंगिकता और इसका प्रभाव बढ़ाने के साथ इसे नई तरह के मानव-केंद्रित वैश्वीकरण का आधार बनाना जरूरी होगा। यूएन दूसरे विश्व युद्ध के आवेश के बाद पैदा हुआ था। अब एक महामारी के आवेश के बाद हमें फिर इसमें सुधार का मौका मिला है।”
पीएम मोदी ने यह भी कहा इस संगठन को आज की सच्चाई को स्वीकार करना होगा, और आज की सच्चाई यह है कि भारत न सिर्फ अपने यहाँ करोड़ों लोगों को हर साल बेहतर जीवन सुविधा प्रदान कर रहा है, बल्कि भारत दुनियाभर में अन्य देशों को भी साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भारत का प्रभाव भी यूएन में दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। उसी स्तर पर चीन का प्रभाव यूएन पर से घट रहा है। जिस प्रकार से भारत ने चीन को चारों खाने चित्त करते हुए ECOSOC की सदस्यता ग्रहण की है, वह एक बदलते हुए, सशक्त भारत का प्रतीक कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।