भारत और चीन के बीच तनाव अपने चरम पर है और युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। भारतीय सेना को सरकार की ओर से खुली छूट है कि वो बॉर्डर की स्थिति के अनुरूप फैसला ले सकते हैं। एक महीने के भीतर दूसरी बार CDS जनरल बिपिन रावत ने बयान दिया है कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
इस बीच सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे की फायरिंग रेंज में हैं। चीनी सेना में स्पांगुर गैप में भारी संख्या में सैनिक, टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां आर्टिलरी आदि तैनात कर रखे हैं। स्पांगुर गैप के आस पास की चोटियों पर काबिज भारतीय सेना की घेराबंदी के बीच में चीन की सेना खड़ी है। पहाड़ियों पर होने के कारण भारत को बढ़त हासिल है जिसके चलते चीन को अपना सैन्य जमावड़ा बढ़ाना पड़ रहा है।
जंग जैसे हालात के बाद भी भारत चीन वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुँच रही। यही कारण था कि थलसेना अध्यक्ष जनरल नरवणे ने कहा था कि हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। CDS जनरल बिपिन रावत पहले ही साफ कर चुके हैं कि बातचीत असफल होने पर सैन्य कार्रवाई द्वारा चीन को पीछे धकेलने का विकल्प भी खुला है।
उनके बयान के बाद पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर 29-30 अगस्त को भारत ने सैन्य अभियान द्वारा में ब्लैकटॉप तथा आस पास की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। भारत की कार्रवाई का नतीजा यह हुआ कि चीनी सेना चारों ओर से घिर गई है। उनका प्रमुख सैन्य अड्डा मोल्डो भारतीय सेना की जद में है।
इसी बीच यह भी खबर आयी थी कि CDS ने पार्लियामेंट्री कमेटी को बताया कि सेना के पास पर्याप्त मात्रा में राशन और अन्य जरूरी सामान स्टॉक में है। रिपोर्ट के अनुसार आर्मी किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है और उसके पास 10 महीने का स्टॉक मौजूद है। यह सभी बातें बताती हैं कि भारतीय सेना युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है।
किंतु सरकार और सेना के स्तर पर किसी भी टकराव को टालने की कोशिशें लगातार जारी हैं। हालांकि, भारत सरकार का पक्ष रखते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था “मैंने यह बात किसी अन्य संदर्भ में कुछ दिनों पूर्व कही थी, मैं कहना चाहता हूं कि मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ कि इस परिस्थिति का समाधान कूटनीति के जरिये खोजा जाना चाहिए और मैं इसे जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ।”
इन सब के बाद भी कई विशेषज्ञों का मानना है कि कूटनीतिक प्रयासों के जरिये शांति बहाली के अवसर धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक बेनतीजा रही।
हालांकि, विदेश मंत्रियों की बैठक में दोनों देशों ने यह बात स्वीकार की कि वे टकराव नहीं चाहते। लेकिन विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई बदलाव आएगा या नहीं, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। वास्तविकता यह है कि इस वक्त सीमा पर जो हालात हैं उनमें किसी भी पक्ष का एक गलत कदम युद्ध शुरू करवा सकता है।
महत्वपूर्ण यह है कि अभी समीकरण भारतीय सेना के पक्ष में हैं, 29-30 अगस्त के अभियान के बाद भारत प्रभावी स्थिति में है। अब चीन को निर्णय करना है कि वह वापस जाना चाहता है या नहीं। भारतीय सेना ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह चीन की किसी भी आक्रामक गतिविधि का करारा जवाब देंगे। अतः अब सीमा पर क्या होगा इसकी जिम्मेदारी चीन की भावी कार्रवाई पर होगी।