नेपाल का वर्तमान प्रशासन एक बार फिर अपनी भद्द पिटवाता पकड़ा गया है। अब नेपाल अमेरिका के प्रतिद्वंदियों ईरान और चीन के अवैध वित्तीय गतिविधियों का हब बनता जा रहा है। एक विशेष रिपोर्ट के सनसनीखेज खुलासों के अनुसार नेपाल की बैंक और कंपनियां अब ईरान और चीन के लिए अमेरिका के प्रतिबंधों को बाइपास करने का माध्यम बनता जा रहा है।
Center for Investigative Journalism Nepal, International Consortium of Investigative Journalists एवं BuzzFeed की संयुक्त जांच में ये सामने आया है कि 292.7 मिलियन डॉलर का अवैध धन हस्तांतरण हुआ है। वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े इन दस्तावेज़ों को FinCEN फाइल्स की संज्ञा दी गई है। इन फाइल्स के अनुसार 2006 से 2017 के बीच क्रॉस बॉर्डर ट्रेड के नाम पर 9 बैंकों, 10 कंपनियों, और कई व्यक्तिगत लोगों ने कालेधन के हस्तांतरण में हिस्सा लिया है, जिसके लिए उनका बेस नेपाल था।
लेकिन बात केवल यहीं पर नहीं रुकती। इस जांच में ये भी सामने आया है कि नेपाल के जरिये चीन क्या खेल खेलता आ रहा है। काठमांडू में चीन के इशारों पर नाचने वाली कम्युनिस्ट सरकार के कारण अब नेपाल अमेरिका के दुश्मनों के लिए स्वर्ग के रूप में परिवर्तित हो रहा है, जहां हर फैसला बीजिंग से परामर्श के बाद लिया जाता है। ऐसे में यदि नेपाल पर अमेरिका ने कार्रवाई की, तो इसके परिणाम ओली प्रशासन के लिए बेहद घातक होने वाले हैं।
25 पृष्ठों के इस रिपोर्ट के अनुसार, “यह दिखाता है कि कई नेपाली कंपनियों के संबंध सोने, Antiquities, bitumen एवं टेलीकम्यूनिकेशन उपकरण की अंतरराष्ट्रीय तस्करी से भी है। इस गोरखधंधे में नेपाल में स्थित Standard Chartered Bank, प्राइम कमर्शियल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, नेपाल इनवेस्टमेंट बैंक, एवरेस्ट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, एपेक्स डेव्लपमेंट बैंक ऑफ कास्की एवं नेपाल बांग्लादेश बैंक के साथ रौनियार ब्रदर्स एंड कंपनी, SubhaSamriddhi Traders Pvt. Ltd, शास्ता ट्रेडिंग कंपनी, सेतीदेवी एक्सपोर्ट इम्पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड, एलडी इंटेरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, फेल्ट एंड यार्न प्राइवेट लिमिटेड, वुमन पेपर क्रफ्ट्स, एक्मे मनी ट्रान्सफर सर्विस जैसी कंपनियां भी इस गोरखधंधों में लिप्त पाई गई हैं”।
यह रिपोर्ट यह बताती है कि कैसे नेपाली कंपनियों ने ईरान से सामान खरीदकर, नकली दस्तावेज़ों का उपयोग करते हुए वैश्विक संगठनों की आँखों में धूल झोंका और यह बताया कि यह सामान ईरान से नहीं खरीदा गया था। उदाहरण के लिए रौनियर कंपनी ने दुबई से अपना माल खरीदने का दावा किया था, जबकि असल में माल ईरान से ही इम्पोर्ट हुआ था।
चीन की कृपा होने के कारण नेपाल ने ZTE कंपनी को नेपाल में निवेश करने के लिए पूरी छूट दी। ZTE वही कंपनी है जो अमेरिका से खरीदे उपकरणों को ईरान को बेचते हुए पकड़ी गई थी। अब ऐसे देशों की मदद करने का मतलब है, अमेरिका से सीधा पंगा मोल लेना, और इसका परिणाम ओली प्रशासन पर बहुत भारी पड़ेगा। अमेरिका ने नेपाल में भारी निवेश किया है, और ऐसे में वह ओली सरकार द्वारा ऐसी गद्दारी कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि नेपाल ने चीन और ईरान को अमेरिका के प्रतिबंधों से बचने के लिए जो सहायता की है, वह नेपाल और नेपालियों के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होगी। भारत पहले ही नेपाल की चाटुकारिता से काफी क्रुद्ध है और यदि आवश्यकता पड़ी, तो वह नेपाल के विरुद्ध आर्थिक मोर्चे पर युद्ध भी छेड़ सकता है। चीन और ईरान के सामने अपने आप को झुकाकर नेपाल का वर्तमान प्रशासन आग से खेलने की भूल कर रहा है, जिसका दुष्परिणाम अंत में नेपाल के नागरिकों को भुगतना पड़ेगा। भारत और अमेरिका को भड़काकर नेपाल जितना हवा में उड़ रहा है, उतनी तेज़ी से उसे नीचे पटकने में दोनों देशों को कोई दिक्कत नहीं होगी।